कहानीकार शशिभूषण द्विवेदी का निधन, सोशल मीडिया पर यूजर्स दे रहे श्रद्धांजलि
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 7, 2020 10:55 PM2020-05-07T22:55:58+5:302020-05-08T00:08:38+5:30
कहानीकार शशिभूषण द्विवेदी का गुरुवार (7 मई) को निधन हो गया। राजकमल प्रकाशन ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। सोशल मीडिया पर यूजर्स कहानीकार शशिभूषण को विनम्र श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
कहानीकार शशिभूषण द्विवेदी का गुरुवार (7 मई) को निधन हो गया। राजकमल प्रकाशन ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। वह 45 वर्ष के थे। उनके आकस्मिक निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है। शशिभूषण द्विवेदी का जन्म 26 जुलाई 1975 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में हुआ था। वह गाजियाबाद में रहते थे।
पारिवारिक सूत्रों ने मीडिया को बताया कि गुरुवार शाम हृदय गति रुक जाने के कारण उनका निधन हो गया। वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। दो साल पहले उनका कथा संग्रह 'कहीं कुछ नहीं' राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया था।
उन्हें उनकी कृतियों के लिए ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार, सहारा समय कथा चयन पुरस्कार और कथाक्रम कहानी पुरस्कार से नवाजा गया था। उनका ब्रह्महत्या नामक कथा संग्रह खासा लोकप्रिय हुआ था।
सोशल मीडिया पर यूजर्स कहानीकार शशिभूषण को विनम्र श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
”अभी-अभी पेड़ का एक पत्ता टूटकर गिरा।
— Rajkamal Prakashan 📚 (@RajkamalBooks) May 7, 2020
अभी-अभी हवा का एक झोंका आया। मैं जहाँ बैठा था वहीं बैठा रहा।“
कहानीकार शशिभूषण द्विवेदी का आज असमय देहावसान हो गया। शोक की इस घड़ी में राजकमल प्रकाशन समूह उनके परिवार के साथ है।
उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि 💐 pic.twitter.com/xV3t7cM2LU
रवि राजौली नाम के यूजर ने लिखा, ''अन्तिम जोहार के साथ विनम्र श्रद्धांजलि।''
अन्तिम जोहार के साथ विनम्र श्रद्धांजलि 😢🙏
— Ravi Rajauli (@RaviRajauli) May 7, 2020
सत्यानंद निरूपम नाम के यूजर ने कहानीकार शशिभूषण की लिखी पंक्तियों को ही ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
"मैं सिर्फ एक ही कहानी लिखना चाहता हूँ। एक मुकम्मल कहानी जिसे लिखने के बाद फिर कुछ और लिखने की जरूरत न रहे। पता नहीं ऐसा कुछ कभी लिख पाऊँगा या नहीं, लेकिन उस दिशा में कुछ कदम चलना जरूर चाहता हूँ।"
— Satyanand Nirupam (@satya_nirupam) May 7, 2020
~शशिभूषण द्विवेदी
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पत्रकार बिक्रम प्रताप ने लिखा, ''कभी मिला नहीं था। कभी बात भी नहीं हुई थी। फिर भी शशिभूषण द्विवेदी को पढ़ना अच्छा लगता था। उनका असमय गुजर जाना अखर गया। मन दुखी है।''
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