SM Krishna Death: 1962 में कांग्रेस दिग्गज केवी शंकर गौड़ा को हराया?, मद्दुर सीट से चुनावी अभियान की शुरुआत...

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 10, 2024 10:07 AM2024-12-10T10:07:43+5:302024-12-10T10:10:22+5:30

SM Krishna Death: विधान परिषद्, विधानसभा सदस्य, अध्यक्ष, उपमुख्यमंत्री, केंद्रीय विदेश मंत्री और राज्यपाल के रूप में कार्य किया।

SM Krishna Death 92 years old live Governor Maharashtra Foreign Minister defeated Congress veteran KV Shankar Gowda in 1962 started election campaign Maddur seat | SM Krishna Death: 1962 में कांग्रेस दिग्गज केवी शंकर गौड़ा को हराया?, मद्दुर सीट से चुनावी अभियान की शुरुआत...

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Highlightsकांग्रेस का नेतृत्व करने तक, वास्तव में राजनीति में उनकी पारी काफी लंबी रही। बेंगलुरु अमेरिकी राज्य कैलिफोर्निया में ‘सिलिकॉन वैली’ के विकल्प के रूप में उभरा।प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से जुड़े और फिर कांग्रेस में शामिल हो गए।

SM Krishna Death: कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा का सोमवार रात उनके आवास पर निधन हो गया। सोमनहल्ली मल्लैया कृष्णा केंद्र में विदेश मंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल भी रहे। अपने पांच दशक के राजनीतिक करियर में 92 वर्षीय कृष्णा ने केंद्र और राज्य सरकार में जो भूमिकाएं निभाईं, बहुत कम ऐसे राजनेता होंगे जिन्होंने उनके जैसे पदों पर काम किया होगा। उनके मित्र और करीबी लोग उन्हें एस. एम. के. कहा करते थे। उच्च शैक्षणिक योग्यता के साथ सौम्य और मृदुभाषी कृष्णा ने मुख्यमंत्री के रूप में कर्नाटक में प्रौद्योगिकी क्षेत्र को बढ़ावा देने और ‘‘ब्रांड बेंगलुरु’’ के निर्माण में अपनी भूमिका बखूबी निभाई। राज्य और केंद्र सरकार में विभिन्न अवसरों पर मंत्री रहने से लेकर लोकसभा और राज्यसभा सदस्य रहने तथा कर्नाटक में कांग्रेस का नेतृत्व करने तक, वास्तव में राजनीति में उनकी पारी काफी लंबी रही। उन्होंने विधान परिषद्, विधानसभा सदस्य, अध्यक्ष, उपमुख्यमंत्री, केंद्रीय विदेश मंत्री और राज्यपाल के रूप में कार्य किया।

सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘उन्होंने बेंगलुरु को वैश्विक मानचित्र पर लाने में सक्रिय भूमिका निभाई।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कृष्णा ने आईटी क्षेत्र को बढ़ावा दिया, जिसके परिणामस्वरूप बेंगलुरु अमेरिकी राज्य कैलिफोर्निया में ‘सिलिकॉन वैली’ के विकल्प के रूप में उभरा और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा हुए।’’

कर्नाटक के मांड्या जिले के सोमनहल्ली में एक मई, 1932 को जन्मे कृष्णा ने 1962 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज के. वी. शंकर गौड़ा के खिलाफ मद्दुर सीट से एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल करके अपने चुनावी अभियान की शुरुआत की थी। बाद में वह प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से जुड़े और फिर कांग्रेस में शामिल हो गए।

उन्होंने मैसूर के महाराजा कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की तथा यहीं के सरकारी ‘लॉ कॉलेज’ से कानून की डिग्री प्राप्त की। कृष्णा ने अमेरिका के डलास में साउथर्न मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी और बाद में जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में अध्ययन किया, जहां वे ‘फुलब्राइट स्कॉलर’ थे। ‘फुलब्राइट कार्यक्रम’, अमेरिका का अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रमुख कार्यक्रम है, जो 160 से अधिक देशों में छात्रों और विद्वानों को अध्ययन, अध्यापन, शोध कार्यों के लिए प्रदान किया जाता है। भारत में उन्होंने रेणुकाचार्य लॉ कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रोफेसर के रूप में काम किया।

वर्ष 1968 में एक ‘समाजवादी’ सांसद के रूप में वह पहली बार संसद पहुंचे और चौथी लोकसभा के सदस्य बने। कृष्णा पांचवीं लोकसभा के लिए भी चुने गए, लेकिन 1972 में उन्होंने राज्य की राजनीति में वापसी करना पसंद किया। वह विधान परिषद के लिए चुने गए और वाणिज्य, उद्योग और संसदीय मामलों के मंत्री बनाए गए, यह पदभार उन्होंने 1972 से 1977 तक संभाला।

वर्ष 1980 में वह लोकसभा में वापस आये और 1983-84 तक उद्योग राज्य मंत्री तथा 1984-85 तक वित्त राज्य मंत्री रहे। कानून में विशेषज्ञ कृष्णा 1989 में कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष बने और 1992 में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री बने। 1996 में वह राज्यसभा के लिए चुने गए और अक्टूबर 1999 तक इसके सदस्य रहे।

वर्ष 1999 के विधानसभा चुनाव से पहले वह कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष थे, जिसमें पार्टी ने जीत हासिल की। वह अक्टूबर 1999 से मई 2004 तक मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने दिसंबर 2004 से मार्च 2008 तक महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में कार्य किया और मई 2009 से अक्टूबर 2012 तक मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया।

वर्ष 2017 में वह भाजपा में शामिल हो गए, जिससे कांग्रेस के साथ उनका लगभग 50 साल पुराना नाता खत्म हो गया। उन्होंने सात जनवरी, 2023 को राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की। कृष्णा के परिवार में उनकी पत्नी प्रेमा कृष्णा और दो बेटियां - मालविका कृष्णा और शांभवी कृष्णा हैं।

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