ताजमहल मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार से कहा- सार्वजनिक करो दृष्टिपत्र
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 29, 2018 06:47 PM2018-11-29T18:47:49+5:302018-11-29T18:47:49+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि दिल्ली स्थित योजना एवं वास्तुकला विद्यालय (एसपीए) द्वारा तैयार किए जा रहे दृष्टिपत्र को सार्वजनिक किया जाना चाहिए. इस बारे में कुछ भी गोपनीय नहीं है. जस्टिस मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है.
एसपीए दिल्ली ने कोर्ट को सूचित किया कि वह उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में ताजमहल सुरक्षा एवं संरक्षा के लिए एक दृष्टि पत्र तैयार करने की प्रक्रिया में है. यह कुछ दिन में पूरा कर लिया जाएगा. यह दस्तावेज राज्य सरकार को सौंपा जाएगा. केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एएनएस नाडकर्णी ने पीठ से कहा कि ताजमहल के लिए धरोहर योजना के प्रथम प्रारूप को आठ सप्ताह के भीतर अंतिम रूप दिया जाएगा.
यह प्रारूप यूनेस्को को सौंपा जाना है. शीर्ष अदालत ने 25 सितंबर को अपने आदेश में उत्तर प्रदेश सरकार के लिए 17 वीं सदी के इस प्राचीन स्मारक के संरक्षण के लिए दृष्टि पत्र पेश करने की अवधि 15 नवंबर तक बढ़ा दी थी. कोर्ट ने इसके आस-पास के एक हिस्से को धरोहर घोषित करने पर भी विचार करने के लिए कहा था.
ताजमहल के आस-पास का हरित क्षेत्र छोटा हुआ राज्य सरकार ने कोर्ट से दृष्टिपत्र को अंतिम रूप देने के लिए 15 नवंबर तक का समय देने क अनुरोध किया था. राज्य सरकार ने यह भी कहा था कि पूरे शहर को धरोहर घोषित करना मुश्किल होगा लेकिन ताजमहल, फतेहपुर सीकरी और आगरा किला स्थलों को शामिल करते हुए कुछ हिस्से को इसके दायरे में लाया जा सकता है.
कोर्ट विश्व प्रसिद्ध ताजमहल को वायु प्रदूषण से संरक्षण के लिए पर्यावरणविद अधिवक्ता महेश चन्द्र मेहता की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था. मेहता का आरोप है कि ताजमहल के आस-पास का हरित क्षेत्र छोटा हो गया है और यमुना के मैदानी क्षेत्र के भीतर और बाहर अतिक्रमण हो रहा है.