सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल में बाहरी लोगों के नमाज पढ़ने पर लगाया बैन, बीजेपी नेता बोले महिलाओं का प्रवेश भी रोका जाए
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: July 12, 2018 06:29 PM2018-07-12T18:29:56+5:302018-07-12T18:29:56+5:30
दूसरी तरफ बीजेपी के महानगर महामंत्री अश्वनी वशिष्ठ का कहना है कि शुक्रवार ताजमहल के मस्जिद में सिर्फ पुरूष ही नमाज पढ़ते हैं लेकिन महिलाओं को भी एंट्री मिल जाती है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार आगरा के निवासी के अलावा अब कोई भी व्यक्ति ताजमहल परिसर के भीतर स्थित मस्जिद नवाज नहीं पढ़ सकता है। कोर्ट का कहना है कि ताजमहल को दुनिया के सात अजूबों में गिना जाता है।
इस स्मारक को बर्बाद होने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है। ये आदेश शुक्रवार को होने वाले नमाज के लिए है। इससे पहले ताजमहल परिसर के मस्जिद में शुक्रवार को कोई भी व्यक्ति नवाज पढ़ सकता था।
इसके पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी गई थी कि आगरा के स्थानीय निवासियों को जब सुरक्षा एजेंसियां तलाशी के बाद मस्जिद में नमाज पढ़ने की अनुमति दे रही हैं तो गैर निवासियों को भी इसी तरह से अनुमति दी जा सकती है।
समान व्यक्तियों से बगैर किसी औचित्य के ही असमान तरीके का व्यवहार किया जा रहा है।
इस याचिका को खारिज करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आगरा में और भी कई मस्जिदें हैं और आगरा से बाहर के लोग उनमें नमाज पढ़ सकते हैं।
फिलहाल प्रशासन ने ताजमहल की सुरक्षा के मद्देनजर इसमें स्थित मस्जिद में बाहरी व्यक्तियों के नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
दूसरी तरफ बीजेपी के महानगर महामंत्री अश्वनी वशिष्ठ का कहना है कि शुक्रवार ताजमहल के मस्जिद में सिर्फ पुरूष ही नमाज पढ़ते हैं लेकिन महिलाओं को भी एंट्री मिल जाती है।
ये महिलाएं पर्यटक होती हैं और इन्हें भी प्रवेश मिल जाता है। इन महिलाओं को नि:शुल्क प्रवेश कराया जाता है जिसका मकसद बाहरी लोगों को फ्री में ताजमहल दिखाना होता है।
इसके आगे उन्होंने कहा कि बाहरी लोगों का ताजमहल में नमाज पढ़ने का कोई औचित्य नहीं है। लेकिन अगर फिर भी कोई अगर शुक्रवार को ताजमहल आ जाता है तो पूर्वी गेट और पश्चिमी गेट पर स्थित मस्जिद में नमाज पढ़ सकता है।
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