सुब्रमण्यम स्वामी की भारत सरकार को सलाह, बोले- 'श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह के निर्माण में मदद करके चीन को वहां से बेदखल करो'
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: October 1, 2022 08:25 PM2022-10-01T20:25:22+5:302022-10-01T20:30:44+5:30
सुब्रमण्यम स्वामी ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह के बारे में मोदी सरकार को महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहा कि भारत सरकार को श्रीलंका सरकार की मदद करनी चाहिए ताकि चीन को श्रीलंका की इस परियोजना से बाहर किया जा सके।
दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भारत के पड़ोसी मुल्क श्रीलंका में समुद्री परिवहन के लिए बन रहे हंबनटोटा बंदरगाह के बारे में मोदी सरकार को एक महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहा कि भारत सरकार को श्रीलंका सरकार की मदद करनी चाहिए ताकि चीन को श्रीलंका की इस परियोजना से बाहर किया जा सके।
इस सिलसिसे में ट्वीट करते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, "श्रीलंका ने राजपक्षे के पहले के कार्यकाल में हंबनटोटा बंदरगाह के निर्माण की योजना बनाई थी। भारत में यूपीए सरकार ने इसके लिए ऋण देने से इनकार कर दिया था। चीनी ने इसके लिए श्रीलंका को धन की पेशकश की थी लेकिन जल्द ही श्रीलंका द्वारा धन चुकाने में मुश्किल पैदा हो गई। इसलिए इसे भारत को फाइनेंस करना चाहिए और इस समझौते से चीनियों को बाहर कर देना चाहिए।"
Sri Lanka had in earlier tenure of Rajapaksa had envisaged building of Hambantota Port. UPA Govt in India declined to provide a loan for it. The Chinese offered the funding but soon after repayment by SL became difficult. India hence should finance it and elbow out the Chinese
— Subramanian Swamy (@Swamy39) October 1, 2022
हंबनटोटा बंदरगाह विवाद भारत के लिए इसलिए परेशानी का विवाद बना हुई है क्योंकि बीते 16 अगस्त को चीन के युआन वैंग-5 नाम के नौसेनिक जहाज़ ने समुद्री रिसर्च के बहाने हंबनटोटा बंदरगाह पर लंगर डाला था। भारत ने इसे रक्षा हितों के खिलाफ बताते हुए श्रीलंका सरकार से कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी।
भारत का आरोप था कि चीन का यह टोही जहाज पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स के तहत काम करता है और इसके जरिये चीन कथिततौर पर भारत की सामरिक ख़ुफ़िया जानकारी जुटा रहा है। इतना ही नहीं युआन वैंग-5 के हंबनटोटा पर लंगर डालने के बाद से भारत से श्रीलंका को आर्थिक दुर्दशा के कारण दी जारी आर्थिक सहायता पर भी प्रश्न चिन्ह लगने लगा था। भारत की मदद के बदले श्रीलंका की एहसान फ़रामोशी से नाराज भारत सरकार ने इस कारण क्षेत्रीय असंतुलन पर भी चिंता जाहिर की थी।
वहीं चीन ने भारत के आरोपों पर सफाई देते हुए कहा था कि युआन वैंग-5 समुद्री अनुसंधान और सर्वेक्षण करने के लिए हंबनटोट बंदरगाह पर पहुंचा था। युआन वैंग-5 का हंबनटोटा पर लंगर डालने का मकसद केवल समुद्री अनुसंधान है और इस मामले में भारत को चिंता नहीं करनी चाहिए।