उच्चतम न्यायालय बार काउंसिल के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दिया, जानिए कारण

By भाषा | Published: January 14, 2021 04:49 PM2021-01-14T16:49:23+5:302021-01-14T16:50:43+5:30

पत्र में दुष्यंत दवे ने कहा कि कार्यकारी समिति का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और उन्होंने आभासी चुनाव कराने की योजना बनाई है।

Supreme Court Bar Association President Dushyant Dave Tenders Resignation With Immediate Effect reason | उच्चतम न्यायालय बार काउंसिल के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दिया, जानिए कारण

दुष्यंत दवे ने बृहस्पतिवार को यह कहते हुए तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया कि वह इस पद बने रहने का का अधिकार खो चुके हैं। (file photo)

Highlightsबार काउंसिल के कार्यवाहक सचिव रोहित पांडेय ने वरिष्ठ अधिवक्ता दवे के इस्तीफे की पुष्टि की है।नये निकाय के चुनाव के लिये डिजिटल माध्यम से चुनाव कराने का ईमानदारी से फैसला लिया था।दवे ने एससीबीए के सभी सदस्यों के प्रति आभार भी व्यक्त किया।

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय बार काउंसिल (एससीबीए) के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने बृहस्पतिवार को यह कहते हुए तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया कि वह इस पद बने रहने का का अधिकार खो चुके हैं।

बार काउंसिल के कार्यवाहक सचिव रोहित पांडेय ने वरिष्ठ अधिवक्ता दवे के इस्तीफे की पुष्टि की है। दवे ने संक्षिप्त पत्र में लिखा कि एससीबीए की कार्यकारी समिति में उनका कार्यकाल पहले ही खत्म हो चुका है और ''कुछ वकीलों की चिंताओं'' के चलते, निर्धारित समय पर डिजिटल तरीके से चुनाव कराना संभव दिखाई नहीं दे रहा।

पत्र में कहा गया है , ''हालिया घटनाक्रमों के बाद, मुझे लगता है कि मैं आपका अगुवा बने रहने का अधिकार खो चुका हूं। लिहाजा मैं तत्काल प्रभाव से एससीबीए के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहा हूं। हमारा कार्यकाल पहले ही खत्म हो चुका है।''

दवे ने कहा, ''हमने नये निकाय के चुनाव के लिये डिजिटल माध्यम से चुनाव कराने का ईमानदारी से फैसला लिया था। लेकिन मुझे लगता है कि आप में से कुछ की आपत्तियों के चलते, चुनाव समिति द्वारा निर्धारित समय पर चुनाव कराना संभव नहीं है। मैं उनकी स्थिति को समझता हूं और इस पर कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन इन हालात में मेरा अध्यक्ष बने रहना नैतिक रूप से गलत होगा। '' दवे ने एससीबीए के सभी सदस्यों के प्रति आभार भी व्यक्त किया।

भाकियू नेता मान कृषि कानूनों पर उच्चतम न्यायालय की ओर से गठित समिति से अलग हुए

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह मान ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह कृषि कानूनों पर किसानों और केंद्र के बीच गतिरोध को सुलझाने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित चार सदस्यीय समिति से अलग हो गए हैं। किसान संगठनों और विपक्षी दलों ने समिति के सदस्यों को लेकर आशंका जाहिर करते हुए कहा कि इसके सदस्य पूर्व में तीनों कानूनों की पैरवी कर चुके हैं।

मान ने कहा कि समिति में उन्हें सदस्य नियुक्त करने के लिए वह शीर्ष अदालत के आभारी हैं लेकिन किसानों के हितों से समझौता नहीं करने के लिए वह उन्हें पेश किसी भी पद का त्याग कर देंगे। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘खुद किसान होने और यूनिनन का नेता होने के नाते किसान संगठनों और आम लोगों की भावनाओं और आशंकाओं के कारण मैं किसी भी पद को छोड़ने के लिए तैयार हूं ताकि पंजाब और देश के किसानों के हितों से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं हो।’’

मान ने कहा, ‘‘मैं समिति से अलग हो रहा हूं और मैं हमेशा अपने किसानों और पंजाब के साथ खड़ा रहूंगा।’’ उच्चतम न्यायालय ने तीन नये कृषि कानूनों को लेकर सरकार और दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे रहे किसानों की यूनियनों के बीच व्याप्त गतिरोध खत्म करने के इरादे से मंगलवार को इन कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगाने के साथ ही किसानों की समस्याओं पर विचार के लिये चार सदस्यीय कमेटी गठित की थी।

पीठ ने इस समिति के लिये भूपिन्दर सिंह मान के अलावा शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घन्वत, दक्षिण एशिया के अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति एवं अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ प्रमोद जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी के नामों की घोषणा की थी। कानूनों के अमल पर रोक का स्वागत करते हुए किसान संगठनों ने कहा थ कि वे समिति के सामने पेश नहीं होंगे।

किसान संगठनों के नेताओं ने दावा किया था कि समिति के सदस्य ‘‘सरकार समर्थक’’ हैं। जिन तीन नये कृषि कानूनों को लेकर किसान आन्दोलन कर रहे हैं, वे कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार, कानून, 2020, कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) कानून, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून हैं। पंजाब और हरियाणा के हजारों किसान इन कानूनों को निरस्त करवाने के लिए पिछले कई सप्ताह से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

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