एलओसी से विशेष रिपोर्ट: नजरें दुश्मन की मोर्चाबंदी पर, अंगुलियां ट्रिगरों पर

By सुरेश डुग्गर | Published: March 2, 2019 07:04 PM2019-03-02T19:04:44+5:302019-03-02T19:04:44+5:30

रेत के बोरे से बने बंकरों, गहरी खाईयों में मोर्चा संभाले और कहीं कहीं अस्थाई चौकिओं में तैनात जवानों की नजरें सीधी थी दुश्मन की मोर्चाबंदी पर और अंगुलियां ट्रिगरों पर इस प्रकार टिकी हुई हैं जिन्हें बस पलभर के इशारा देना ही काफी कहा जा सकता है।

Special report from LOC demonstrate preparation of Indian Army | एलओसी से विशेष रिपोर्ट: नजरें दुश्मन की मोर्चाबंदी पर, अंगुलियां ट्रिगरों पर

एलओसी से विशेष रिपोर्ट: नजरें दुश्मन की मोर्चाबंदी पर, अंगुलियां ट्रिगरों पर

 ’पूरी नजर रखी जाए और पल-पल की खबर दी जाए। दुश्मन जैसा हथियार इस्तेमाल करे वैसा ही जवाब दिया जाए।’ ‘ओवर एंड आऊट।’ सतर्कता बरतने की चेतावनी देने के बाद वायरलेस सेट से आवाज आनी बंद हो गई थी। सीमा सुरक्षा बल के जवानों को चौकिओं पर तैनात फौजी अधिकारियों ने वे कुछ निर्देश देने आरंभ कर दिए थे जो होते तो जंग की स्थिति में महत्वपूर्ण लेकिन उन्हें ’शांति‘ में ही इसलिए देने पड़े क्योंकि युद्ध की रणभेरी तो नहीं बजी थी परंतु युद्ध की परिस्थिति इस सीमा पर अवश्य पैदा हो गई थी। यह दशा उस भूरे चक सेक्टर की है जहां पर इंटरनेशनल बार्डर खत्म होता है और एलओसी शुरू होती है।

अंगुलियाँ ट्रिगर पर हैं   

रेत के बोरे से बने बंकरों, गहरी खाईयों में मोर्चा संभाले और कहीं कहीं अस्थाई चौकिओं में तैनात जवानों की नजरें सीधी थी दुश्मन की मोर्चाबंदी पर और अंगुलियां ट्रिगरों पर इस प्रकार टिकी हुई हैं जिन्हें बस पलभर के इशारा देना ही काफी कहा जा सकता है। यही नहीं मोर्टार फिट किए बैठे जवानों के लिए भी बस इशारे का इंतजार था।

आग उगलते  मोर्टार

बंदूकें और मोर्टार खामोश भी नहीं रहते। गोलियां नहीं आग उगलते हैं ये। रात को पटाखों की दीवाली तो जरूर देखी होगी, दिन में भी कान फोड़ू पटाखे और धमाकेे छोड़े जा रहे हैं। रोजाना रात की शुरूआत के साथ ही दीवाली मनाने की कोशिश आरंभ होती है। ’पाकी जवान शाम ढलते ही एलओसी पर गोलियों की बरसात शुरू कर देते हैं। वे दहशतजदा और भयाक्रांत होते हैं। इसलिए अपनी उपस्थिति दर्शाने की खातिर ऐसा करते हैं,’बीएसएफ की एक बटालियन के कमंाडेंट ने तपाक से कहा था।

जवान तैयार हैं सज-धज कर 

सीमा पर शांति भंग हो चुकी है। युद्ध के नजदीक की स्थिति है। यही कारण है कि नियमित सेना के जवान सज-धज कर तैयार खड़े हैं दुश्मन से मोर्चा लेने के लिए। सैनिक साजो सामान फिलहाल रक्षा खाई से पीछे है। भारत ऐसा इसलिए कर रहा है क्योंकि वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों की इज्जत करना चाहता है। लेकिन कहीं कहीं सीमा चौकिओं पर नियमित सेना भी तैनात की जा चुकी है।  सीमा पार की खबरें कहती हैं कि पाक रेंजर अब आंतरिक सुरक्षा की ड्यूटी में जुटने लगे हैं और उनका स्थान पाक सेना के नियमित जवान लेने लगे हैं। ’तभी तो हथियारों के इस्तेमाल में अंतर आया है,’ऐक सेनाधिकारी कहता है। परंतु उस पार ऐसा नहीं है। कहीं-कहीं छोटी तोपें तो नंगी आंखों से देखी जा सकती हैं और बड़े तोपखाने दूरबीन के सहारे।

यह सब एलओसी के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा के दृश्य हैं। फिलहाल यह विवाद का विषय है कि पाकिस्तान इसे वर्किंग बाऊंडरी मानता है तो भारत इंटरनेशल बार्डर। नतीजतन एक ओर अंतरराष्ट्रीय सीमा का सम्मान हो रहा है तो दूसरी ओर उल्लंघन। ऐसे में घरों को त्यागने वालों का सवाल थाः’आखिर कब तक हम नियमों-कानूनों में बंधे रहेंगें। कब समस्या को जड़ से उखाड़ फैंकेंगें।’

तैयारी दोनों ओर बराबर 

तैयारी दोेनों ओर से बराबर की है। लेकिन सैनिक इसे घबराने वाली बात नहीं बताते क्योंकि अगर सीमा के पार आक्रामक तैयारियां हैं तो इस ओर रक्षात्मक। ’हमने कभी भी पहल नहीं की है इसलिए हम रक्षात्मक तैयारियों में ही जुटे है,’सैनिक अधिकारियों के इस कथन पर नागरिकों को गुस्सा भी हैै। वे चाहते हैंः‘अगर शत्रु शत्रुतापूर्ण व्यवहार का त्याग नहीं करता तो हम क्यों लचीलापन दिखाते हैं।’ नतीजतन बोरिया बिस्तर बांध सुरक्षित स्थानों की ओर रवाना होने वालों की कतार दिनोंदिन लम्बी होती जा रही है।

परिस्थितियों का आलम यह है कि युद्ध का साया मंडरा रहा है सीमा पर। युद्ध होगा या नहीं, के प्रति कोई भविष्यवाणी करने में अपने आपको समर्थ तो नहीं पाता परंतु इतना अवश्य है कि ’मिनी युद्धों‘ की भविष्यवाणी अवश्य की जा रही है। मिनी युद्धों का रूप छोटी मोटी झड़पें भी हो सकता है और करगिल जैसा हमला भी।

सतर्कता की पराकाष्ठा 

यही कारण है कि अधिकतम सतर्कता की स्थिति में सेना के जवान अपनी मोर्चाबंदी में जरा सी भी ढील नहीं देना चाहते। वे जानते हैं कि दुश्मन के इरादे अच्छे नहीं हैं। वे उसकी दोस्ती और दुश्मनी के स्वाद को कई बार चख चुके हैं। इस बार वे पाकिस्तान का नाम दुनिया के नक्शे से मिटा देने के इच्छुक हैं। उन्हें भी इंतजार है उस घड़ी का जब उन्हें ऐसा करने के लिए बस हरी झंडी दिखलाई जाएगी।

Web Title: Special report from LOC demonstrate preparation of Indian Army

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