सपा सांसद एसटी हसन ने 'Love Jihad' को बताया Political Stunt, मुस्लिम लड़कों से बोले- हिन्दू लड़कियों को बहन बना लो
By गुणातीत ओझा | Published: November 27, 2020 08:58 PM2020-11-27T20:58:11+5:302020-11-27T21:57:08+5:30
उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण के खिलाफ लाए गए अध्याधेश को समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने राजनीतिक स्टंट करार दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुस्लिम लड़के, हिन्दू लड़कियों को अपनी बहन की तरह मानें।
उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण के खिलाफ लाए गए अध्याधेश को समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने राजनीतिक स्टंट करार दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुस्लिम लड़के, हिन्दू लड़कियों को अपनी बहन की तरह मानें। सांसद एसटी हसन ने कहा कि भारत में हजारों वर्षों से अपना जीवनसाथी चुनने की आजादी है। बच्चे जब बालिग हो जाते हैं तो अपना जीवनसाथी खुद चुन लेते हैं। हिंदू मुस्लिम से शादी करता है। मुस्लिम हिंदू से शादी करता है। हालांकि ऐसा बहुत कम होता है। ऐसे मामलों में कई बार मर्जी से शादी हो जाने के बाद समाज का दबाव पड़ने पर लोग कह देते हैं कि हमें नहीं मालूम था कि मुस्लिम है।
सांसद एसटी हसन ने मुस्लिम युवकों से अपील की कि आप लोग हिंदू लड़कियों को बहन की तरह समझें। अब ऐसा कानून बना दिया गया है, जिससे उन्हें बुरी तरह से टॉर्चर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि खुद को बचाएं। किसी भी प्रलोभन या प्यार के चक्कर में न पड़कर अपनी जिंदगी बचाएं।
हाल ही में यूपी कैबिनेट की बैठक में अवैध धर्मांतरण कानून ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020’ के मसौदे को मंजूरी दे दी गई है। इस अध्यादेश में धर्म परिवर्तन करके शादी करने पर कोई रोक नहीं है। इस अध्यादेश के अनुसार, ऐसे विवाह के लिए जिसमें धर्म परिवर्तन होना हो, उसमें डीएम से अनुमति लेनी होगी। इसके लिए जिला मजिस्ट्रेट को दो माह पूर्व सूचना देनी होगी। इसका उल्लंघन करने पर छह माह से लेकर तीन वर्ष तक की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही 10 हजार रुपये का जुर्माना भी देना पड़ सकता है। इस अध्यादेश के अनुसार केवल धर्म परिवर्तन के लिए की गई शादी शून्य मानी जाएगी।
प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया था कि सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में भी कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। ऐसी स्थिति में कम से कम तीन साल की सजा होगी, यह सजा अधिकतम 10 वर्ष तक की हो सकती है। वहीं ऐसे मामलों में जुर्माने की राशि भी बढ़ाकर 50 हजार रुपये होगी। जबरन, मिथ्या, बलपूर्वक, प्रलोभन व उत्पीड़न कर किया गया धर्मपरिवर्तन गैरजमानती अपराध होगा। यह अपराध संज्ञेय होगा और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के न्यायालय में उसकी सुनवाई होगी।