सपा और बसपा लड़ सकते हैं 37-37 सीटों पर चुनाव, इन 6 सीटों पर नहीं उतारेंगे उम्मीदवार
By विकास कुमार | Published: January 11, 2019 09:03 PM2019-01-11T21:03:33+5:302019-01-11T21:03:33+5:30
दोनों पार्टियां अपना दल के खिलाफ भी उम्मीदवार नहीं उतारेंगे। अखिलेश यादव ने आज ही कहा है कि बीजेपी को हारने के लिए वो 2 कदम पीछे हटने को भी तैयार हैं। सपा और बसपा ने इस गठबंधन में कांग्रेस को नहीं शामिल किया है।
लोकसभा चुनाव से पहले मायावती और अखिलेश यादव के बीच गठबंधन की रूपरेखा तय हो गई हैं। दोनों पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा भी हो गया है। कल लखनऊ में दोपहर 12 बजे बुआ और बबुआ की साझा प्रेस कांफ्रेंस होने वाली है। इसके पहले ही मीडिया में हो रही चर्चा के अनुसार सपा और बसपा दोनों बराबर 37-37 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं। अमेठी और रायबरेली में दोनों पार्टियां उम्मीदवार नहीं उतारेंगी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दोनों पार्टियां अपना दल के खिलाफ भी उम्मीदवार नहीं उतारेंगे। अखिलेश यादव ने आज ही कहा है कि बीजेपी को हारने के लिए वो 2 कदम पीछे हटने को भी तैयार हैं। सपा और बसपा ने इस गठबंधन में कांग्रेस को नहीं शामिल किया है। कांग्रेस का RLD के साथ गठबंधन हो सकता है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के हाशिये पर होने के कारण सपा-बसपा गठबंधन ने उन्हें दूर रखना ही ठीक समझा।
हाल में ऐसे कई सर्वे सामने आये हैं जिसमें ये दावा किया गया है कि अगर सपा और बसपा का गठबंधन होता है तो बीजेपी को राज्य में जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ सकता है।
बीजेपी इस बार अमेठी और रायबरेली के लिए मजबूत उम्मीदवारों की तलाश कर रही है। पार्टी का इरादा गांधी परिवार को उसके गढ़ में ही चुनौती देने का है। नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ने हाल के दिनों में इन सीटों पर एक रणनीति के तहत राजनीतिक दौरे शुरू कर दिए हैं।
अखिलेश यादव और मायावती दोनों ने संसद में सवर्ण आरक्षण को लेकर पेश किए संविधान संशोधन बिल का समर्थन किया था। लेकिन सरकार पर लोकसभा चुनाव से पहले इस बिल को लाने के पीछे राजनीतिक मंशा होने का आरोप लगाया था।
उत्तर प्रदेश में सवर्णों का वोट मायावती को भी मिलता रहा है इसलिए उन्होंने इस बिल का समर्थन किया था।