प्रशांत भूषण पर अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लगाया 1 रुपये का जुर्माना, नहीं देने पर जेल और प्रैक्टिस पर रोक

By विनीत कुमार | Published: August 31, 2020 12:23 PM2020-08-31T12:23:09+5:302020-08-31T12:35:10+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण पर अवमानना मामले में सजा के तौर पर एक रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने हालांकि कहा कि अगर भूषण जुर्माना नहीं देते हैं तो उन्हें तीन महीने की जेल होगी और प्रैक्टिस से भी तीन साल के लिए रोक दिया जाएगा।

Supreme Court imposes fine of Re 1 fine on Prashant Bhushan in contempt case | प्रशांत भूषण पर अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लगाया 1 रुपये का जुर्माना, नहीं देने पर जेल और प्रैक्टिस पर रोक

प्रशांत भूषण पर अवमानना मामले में 1 रुपये का जुर्माना (फाइल फोटो)

Highlightsअवमानना मामले में प्रशांत भूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने सजा के तौर पर एक रुपये का जुर्माना लगायासुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर प्रशांत भूषण जुर्माना नहीं देते तो उन पर कार्रवाई होगी

सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना मामले में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण पर एक रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने उन्हें इसे जमा कराने के लिए 15 सितंबर तक का समय दिया है। कोर्ट ने कहा कि अगर वे इसे जमा नहीं करते हैं तो उन्हें तीन महीने की जेल हो सकती है। साथ ही तीन साल के लिए वकालत की प्रैक्टिस पर भी रोक लगाई जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका के खिलाफ दो ट्वीट को लेकर प्रशांत भूषण को 14 अगस्त को अवमानना का दोषी ठहराया था। इसके बाद कोर्ट ने भूषणा को माफी मांगने का भी सुझाव दिया था। हालांकि, प्रशांत भूषण ने इसे ये कहते हुए इनकार कर दिया था कि अगर वे माफी मांगते हैं तो ये उनकी अंतरात्मा की अवमानना होगी।

भूषण ने साथ ही ये मांग की थी कि उनकी दोषसिद्धि को निरस्त किया जाना चाहिए और कोर्ट की ओर से ‘स्टेट्समैन जैसा संदेश’ दिया जाना चाहिए। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने प्रशांत भूषण को पिछले सोमवार तक माफी मांगने का समय दिया था। इस बेंच में जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी भी शामिल थे।


कोर्ट ने इससे पहले प्रशांत भूषण को बिना किसी शर्त के माफी मांगने का विकल्प देते हुए कहा था, 'आप ने सौ अच्छे काम किये होंगे लेकिन ये आपको 10 क्राइम करने के लाइसेंस नहीं देता।'

वहीं, पिछली सुनवाई में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को सलाह दी थी कि प्रशांत भूषण को चेतावनी देकर छोड़ देना चाहिए। वहीं, भूषण की ओर से अधिवक्ता राजीव धवन ने पीठ से कहा था, ‘अटॉर्नी जनरल ने भूषण को फटकार लगाने का सुझाव दिया है, लेकिन यह भी बहुत ज्यादा हो जाएगा। प्रशांत भूषण को शहीद न बनाएं। ऐसा नहीं करें। उन्होंने कोई हत्या या चोरी नहीं की है।’

धवन ने भूषण के पूरक बयान का हवाला देते हुए कहा कि न सिर्फ इस मामले को बंद किया जाना चाहिए, बल्कि विवाद का भी अंत किया जाना चाहिए। वहीं, पीठ ने सजा पर बहस के दौरान कहा, ‘हमें एक-दूसरे के प्रति सम्मान और सहिष्णुता का भाव रखना चाहिए। हम आपसे (वकीलों) अलग नहीं हैं। हम भी बार से आए हैं। हम आलोचना के लिए तैयार हैं, लेकिन हम जनता में नहीं जा सकते।’ 

English summary :
The court has given time till September 15 to conduct senior advocate Prashant Bhushan Parzama. The court said that if they do not submit it, they could face up to three months in jail. Also, the practice of advocacy for three years will be banned.


Web Title: Supreme Court imposes fine of Re 1 fine on Prashant Bhushan in contempt case

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