गली के कुत्तों को भी सम्मान के साथ जीने और खाने का अधिकार : दिल्ली हाईकोर्ट

By वैशाली कुमारी | Published: July 2, 2021 10:23 AM2021-07-02T10:23:41+5:302021-07-02T13:39:35+5:30

दिल्ली हाई कोर्ट ने पशु अधिकारों पर बात करते हुए एक फैसला सुनाया है। उन्होंने कहा कि कानून में गली के कुत्तों सहित सभी जानवरों को करुणा और सम्मान के साथ जीने का अधिकार है

Street dogs also have the right to live and eat, Delhi High Court's decision | गली के कुत्तों को भी सम्मान के साथ जीने और खाने का अधिकार : दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट ने पशु अधिकारों पर बात करते हुए एक फैसला सुनाया है

Highlightsहाईकोर्ट ने कहा कि क्षेत्रीय प्राणी होने के साथ अवारा या गली के कुत्ते गार्ड की भूमिका निभाते हैंहाईकोर्ट ने भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (RWA) व नगर निगमों को निर्देश जारी किया हैपशु कल्याण बोर्ड को दिशा निर्देशों का प्रचार प्रसार करने का आदेश दिया है

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने पशु अधिकारों पर बात करते हुए एक फैसला सुनाया है। उन्होंने कहा कि कानून में गली के कुत्तों सहित सभी जानवरों को करुणा और सम्मान के साथ जीने का अधिकार है। न्यायालय ने कहा कि गली के कुत्तों  को जीने के साथ-साथ खाने का भी अधिकार है और लोगों को उन्हें खिलाने का भी अधिकार है। हालाकि इस बात का ध्यान रखना होगा कि कुत्तों को खिलाने में किसी दूसरे व्यक्ति को नुकसान न हो।

कुत्तों को तय स्थानों पर खाना खिलाएं

उच्च न्यायालय में डॉ. माया डी चबलानी की ओर से इस मामले में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट जस्टिस जेआर मिधा ने अपने फैसले में बताया कि पशु आंतरिक मूल्यों के साथ-साथ एक संवेदनशील प्राणी भी है।

ऐसे में इनकी सुरक्षा करना सरकारी व गैर सरकरी संगठनों के साथ-साथ सभी नागरिकों की नैतिक जिम्मेदारी भी है। जस्टिस मिधा ने 87 पन्नों के फैसले में कहा है कि प्रत्येक कुत्ता एक क्षेत्रीय प्राणी है और उनको उसी इलाके में खाना खिलाने का प्रबंध होना चाहिए।

उन्होंने बताया कि क्षेत्रीय प्राणी होने के नाते कुत्तों को उस कॉलोनी में उन जगहों पर खाना खिलाने का प्रबंध होना चाहिए, जहां लोग कम आते जाते हैं। जस्टिस ने आवारा या गली के कुत्तों को खाना खिलाने और इलाज के लिए उपरोक्त टिप्पणी की है। 

पशु कल्याण बोर्ड को रखना होगा ध्यान

हाईकोर्ट ने भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (RWA) व नगर निगमों को निर्देश जारी किया है कि कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण करने के बाद उन्हें उसी इलाके में वापस लौटाना होगा, जहां से  कुत्तों को उठाया गया था और अगर उनमें से कोई भी घायल या अस्वस्थ है तो RWA का कर्तव्य होगा कि वह ऐसे कुत्ते के लिए नगर निगम द्वारा उपलब्ध कराए गए एनिमल डॉक्टर या निजी तौर पर RWA के कोष से इलाज कराएं।

हाईकोर्ट जस्टिस ने कहा कि संबंधित थाना प्रभारी की यह जिम्मेदारी होगी कि गली के कुत्तों को खाना खिलाने वाले और आम लोगों के बीच समन्वय बना रहे और किसी तरह की कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही पशु कल्याण बोर्ड को इन दिशा निर्देशों का अखबारों, टीवी, रेडियो व अन्य माध्यमों के जरिये प्रचार-प्रसार का भी आदेश दिया। 

कुत्ते गार्ड भी है

हाईकोर्ट ने फैसले मे कहा कि क्षेत्रीय प्राणी होने के साथ अवारा या गली के कुत्ते गार्ड की भूमिका निभाते हैं। क्षेत्रीय जानवर होने के चलते कुत्ते कुछ इलाकों में सीमित रहते हैं, ऐसे में ये कुत्ते कॉलोनी में बाहरी या अज्ञात लोगों के प्रवेश से वहां के लोगों की रक्षा करके गार्ड की भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि अगर कुत्तों को उनके निश्चित जगहों से हटा दिया जाएगा तो फिर नए आवारा कुत्ते उनकी जगह ले लेंगे।

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने आवारा या गली के कुत्तों को खाना, उनके इलाज व अधिकारों की रक्षा के लिए जारी दिशा-निर्देशों का प्रभावी तरीके से पालन करने के लिए एक समिति का गठन भी किया है।

Web Title: Street dogs also have the right to live and eat, Delhi High Court's decision

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