'ऐसी याचिकाओं का चल पड़ा है ट्रेंड', सुप्रीम कोर्ट ने वकील पर लगाया 100 रुपये का जुर्माना, जानें क्या है पूरा मामला

By स्वाति सिंह | Published: July 6, 2020 05:45 PM2020-07-06T17:45:19+5:302020-07-06T17:50:48+5:30

कंसल ने दायर याचिका में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री छोटे वकीलों के साथ भेदभाव करती है। उनका आरोप था कि बड़े वकीलों के मामलों को फौरन सुनवाई के लिए लिस्ट कर दिया जाता है, लेकिन छोटे वकीलों का मुकदमा सुनवाई के लिए देर से आता है।

Supreme Court dismisses PIL that accused its registry of favouritism, imposes Rs 100 fine | 'ऐसी याचिकाओं का चल पड़ा है ट्रेंड', सुप्रीम कोर्ट ने वकील पर लगाया 100 रुपये का जुर्माना, जानें क्या है पूरा मामला

वकील द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि ऐसे रजिस्ट्री अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की कोई व्यवस्था नहीं है, जो लॉ फर्म, वकीलों के पक्ष में काम करते हैं

Highlightsसुप्रीम कोर्ट ने अपने रजिस्ट्री अधिकारियों द्वारा मामलों की सूची में पक्षपात का आरोप लगाते हुए एक याचिका को खारिज कर दिया। इस तरह की याचिका दायर करने के लिए रीपाक कंसल नाम के वकील पर 100 रुपये का जुर्माना लगाया।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को अपने रजिस्ट्री अधिकारियों द्वारा मामलों की सूची में पक्षपात का आरोप लगाते हुए एक याचिका को खारिज कर दिया। इसके साथ ही इस तरह की याचिका दायर करने के लिए रीपाक कंसल (Reepak Kansal) नाम के वकील पर 100 रुपये का जुर्माना लगाया। अरुण मिश्रा और एस ए नजेर की पीठ ने कहा कि वह वकील रिपल कांसल द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज कर रही है और इस तरह की याचिका दायर करने के लिए उस पर 100 रुपये का जुरमाना लगा रही है।

बता दें कि इस वकील ने सुप्रीम कोर्ट पर भेदभाव का आरोप लगाया था। कंसल ने दायर याचिका में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री छोटे वकीलों के साथ भेदभाव करती है। उनका आरोप था कि बड़े वकीलों के मामलों को फौरन सुनवाई के लिए लिस्ट कर दिया जाता है, लेकिन छोटे वकीलों का मुकदमा सुनवाई के लिए देर से आता है।

कोर्ट ने ने कहा- आरोपों में कोई आधार नहीं

कंसल ने कहा था कि तकनीकी खामी की वजह से बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपना फैसला नहीं सुनाया। बेंच ने फोन पर इस फैसले की जानकारी दी। कोर्ट ने कहा कि इन आरोपों में कोई आधार नहीं है। कंसल ने अपनी याचिका में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्री अधिकारी केसों की लिस्टिंग के दौरान प्रभावशाली वकीलों और याचिकाकार्ताओं को प्राथमिकता देते हैं। 

याचिकाकर्ता ने लगाए थे पक्षपात के आरोप 

वकील द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि ऐसे रजिस्ट्री अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की कोई व्यवस्था नहीं है, जो लॉ फर्म, वकीलों के पक्ष में काम करते हैं और इसकी वजह ऐसे अधिकारी ही बता सकते हैं। इन अधिकारियों से कहा जाए कि साधारण वकीलों और याचिकाकर्ताओं के मामलों में बेवजह खामी न निकालें। इसके अलावा अतिरिक्त कोर्ट फीस और अन्य शुल्क वापस किए जाएं। बेंच ने 19 जून को भी इस मामले पर सुनवाई की थी। लेकिन, तब फैसला सुरक्षित रख लिया था।

English summary :
The Supreme Court Monday dismissed a plea alleging bias in listing of cases by its registry officials and imposed a fine of Rs 100 on a lawyer for filing such a petition.


Web Title: Supreme Court dismisses PIL that accused its registry of favouritism, imposes Rs 100 fine

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