सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने पर रोक के लिए पूर्व जज मदन लोकुर की अध्यक्षता में एक सदस्यीय समिति का किया गठन
By रामदीप मिश्रा | Published: October 16, 2020 04:53 PM2020-10-16T16:53:53+5:302020-10-16T17:03:52+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने लोकुर की नियुक्ति पर पुनर्विचार करने के केंद्र के अनुरोध को स्वीकार करने से भी इनकार कर दिया। मामले पर अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को निर्धारित की गई है।
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों में बढ़ते प्रदूषण के बीच पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की निगरानी के लिए सेवानिवृत्त जज मदन बी लोकुर को नियुक्त किया है। शीर्ष अदालत ने कहा, "हम केवल दिल्ली-एनसीआर के नागरिकों को ताजा व स्वच्छ हवा में सांस लें इसके बारे में चिंता जाहिर कर रहे हैं।"
सुप्रीम कोर्ट ने लोकुर की नियुक्ति पर पुनर्विचार करने के केंद्र के अनुरोध को स्वीकार करने से भी इनकार कर दिया। मामले पर अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को निर्धारित की गई है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए), हरियाणा, पंजाब व उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया कि वे उन क्षेत्रों की भौतिक निगरानी के दौरान लोकुर पैनल की सहायता करें जहां पर पराली जलाई जा रही है।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने एनसीसी, एनएसएस और भारत स्काउट्स को समिति की मदद के लिये तैनात किया है। पीठ ने संबंधित राज्यों से कहा कि वे लोकूर समिति के लिये समुचित सुरक्षा, सचिवालय की सुविधायें और आने जाने की व्यवस्था सुनिश्चित करें। यह समिति हर पखवाड़े अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान न्यायमूर्ति मदन लोकूर ने पराली जलाने के पहलू सहित प्रदूषण से जुड़े मामलों की सुनवाई की थी। पीठ पराली जलाने की वजह से प्रदूषण की स्थिति को लेकर आदित्य दुबे की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।