एकनाथ खड़से का दावा- मेरी बेटी और पंकजा मुंडे की हार में BJP के कुछ नेताओं का हाथ
By भाषा | Published: December 5, 2019 05:45 AM2019-12-05T05:45:33+5:302019-12-05T05:45:33+5:30
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में रोहिणी खड़से और पूर्व मंत्री पंकजा मुंडेकी हार को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता एकनाथ खड़से ने बड़ा दावा किया है
भाजपा के वरिष्ठ नेता एकनाथ खड़से ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पार्टी की उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं करने को लेकर बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर परोक्ष तौर पर निशाना साधा और अपनी पुत्री रोहिणी और पूर्व मंत्री पंकजा मुंडे की हार के लिए पार्टी के कुछ नेताओं पर आरोप लगाया। खड़से ने विधानसभा चुनाव में पार्टी की 105 सीटें आने के लिए जिम्मेदार नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जो कि 2014 की 122 सीटों से कम है।
उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस पर परोक्ष रूप से एक और निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा ने सत्ता बरकरार रखी होती यदि पार्टी ने अपनी पूर्व सहयोगी शिवसेना की नयी सरकार में मुख्यमंत्री पद बांटने की मांग मान ली होती। संवाददाताओं ने जब यह पूछा कि क्या वह फडणवीस पर निशाना साध रहे हैं तो खड़से ने कहा, ‘‘मैं उस व्यक्ति के बारे में बात कर रहा हूं जिसने पूरे चुनावी प्रचार और रणनीति का नेतृत्व किया। मुझे इस समय किसी का नाम लेने की जरूरत नहीं है क्योंकि लोग पर्याप्त स्मार्ट हैं।’’ भाजपा ने इस वर्ष अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव में खड़से को टिकट देने से इनकार कर दिया था। हालांकि पार्टी ने उनकी बेटी को जलगांव जिले में उनके गृह क्षेत्र मुक्ताईनगर से टिकट दिया था।
यद्यपि रोहिणी खड़से शिवसेना के बागी चंद्रकांत पाटिल से चुनाव हार गईं। वहीं मुंडे बीड जिले में परली सीट पर अपने चचेरे भाई एवं राकांपा उम्मीदवार धनंजय मुंडे से हार गईं। खड़से ने कहा, ‘‘मेरा और पंकजा का यह विचार है कि भाजपा के कुछ नेताओं ने उन्हें और रोहिणी को हराने का प्रयास किया। मैंने प्रदेश भाजपा इकाई प्रमुख चंद्रकांत पाटिल को इस बारे में सूचित कर दिया है।’’ खड़से को 2016 में भूमि हथियाने के आरोपों को लेकर तत्कालीन भाजपा सरकार से राजस्व मंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए बाध्य किया गया था। भाजपा के दिवंगत दिग्गज नेता गोपीनाथ मुंडे की पुत्री पंकजा ने चुनाव में अपनी हार के बाद सोमवार को अपने ट्विटर परिचय से ‘भाजपा’ शब्द हटा दिया था।
इसके बाद उनके अगले राजनीतिक कदम को लेकर अटकलें लगायी जाने लगी थीं। यद्यपि उन्होंने मंगलवार को कहा कि दलबदल उनके खून में नहीं है और वह भाजपा नहीं छोड़ेंगी। खड़से ने कहा, ‘‘यदि चंद्रशेखर बावनकुले, विनोद तावड़े, प्रकाश मेहता और मुझे चुनाव मैदान से दूर नहीं रखा गया होता और अधिक सक्रिय तरह से शामिल किया गया होता तो परिणाम भाजपा के वर्तमान सीटों की संख्या से बेहतर होते।’’ उन्होंने फडणवीस पर परोक्ष तौर पर हमला बोलते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति चुनिंदा रुख नहीं अपना सकता कि वह भाजपा की जीत का श्रेय ले और हार की जिम्मेदारी से बचे। उन्होंने कहा कि भाजपा के उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं करने को लेकर जो जिम्मेदार हैं, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और उन्हें कार्रवाई का सामना करना चाहिए।
उन्होंने फडणवीस का नाम लिये बिना कहा, ‘‘मैं उस व्यक्ति के बारे में बात कर रहा हूं जिसने 21 अक्टूबर के चुनाव से पहले निर्णय किये जिसका परिणाम यह हुआ कि भाजपा और सीटें हारी।’’ खड़से ने शिवसेना की बारी बारी से मुख्यमंत्री होने की मांग को भाजपा द्वारा स्वीकार नहीं करने के निर्णय का भी उल्लेख किया जिसके परिणामस्वरूप उद्धव ठाकरे नीत पार्टी ने गठबंधन सरकार बनाने के लिए राकांपा और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया। उन्होंने कहा, ‘‘यदि हमने कुछ कदम पीछे लिये होते और शिवसेना के साथ उचित बातचीत की होती तो भगवा गठबंधन ने सरकार बरकरार रखी होती क्योंकि जनादेश भाजपा..शिवसेना के लिए शासन का था।’’ खड़से ने फडणवीस के नजदीकी सहयोगी एवं पूर्व मंत्री गिरीश महाजन पर भी निशाना साधा जो जलगांव से आते हैं। महाजन को उत्तर महाराष्ट्र में प्रचार की जिम्मेदारी दी गई थी जहां भाजपा ने खराब प्रदर्शन किया।