सोनिया गांधी ने महंगाई, बेरोजगारी, राज्यसभा के 12 सदस्यों के निलंबन को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा, ममता बनर्जी की गतिविधियों पर मौन
By शीलेष शर्मा | Published: December 8, 2021 07:59 PM2021-12-08T19:59:15+5:302021-12-08T20:00:06+5:30
संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में हुई कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) की बैठक में सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि राज्यसभा के 12 सदस्यों का निलंबन संविधान और संसदीय नियमों का उल्लंघन है तथा सरकार का यह कदम अप्रत्याशित एवं अस्वीकार्य है।
नई दिल्लीः कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महंगाई, बेरोजगारी, राज्यसभा के 12 सदस्यों के निलंबन, टीकाकरण और नगालैंड की घटना को लेकर बुधवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि सीमा पर वर्तमान स्थिति एवं पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों पर संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पूर्ण चर्चा की जानी चाहिए।
ममता बनर्जी की कांग्रेस विरोधी राजनीतिक गतिविधियों पर सोनिया ने कोई टिप्पणी नहीं की। सोनिया विपक्षी दलों की एकजुटता के सवाल पर भी मौन रहीं। संसद के केंद्रीय कक्ष में पार्टी सांसदों को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा कि सरकार दावा कर रही है कि देश की अर्थव्यवस्था तेजी से रफ़्तार पकड़ रही है लेकिन वास्तविक सवाल यह है कि यह रफ़्तार किसके लिये है।
लाखों लोगों की रोज़ी -रोटी चली गयी ,लघु और माध्यम उद्योग पंगु हो गये, नोटबंदी और जीएसटी के गलत ढंग से लागू करने ने लोगों लोगों की आर्थिक रीढ़ तोड़ दी। इसके विपरीत कुछ कंपनियां आसमान छूता मुनाफा कमा रही हैं इससे यह साबित नहीं होता कि देश की अर्थव्यवस्था तेज़ी से प्रगति कर रही है।
सोनिया ने बैठक में चुन चुन कर मुद्दे उठाये और मोदी सरकार को घेरा। किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुये किसानों के परिवारों को चाहे मुआवजे देने का सवाल हो या महंगाई का मुद्दा सोनिया ने इन सबके लिये प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
12 सांसदों के निलंबन का मुद्दा उठाते हुये सोनिया ने आरोप लगाया कि मोदी एक तानाशाह की तरह सरकार चला रहे हैं जहां किसी को संसद में बहस ,चर्चा का अवसर नहीं दिया जाता। लगता है सरकार चर्चा से डरती है। उन्होंने कोविड की दुश्वारियों का भी जिक्र किया और नए वायरस को लेकर सरकार को सलाह दी कि करोना में सरकार ने जो लापरवाहियां की जिसको न दोहराएं।
सीपीपी की बैठक में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी और पार्टी के कई अन्य सांसद शामिल हुए। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने आखिरकार तीन कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया है।
इस सरकार की, कामकाज की सामान्य शैली के अनुसार, इन कानूनों को भी अलोकतांत्रिक ढंग से निरस्त किया गया जैसे पिछले साल इन्हें बिना चर्चा के पारित करा दिया गया था।’’ उन्होंने कहा कि किसानों के आंदोलन और कांग्रेस की ओर से पुरजोर ढंग से आवाज उठाने के बाद एक ‘अहंकारी सरकार’’ झुकने को विवश हुई।
मैं समझ नहीं पा रही हूं कि मोदी सरकार क्यों और कैसे इतनी असंवेदनशील है और समस्या की गंभीरता से इनकार करती आ रही है। ऐसा लगता है कि सरकार पर लोगों की पीड़ा का कोई असर नहीं है। उनके मुताबिक, सरकार ने पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतें घटाने के लिए जो कदम उठाए वह पूरी तरह अपर्याप्त हैं तथा उसने हर बार की तरह इस बार भी राज्यों पर जिम्मेदारी डाल दी जो पहले से ही वित्तीय बोझ का सामना कर रहे हैं।