Supreme Court bulldozer case: हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है?, सार्वजनिक सड़क और सरकारी जमीन पर कोई निर्माण अवैध!, बुलडोजर केस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
By सतीश कुमार सिंह | Published: October 1, 2024 01:01 PM2024-10-01T13:01:10+5:302024-10-01T13:02:08+5:30
Supreme Court bulldozer case: पीठ ने कहा था कि अगर अवैध रूप से ध्वस्तीकरण का एक भी मामला है तो यह हमारे संविधान के ‘‘मूल्यों’’ के विरुद्ध है।
Supreme Court bulldozer case: बुलडोजर मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। उच्चतम न्यायालय ने कई राज्यों में आरोपियों की संपत्ति समेत अन्य संपत्तियों को ध्वस्त किए जाने का आरोप लगाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई मंगलवार को शुरू की। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने 17 सितंबर को कहा था कि उसकी अनुमति के बगैर एक अक्टूबर तक आरोपियों समेत अन्य लोगों की संपत्तियों को नहीं गिराया जाएगा। पीठ ने कहा था कि अगर अवैध रूप से ध्वस्तीकरण का एक भी मामला है तो यह हमारे संविधान के ‘‘मूल्यों’’ के विरुद्ध है।
Hearing in Supreme Court on the matter relating to bulldozer practice | Supreme Court reserves order on the issue of framing pan-India guidelines relating to demolition drive. Supreme Court extends interim order for not demolishing any property without permission, till further… pic.twitter.com/ZR6CzQXF35
— ANI (@ANI) October 1, 2024
न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि उसका आदेश सड़कों, फुटपाथ, रेलवे लाइन या जलाशयों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर बने अनधिकृत ढांचों पर लागू नहीं होगा और साथ ही उन मामलों पर भी लागू नहीं होगा जिनमें अदालत ने ध्वस्तीकरण का आदेश दिया है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है, सभी नागरिकों के लिए दिशा निर्देश तैयार करेंगे।
संपत्तियों के ध्वस्तीकरण के खिलाफ याचिकाएं पर उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह सार्वजनिक सड़कों, सरकारी जमीन पर किसी भी अनधिकृत निर्माण की रक्षा करने नहीं जा रहा है। हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि संपत्ति ध्वस्त किए जाने का आधार यह नहीं हो सकता कि कोई व्यक्ति आरोपी या दोषी है।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह जो भी दिशा निर्देश लागू करेगा, वह पूरे भारत में लागू होंगे। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा कि उसके आदेश से किसी भी सार्वजनिक स्थान पर अतिक्रमण करने वालों को मदद न मिले।