सबसे खतरनाक हाइवे, बर्फ की छत वाली सुंरग! श्रीनगर-लेह राजमार्ग इस महीने के अंत तक फिर होगा गुलजार
By सुरेश एस डुग्गर | Published: February 25, 2021 10:38 AM2021-02-25T10:38:26+5:302021-02-25T10:38:26+5:30
श्रीनगर-लेह राजमार्ग 28 फरवरी तक खुल जाएगा। बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) की टीम ने इस संबंध में घोषणा की है। खराब मौसम और भारी बर्फबारी के कारण ये राजमार्ग आमतौर पर साल के छह महीने बंद रहता है।
जम्मू: अमूमन छह महीनों तक बर्फ से बंद रहने वाला लेह राजमार्ग इस माह के अंत में गुलजार होने जा रहा है। इस राजमार्ग के बंद होने पर कई लोग 6 महीनों तक पूरी दुनिया से कट जाते हैं।
बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) की टीम ने 28 फरवरी को नेशनल हाईवे 1डी को खोलने की घोषणा की है। इस बार यह करीब ढाई महीने पहले ही खोला जा रहा है।
करगिल से मीनामार्ग तक चल रहे बर्फ हटाने के कार्य का निरीक्षण करने पहुंचे अधिकारियों ने बताया कि तीसरी दफा तीन महीने बाद ही हाईवे खुलने जा रहा है। पिछले साल भी ऐसा ही हुआ था। 28 फरवरी तक मार्ग खोलने का काम निपटाने का प्रयास किया जा रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि बर्फ हटाने के लिए 4 डोजर, 2 स्नो कटर लगातार लगाए गए हैं। एक डोजर और एक स्नो कटर मशीन को स्टैंड बाई पर रखा गया है।
श्रीनगर-लेह राजमार्ग माह के अंत तक दौड़ने लगेंगे वाहन
लद्दाख में सर्दियों के छह महीनों के लिए स्टाक जुटाने में अगले पांच महीने अहम होंगे। जरूरत का सामान जुटाने के लिए मार्च से सितंबर के बीच ट्रकों के करीब 30 हजार से ज्यादा फेरे लगेंगे।
राजमार्ग के छह महीनों तक बंद होने से लाखों लोगों का संपर्क शेष विश्व से कट जाता है। श्रीनगर से लेह 434 किमी की दूरी पर है। पर सबसे अधिक मुसीबतों का सामना सोनमार्ग से द्रास तक के 63 किमी के हिस्से में होता है।
बीआरओ के जवान हालांकि इन मुसीबतों से नहीं घबराते हुए अपना लक्ष्य पूरा करने पर लगे होते हैं। यहां माहौल भयानक सर्दी वाला होता है और तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे तक पहुंच जाता है। खतरा हमेश सिर पर ही मंडराता रहता है।
इसके बावजूद बीआरओ के जवान राजमार्ग को यातायात के योग्य बनाने की हिम्मत बटोर लेते हैं। मौसम इस राजमार्ग पर कितना बेदर्द होता है, इस बात की कल्पना इसी से लगाई जा सकती है कि सोनमर्ग से जोजिला तक का 24 किमी का हिस्सा सारा साल बर्फ से ढका रहता है और इसी बर्फ को काट जवान रास्ता बनाते हैं।
बर्फ की छत वाली सुंरग के बीच खतरनाक रास्ता
ये हाइवे सबसे खतरनाक रास्तों में से एक है। इसे रास्ता क्या बर्फ की बिना छत वाली सुरंग कहा ज सकता है। इससे गुजर कर जाने वालों को ऊपर देखने पर इसलिए डर लगता है क्योंकि चारों ओर बर्फ के पहाड़ों के सिवाय कुछ नजर नहीं आता।
बता दें कि साइबेरिया के पश्चात द्रास का मौसम सबसे ठंडा रहता है, जहां सर्दियों में अक्सर तापमान शून्य से 49 डिग्री भी नीचे चला जाता है।
राजमार्ग को सुचारू बनाने की खातिर दिन-रात दुनिया के सबसे खतरनाक मौसम से जूझने वाले इन कर्मियों के लिए यह खुशी की बात हो सकती है कि पिछले 3 सालों से किसी हादसे से उनका सामना नहीं हुआ है।
सोनमर्ग से जोजिला तक का 24 किमी का हिस्सा बीकन के हवाले है और जोजिला से द्रास तक का 39 किमी का भाग प्रोजेक्ट हीमांक के पास है। बीकन के कर्मी इस ओर से मार्ग से बर्फ हटाते हुए द्रास की ओर बढ़ते हैं और प्रोजेक्ट हीमांक के जवान द्रास से इस ओर आगे बढ़ते जाते हैं।
इस क्षेत्र में ठड ऐसी हो जाती है कि छह महीने तक लोग न तो घरों से निकलते हैं और न ही कोई कामकाज कर पाते हैं। जमा पूंजी खर्च करते हुए पेट भरते हैं। चारों तरफ बर्फ के पहाड़ों के बीच लद्दाख के लोगों को अक्टूब से मई तक के लिए खाने पीने की चीजों के अलाव रोजमर्रा की दूसरी चीजें भी पहले ही एकत्र कर रखनी पड़ती हैं। नमक हो या फिर तेल सब कुछ 6 महीने के स्टॉक के साथ जमा होता है।