संस्कृत बोलने से मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है: लोकसभा में BJP सांसद गणेश सिंह
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 13, 2019 10:15 AM2019-12-13T10:15:46+5:302019-12-13T10:15:46+5:30
लोकसभा में संस्कृत केंद्रीय विश्वविद्यालय विधेयक, 2019 पर बहस के दौरान सिंह ने कहा कि अगर कंप्यूटर प्रोग्रामिंग संस्कृत में की जाती है, तो इससे परिणाम और ज्यादा बेहतर हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसा मैं नहीं बल्कि यह बात अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी नासा के रिसर्च में सामने आई है।
लोकसभा में संस्कृत केंद्रीय विश्वविद्यालय विधेयक, 2019 पर बहस के दौरान सिंह ने दावा किया कि अमेरिका के एक शैक्षणिक संस्थान के शोध से पता चलता है कि संस्कृत में बोलने से कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा सांसद गणेश सिंह ने गुरुवार को दावा किया कि संस्कृत भाषा को नियमित रूप से बोलने से तंत्रिका तंत्र को सक्रिय होता है और इससे मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रहता है।
लोकसभा में संस्कृत केंद्रीय विश्वविद्यालय विधेयक, 2019 पर बहस के दौरान सिंह ने दावा किया कि अमेरिका के एक अमेरिकी शैक्षणिक संस्थान द्वारा किए गए शोध के अनुसार, संस्कृत में बोलने से कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कंप्यूटर प्रोग्रामिंग संस्कृत में की जाती है, तो इससे परिणाम और ज्यादा बेहतर हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसा मैं नहीं बल्कि यह बात अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी नासा के रिसर्च में सामने आई है।
इसके अलावा, सिंह ने दावा किया कि कुछ इस्लामी भाषाओं सहित दुनिया की 97 प्रतिशत से अधिक भाषाएं संस्कृत की कोख से निकली है या संस्कृत पर आधारित हैं।
देश भर में वर्तमान में तीन डीम्ड संस्कृत विश्वविद्यालयों को परिवर्तित करके उसे संस्कृत केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्थापना की जाएगी। उन्होंने कहा कि ये तीन विश्वविद्यालय हैं: राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान व श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ (नई दिल्ली), और तिरुपति स्थित राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ।
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि सरकार सभी भारतीय भाषाओं को मजबूत करना चाहती है, चाहे वह तमिल, हिंदी, कन्नड़ हो या फिर बंगाली हो।
उन्होंने कहा कि संस्कृत शास्त्र को "ज्ञान का खजाना" कहा जाता है जिसमें विज्ञान से लेकर अर्थशास्त्र तक सब कुछ शामिल है। मंत्री ने इसके आगे कहा कि यही वजह है कि हमारी सरकार चाहती है कि अगली पीढ़ी इन पुस्तकों का अध्ययन करे।