पुरी में मंगलवार को निकलेगी ऐतिहासिक जगन्नाथ रथ यात्रा, सुप्रीम कोर्ट के इन शर्तों का करना होगा पालन
By सुमित राय | Published: June 22, 2020 08:37 PM2020-06-22T20:37:44+5:302020-06-22T21:10:02+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा के पुरी में आयोजित होने वाली रथ यात्रा को कुछ प्रतिबंधों के साथ आयोजित करने की अनुमति दी है।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा (Rath Yatra 2020) को कुछ प्रतिबंधों के साथ आयोजित करने की अनुमति दी। ओडिशा के पुरी में आयोजित होने वाली रथ यात्रा इस साल 23 जून को निकाली जानी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुरी रथ यात्रा स्वास्थ्य मुद्दे से समझौता किए बिना मंदिर समिति, राज्य और केंद्र सरकार के समन्वय के साथ आयोजित की जाएगी। तीन जजों की पीठ ने इस संबंध में अपना फैसला सुनाया।
इन शर्तों का करना होगा पालन
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि प्रत्येक रथ 500 से ज्यादा लोग नहीं खींचेंगे और सभी का कोविड-19 परीक्षण करना होगा। दिशानिर्देशों के अनुसार दो रथों के बीच एक घंटे का अंतराल होगा। रथ खींचने में लगे प्रत्येक व्यक्ति को रथ यात्रा के पहले और बाद में सामाजिक दूरी (Social Distancing) बनाए रखना होगा। कोर्ट ने कहा कि रथ यात्रा (Rath Yatra) के आयोजन के दौरान स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे को लेकर कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा।
23 जून को पुरी में होना है रथ यात्रा का आयोजन
पुरी की रथ यात्रा में हर साल दुनियाभर से लाखों श्रद्धालु आते हैं और इस बार 23 जून को रथ यात्रा का आयोजन होना है, लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून के फैसले में पुरी में इस साल की ऐतिहासिक भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पर रोक लगा दी थी।
चीफ जस्टिस ने किया 3 जजों की पीठ का गठन
चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा के आयोजन को लेकर दायर याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई के लिए तीन न्यायाधीशों की पीठ का गठन किया था। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने सोमवार को रथ यात्रा की अनुमति दी।
अमित शाह ने जगन्नाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष से की बात
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस साल पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को लेकर अनिश्चितता के बीच सोमवार को जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष गजपति महाराजा दिव्यसिंह देव से बात की थी। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष समीर मोहंती ने बताया कि अमित शाह ने साल 1736 से अनवरत चल रही रथ यात्रा के साथ जुड़ी परंपरा पर चर्चा की।
रथ रात्रा निकालने की परंपरा
पौराणिक मततानुसार स्नान पूर्णिमा यानी ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन जगत के नाथ श्री जगन्नाथ पुरी का जन्मदिन होता है। उस दिन प्रभु जगन्नाथ को बड़े भाई बलराम जी तथा बहन सुभद्रा के साथ रत्नसिंहासन से उतार कर मंदिर के पास बने स्नान मंडप में ले जाया जाता है। 108 कलशों से उनका शाही स्नान होता है। फिर मान्यता यह है कि इस स्नान से प्रभु बीमार हो जाते हैं उन्हें ज्वर आ जाता है। तब 15 दिन तक प्रभु जी को एक विशेष कक्ष में रखा जाता है। जिसे ओसर घर कहते हैं। इस 15 दिनों की अवधि में महाप्रभु को मंदिर के प्रमुख सेवकों और वैद्यों के अलावा कोई और नहीं देख सकता। इस दौरान मंदिर में महाप्रभु के प्रतिनिधि अलारनाथ जी की प्रतिमा स्थपित की जाती हैं तथा उनकी पूजा अर्चना की जाती है। 15 दिन बाद भगवान स्वस्थ होकर कक्ष से बाहर निकलते हैं और भक्तों को दर्शन देते हैं। जिसे नव यौवन नैत्र उत्सव भी कहते हैं। इसके बाद द्वितीया के दिन महाप्रभु श्री कृष्ण और बडे भाई बलराम जी तथा बहन सुभद्रा जी के साथ बाहर राजमार्ग पर आते हैं और रथ पर विराजमान होकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं।