आर्टिकल 35A पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई टली, 27 अगस्त को संविधान पीठ में भेजने पर हो सकता है फैसला

By पल्लवी कुमारी | Published: August 6, 2018 12:17 PM2018-08-06T12:17:59+5:302018-08-06T12:17:59+5:30

उच्चतम न्यायालय में अनुच्छेद 35ए की वैधता को दी गई चुनौती के खिलाफ बुलाए गए अलगाववादियों के बंद के चलते आज लगातार दूसरे दिन भी कश्मीर में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित रहा।

Supreme Court adjourns hearing on Article 35A in jammu and kashmir | आर्टिकल 35A पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई टली, 27 अगस्त को संविधान पीठ में भेजने पर हो सकता है फैसला

आर्टिकल 35A पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई टली, 27 अगस्त को संविधान पीठ में भेजने पर हो सकता है फैसला

नई दिल्ली, 6 अगस्त: जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 35A की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को होने वाली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई टाल दी गई है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे पर 6 अगस्त( सोमवार) को सुनवाई नहीं कर सकते हैं। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़  की छुट्टी पर होने की वजह से पीठ ने मामले पर सुनवाई नहीं किया। 

इस मामले की अगली सुनवाई अब 27 अगस्त को होगी। उस दिन कोर्ट इस मामले को संविधान पीठ में भेजने पर फैसला सुना सकता है। बता दें कि आर्टिकल को भेदभावपूर्ण बताते हुए दिल्ली के एनजीओ 'वी द सिटिजन' ने सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका दायर की है। 

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस ए एम खानविलकर ने सुनवाई टालते हुए कहा कि तीन सदस्यीय पीठ को यह तय करना है कि क्या इस मुद्दे को सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय पीठ को स्थानांतरित किया जाए। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़  की छुट्टी पर होने की वजह से पीठ ने मामले पर सुनवाई नहीं किया।



 

उच्चतम न्यायालय में अनुच्छेद 35ए की वैधता को दी गई चुनौती के खिलाफ बुलाए गए अलगाववादियों के बंद के चलते आज लगातार दूसरे दिन भी कश्मीर में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित रहा।

अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारुक और मोहम्मद यासिन मलिक के संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व (जेआरएल) ने दो दिन के बंद का आह्वान किया था। अनुच्छेद 35ए की वैधता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर आज दिन में उच्चतम न्यायालय सुनवाई करेगा जिसके मद्देनजर यह बंद बुलाया गया।

साल 1954 में राष्ट्रपति के आदेश द्वारा संविधान में शामिल किया गया अनुच्छेद 35ए जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासियों को विशेष दर्जा देता है और राज्य से बाहर के किसी भी व्यक्ति को राज्य में कोई भी अचल संपत्ति खरीदने से रोकता है।

 हड़ताल के चलते घाटी भर में शैक्षणिक संस्थान, दुकानें और कारोबारी प्रतिष्ठान बंद रहे जबकि सभी तरह के वाहन सड़कों से नदारद रहे। राज्य की ओर से उच्चतम न्यायालय के पंजीयक के समक्ष एक आवेदन दाखिल कर राज्य में आगामी पंचायत एवं शहरी निकाय चुनावों और नगरपालिका चुनावों के लिए “जारी तैयारियों” का हवाला देकर सुनवाई टालने का आग्रह किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए संवदेनशील स्थानों पर सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है।

(भाषा इनपुट) 

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