सूर्य ग्रहणः कोविड-19 को देखते हुए वेधशाला ने घर पर ही यंत्र बनाकर देखने का आव्हान किया
By बृजेश परमार | Published: June 20, 2020 09:30 PM2020-06-20T21:30:02+5:302020-06-20T21:30:02+5:30
वेधशाला में इस खगोलीय घटना को शंकु यन्त्र के माध्यम से प्रत्यक्ष देखा जा सकता है, लेकिन कोविड़-19 से सुरक्षा को देखते हुए वेधशाला ने यंत्र निर्माण की विधि बताते हुए इसे सोशल डिस्टेंस के साथ देखने का आग्रह किया है।
उज्जैनः रविवार को सूर्य ग्रहण के दौरान ही दोपहर 12.28 बजे परछाई भी साथ छोड़ देगी। 21 जून को दोपहर 12 बजकर 28 मिनट पर सूर्य की किरणें लम्बवत् होने के कारण परछाई शून्य हो जायेगी।
वेधशाला में इस खगोलीय घटना को शंकु यन्त्र के माध्यम से प्रत्यक्ष देखा जा सकता है, लेकिन कोविड़-19 से सुरक्षा को देखते हुए वेधशाला ने यंत्र निर्माण की विधि बताते हुए इसे सोशल डिस्टेंस के साथ देखने का आग्रह किया है। शासकीय जीवाजी वेधशाला अधीक्षक डा.राजेन्द्र प्रसाद गुप्त के अनुसार पृथ्वी के सूर्य के चारों ओर परिभ्रमण के कारण सूर्य 21-22 जून को उत्तरी गोलार्द्ध में कर्क रेखा पर लम्बवत् होता है।
कर्क रेखा की स्थिति 23 डिग्री 26 मिनट 11.09 सेकेण्ड उत्तरी अक्षांश पर है। 20 जून को सूर्य की क्रान्ति 23 डिग्री 26 मिनट 01 सेकण्ड उत्तर, 21 जून को सूर्य की क्रान्ति 23 डिग्री 26 मिनट 11 सेकण्ड एवं 22 जून को सूर्य की क्रान्ति 23 डिग्री 25 मिनट 57 सेकण्ड उत्तर होगी। इस प्रकार इस वर्ष सूर्य की चरम स्थिति 21 जून को रहेगी।
उज्जैन कर्क रेखा के नजदीक स्थित है। 21 जून को दोपहर 12 बजकर 28 मिनट पर सूर्य की किरणें लम्बवत् होने के कारण परछाई शून्य हो जायेगी। जिस कारण इस वर्ष हम इस खगोलीय नजारे को 21 जून को देख सकेंगे। वेधशाला में इस खगोलीय घटना को शंकु यन्त्र के माध्यम से प्रत्यक्ष देखा जा सकेगा। 12 बजकर 28 मिनट पर शंकु की परछाई नहीं दिखेगी।
21 जून को सूर्य अपने अधिकतम् उत्तरी बिन्दु कर्क रेखा पर होने के कारण उत्तरी गोलार्द्ध में दिन सबसे बड़ा तथा रात्रि सबसे छोटी होती है। 21 जून को उज्जैन में सूर्योदय प्रातः 05:42 पर तथा सूर्यास्त सांय 7:16 पर होगा। इस प्रकार दिन सबसे बड़ा 13 घन्टे 34 मिनट तथा रात्रि 10 घन्टे 26 मिनट की होगी। 22 जून के बाद सूर्य की दक्षिण की ओर गति प्रारम्भ हो जायेगी इसे दक्षिणायन का प्रारम्भ कहते है। 22 जून के बाद दिन धीरे-धीरे छोटे होने लगेंगे तथा 23 सितम्बर को दिन-रात बराबर होगें।
ऐसे देखें घर पर यंत्र बनाकर
कोविड-19 के सुरक्षा उपायों एवं प्रशासन के निर्देशों के अन्तर्गत इस वर्ष वेधशाला में इस खगोलीय घटना को दिखाना संभव नहीं होगा। खगोलीय रुचिकर दोपहर 12:28 बजे पर अपने घर के धूप वाले स्थान पर इस खगोलीय घटना को प्रत्यक्ष देख सकते हैं।
इसके लिये आपको किसी प्लाई या गत्ते पर बीच में बिना मत्थे वाली एक कील को सीधा लगाकर उसे धूप में रखना होगा। आप देखेंगे कि दोपहर 12 बजे कील की परछाई पश्चिम की ओर बन रही है यह परछाई धीरे-धीरे छोटी होती जाएगी ओर 12:28 पर कील की परछाई शून्य हो जाएगी। इसके पश्चात परछाई धीरे-धीरे पूर्व की ओर बढ़ना प्रारम्भ हो जाएगी।