आगरा के सामाजिक कार्यकर्ताओं की मांग, बंदरों को संरक्षित प्रजातियों की सूची से निकाला जाए
By भाषा | Published: November 15, 2018 04:06 AM2018-11-15T04:06:18+5:302018-11-15T07:35:56+5:30
सामाजिक कार्यकर्ताओं और पर्यावरणविदों ने बुधवार को बंदरों को वन्यजीव अधिनियम के तहत संरक्षित प्रजाति की सूची से निकालने की मांग की।
उत्तर प्रदेश के आगरा में एक बंदर द्वारा 12 दिन के बच्चे को उसकी मां की गोद से उठाकर ले जाने और पटककर मार देने की घटना के दो दिन बाद, कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और पर्यावरणविदों ने बुधवार को बंदरों को वन्यजीव अधिनियम के तहत संरक्षित प्रजाति की सूची से निकालने की मांग की।
यहां बंदरों के खतरे पर आयोजित एक सम्मेलन में यह मांग की गई। सम्मेलन को संबोधित करते हुए सत्यमेव जयते के न्यासी मुकेश जैन ने कहा कि एक दशक से हम मांग कर रहे हैं कि बंदरों को जंगलों में छोड़ा जाए।
इतना ही नहीं उनकी नसबंदी करने की व्यवस्था की जाए, लेकिन अब तक हम सरकारी अनुमति हासिल करने में विफल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बंदरों को वन्यजीव अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित प्रजातियों की सूची से निकालना चाहिए। आगरा नगर निगम के मुताबिक, शहर में बंदरों की संख्या 25,000 से ज्यादा है।
सम्मेलन में एक प्रस्ताव पारित करके बंदरों के हमलों के पीड़ितों के लिए पर्याप्त मुआवजे की मांग की गई है।