उच्चतम न्यायालय के जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा- राजद्रोह से संबंधित धारा 124ए का हो रहा दुरुपयोग

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 10, 2019 06:15 PM2019-09-10T18:15:55+5:302019-09-10T18:15:55+5:30

जस्टिस गुप्ता ने कार्यक्रम में कहा, ‘पिछले कुछ सालों में जिस तरह राजद्रोह से संबंधित धारा 124ए का दुरुपयोग हुआ है उससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या हमें इसके बारे में फिर से विचार करने की ज़रूरत है। सरकार की आलोचना करने से कोई भी व्यक्ति कम देशभक्त नहीं हो जाता, जबकि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, देशविरोधी नारे लगाना राजद्रोह नहीं है।

Supreme Court Justice Deepak Gupta said - misuse of section 124A related to treason | उच्चतम न्यायालय के जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा- राजद्रोह से संबंधित धारा 124ए का हो रहा दुरुपयोग

जस्टिस गुप्ता ने कहा, ‘दुर्भाग्य से यह आम बात है कि अगर आप मुझसे सहमत नहीं हैं तो या तो आप मेरे दुश्मन हैं और या इससे भी बदतर आप देश के दुश्मन हैं, देशद्रोही हैं।

Highlightsपिछले कुछ सालों में कई ऐसे मामले हुए हैं, जहां राजद्रोह या सौहार्द्र बिगाड़ने के कानून का पुलिस ने जमकर दुरुपयोग किया है।उन्होंने कहा कि संवैधानिक अधिकार होने के नाते अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की राजद्रोह के कानून से ज्यादा अहमियत होनी चाहिए।

राजद्रोह को लेकर सत्ता पक्ष, विपक्ष और कानूनविद् चिंतित हैं। जेएनयू प्रकरण के बाद यह मामला गंभीर हो गया है। अभी हाल ही में जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार, शेहला रशिद को लेकर काफी हंगामा हुआ था। इस बीच, उच्चतम न्यायालय के सीनियर जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा है कि पिछले कुछ सालों से राजद्रोह से संबंधित कानून का काफी दुरुपयोग हुआ है। 

जस्टिस गुप्ता ने कार्यक्रम में कहा, ‘पिछले कुछ सालों में जिस तरह राजद्रोह से संबंधित धारा 124ए का दुरुपयोग हुआ है उससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या हमें इसके बारे में फिर से विचार करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार की आलोचना करने से कोई भी व्यक्ति कम देशभक्त नहीं हो जाता, जबकि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, देशविरोधी नारे लगाना राजद्रोह नहीं है।

जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा, ‘पिछले कुछ सालों में कई ऐसे मामले हुए हैं, जहां राजद्रोह या सौहार्द्र बिगाड़ने के कानून का पुलिस ने जमकर दुरुपयोग किया है और उन लोगों को गिरफ़्तार करने और अपमानित करने के लिए इनका इस्तेमाल किया है जिन्होंने राजद्रोह के तहत कोई अपराध नहीं किया है।’

उन्होंने कहा कि संवैधानिक अधिकार होने के नाते अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की राजद्रोह के कानून से ज्यादा अहमियत होनी चाहिए। जस्टिस गुप्ता अहमदाबाद में प्रेलेन पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित एक कार्यशाला में ‘लॉ ऑफ सेडिशन इन इंडिया एंड फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन’ विषय पर वकीलों को संबोधित कर रहे थे। न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा, ‘बातचीत करने की कला खुद ही खत्म हो रही है, अब कोई स्वस्थ चर्चा नहीं होती, कोई भी मुद्दों और सिद्धांतों की वकालत नहीं करता और केवल चिल्लाना और गाली-गलौच ही होती है।’

जस्टिस गुप्ता ने कहा, ‘दुर्भाग्य से यह आम बात है कि अगर आप मुझसे सहमत नहीं हैं तो या तो आप मेरे दुश्मन हैं और या इससे भी बदतर आप देश के दुश्मन हैं, देशद्रोही हैं।’ न्यायमूर्ति ने कहा, ‘असहमति का अधिकार हमारे संविधान के द्वारा हमें दिया गया सबसे अहम अधिकार है। जब तक कोई व्यक्ति कानून नहीं तोड़ता है या किसी संघर्ष को बढ़ावा नहीं देता है या नहीं उकसाता है तब तक उसे हर दूसरे नागरिक से अपनी राय अलग रखने का अधिकार है।’

क्या है राजद्रोह कानून

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124 (ए) के तहत उन लोगों को गिरफ्तार किया जाता है जिन पर देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने का आरोप होता है। यह कानून ब्रिटिश सरकार ने 1860 में बनाया था और 1870 में इसे आईपीसी में शामिल कर दिया गया था।

Web Title: Supreme Court Justice Deepak Gupta said - misuse of section 124A related to treason

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