स्वतंत्रता सेनानियों की तलाकशुदा, अविवाहित, विधवा बेटियों को पेंशन देने पर कितना वित्तीय बोझ आएगा, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 8, 2021 03:00 PM2021-03-08T15:00:25+5:302021-03-08T15:01:21+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की, ''कितना वित्तीय बोझ पड़ेगा? तलाकशुदा बेटियों का मामला बहुत कम है और इस प्रकार न्यूनतम बोझ आएगा. देश में तलाकशुदा बेटियों की संख्या बहुत ही कम है.''

Supreme Court central government pension to divorced unmarried widowed daughters of freedom fighters How much financial burden  | स्वतंत्रता सेनानियों की तलाकशुदा, अविवाहित, विधवा बेटियों को पेंशन देने पर कितना वित्तीय बोझ आएगा, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा

स्वतंत्रता सेनानी परिवार पेंशन देने की याचिका खारिज कर दी कि नियमों में ऐसा प्रावधान नहीं है.

Highlightsस्वतंत्रता सेनानी पिता के परिवार पेंशन की हकदार हैं जिस तरह से अविवाहित या विधवा बेटियां होती हैं.मामले में दो अलग-अलग उच्च न्यायालयों ने अलग-अलग विचार व्यक्त किए हैं.हिमाचल प्रदेश की निवासी तुलसी देवी (57) ने यह मामला शीर्ष अदालत के संज्ञान में लाया है.

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि अगर स्वतंत्रता सेनानियों की अविवाहित या विधवा बेटियों के अलावा उनकी तलाकशुदा बेटियों को भी परिवार पेंशन दी जाती है तो कितना वित्तीय बोझ आएगा.

न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने यह सवाल तब किया जब केंद्र ने इससे कहा कि अगर अदालत ने स्वतंत्रता सेनानियों की अविवाहित या विधवा बेटियों के अलावा तलाकशुदा बेटियों को भी परिवार पेंशन देने की अनुमति दी तो इस पर वित्तीय बोझ पड़ेगा और नए विवाद शुरू हो जाएंगे.

पीठ ने टिप्पणी की, ''कितना वित्तीय बोझ पड़ेगा? तलाकशुदा बेटियों का मामला बहुत कम है और इस प्रकार न्यूनतम बोझ आएगा. देश में तलाकशुदा बेटियों की संख्या बहुत ही कम है.'' शीर्ष अदालत इस मसले पर सुनवाई कर रही थी कि क्या तलाकशुदा बेटियां उसी तरह अपने स्वतंत्रता सेनानी पिता के परिवार पेंशन की हकदार हैं जिस तरह से अविवाहित या विधवा बेटियां होती हैं.

इस मामले में दो अलग-अलग उच्च न्यायालयों ने अलग-अलग विचार व्यक्त किए हैं. हिमाचल प्रदेश की निवासी तुलसी देवी (57) ने यह मामला शीर्ष अदालत के संज्ञान में लाया है जिन्होंने पिछले वर्ष हाईकोर्ट के एक फैसले को चुनौती दी जिसने इस आधार पर उन्हें स्वतंत्रता सेनानी परिवार पेंशन देने की याचिका खारिज कर दी कि नियमों में ऐसा प्रावधान नहीं है.

सुनवाई के दौरान देवी की तरफ से पेश हुए वकील दुष्यंत पाराशर ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी की तलाकशुदा बेटी को विधवा या अविवाहित बेटी की तरह माना जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल के पिता ने देश के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया और आय का स्रोत नहीं होने के कारण वह सुगम जीवन नहीं व्यतीत कर पा रही हैं.

केंद्र की तरफ से पेश हुईं अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल माधवी दीवान ने कहा कि अगर परिवार पेंशन की अनुमति दी जाती है तो इससे वित्तीय बोझ बढ़ेगा और नए विवाद शुरू हो जाएंगे. उन्होंने इस मुद्दे पर और दस्तावेज पेश करने के लिए समय मांगा. शीर्ष अदालत ने दोनों पक्षों को अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने की छूट दे दी और मामले का अंतिम निस्तारण उपयुक्त पीठ के समक्ष अप्रैल के दूसरे हफ्ते में करने के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

Web Title: Supreme Court central government pension to divorced unmarried widowed daughters of freedom fighters How much financial burden 

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