कोरोना के इलाज में आने वाले खर्च की तय होगी सीमा? सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से एक हफ्ते में जवाब देने को कहा
By गुणातीत ओझा | Published: June 5, 2020 01:33 PM2020-06-05T13:33:47+5:302020-06-05T13:49:30+5:30
याचिका में निजी अस्पतालों में कोरोना वायरस के इलाज के खर्च की एक सीमा तय की जाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि निजी अस्पतालों में कोविड-19 यानी कोरोना वायरस के इलाज की कीमत ज्यादा लग रही है।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के देश के निजी अस्पतालों में इलाज पर आने वाले खर्च की एक अधिकतम सीमा तय करने के लिए दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुये उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से इस बारे में जवाब तलब किया है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुये केंद्र सरकार को इस संबंध में नोटिस जारी कर एक सप्ताह में जवाब तलब किया है। यह जनहित याचिका अविशेक गोयनका ने दायर की है जिसमें निजी अस्पतालों में कोविड—19 के मरीजों के इलाज के खर्च की ऊपरी सीमा निर्धारित करने का अनुरोध किया गया है।
इसमें यह भी कहा गया है कि सरकार को समान मानक वाले ऐसे केंद्रों में उपचार की सांकेतिक दरों को भी निर्धारित करने के लिये कहा जाए। इसमें यह भी कहा गया है कि बीमा कंपनियों द्वारा मेडिक्लेम का समयबद्ध निपटान होना चाहिए और सभी बीमित रोगियों को कैशलेस उपचार की सुविधा प्रदान की जाए।
Supreme Court seeks Centre's response within a week on a PIL seeking to set an upper limit on fees to be charged by private hospitals in treating #COVID19 patients.
— ANI (@ANI) June 5, 2020
अदालत ने कहा कि इस जनहित याचिका की एक प्रति सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता को दी जानी चाहिए जो इस मुद्दे पर निर्देश लेंगे और एक सप्ताह में जवाब देंगे। याचिका में संक्रमित लोगों के लिए निजी पृथक—वास केंद्र की सुविधा एवं अस्पतालों की संख्या बढ़ाने की भी मांग की गयी है, ताकि वे इस तरह की सुविधाओं का लाभ भुगतान के आधार पर उठा सकें। वर्तमान में इस तरह का विकल्प मरीजों के पास नहीं है। इसमें यह भी कहा गया है कि सरकार को समान मानक वाले ऐसे केंद्रों में उपचार की सांकेतिक दरों को भी निर्धारित करने के लिये कहा जाए। इसमें यह भी कहा गया है कि बीमा कंपनियों द्वारा मेडिक्लेम का समयबद्ध निपटान होना चाहिए और सभी बीमित रोगियों को कैशलेस उपचार की सुविधा प्रदान की जाए।
क्या आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज नहीं किया जा सकता?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से यह भी पूछा था कि प्राइवेट और धर्मार्थ अस्पतालों से क्यों नहीं कोरोना का फ्री इलाज करने के लिए कहा जाता है। इस पर केंद्र ने कहा कि हमारे पास वैधानिक शक्ति नहीं है। अब कोर्ट ने पूछा कि क्या आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज नहीं किया जा सकता? इस मामले को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट में हॉस्पिटल एसोसिएशन की ओर से हरीश साल्वे ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना केवल चिन्हित लाभार्थियों के लिए है। हम पहले से ही रियायती दरों पर इलाज कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से सचिन जैन ने कहा कि भारत सरकार को नागरिकों के साथ खड़ा होना चाहिए न कि कॉरपोरेट अस्पतालों के साथ। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस संकट में हमें निजी क्षेत्र को एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में शामिल करना होगा। कोरोना इलाज के लिए आयुष्मान भारत में अच्छी तरह से परिभाषित पैकेज उपलब्ध हैं, औसत दैनिक बिल 4000 रु। हरीश साल्वे ने कहा कि स्थिति खराब है और अन्य बीमारियों के लिए अस्पतालों में कोई जगह नहीं है। राजस्व में 60 फीसदी की कमी आई है। सीजेआई एसए बोबडे ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि क्या हॉस्पिटल आयुष्मान की दर पर इलाज करने के लिए तैयार हैं। अब मामले की सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी।