सिमलीपाल नेशनल पार्कः  21 रेंजों में से 8 रेंज आग की चपेट में, जानें इसके बारे में

By सतीश कुमार सिंह | Published: March 4, 2021 06:51 PM2021-03-04T18:51:10+5:302021-03-04T19:46:56+5:30

सिमलीपाल नेशनल पार्क में पिछले कुछ दिनों से आग लगी हुई है। हैरानी की बात है कि इसकी कहीं कोई चर्चा नहीं है।

Simlipal National Park Mayurbhanj Odisha 8 ranges out of 21 ranges flames wildfire tiger reserve | सिमलीपाल नेशनल पार्कः  21 रेंजों में से 8 रेंज आग की चपेट में, जानें इसके बारे में

 2009 में यूनेस्को ने सिमलीपाल को वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फियर रिजर्व्स की लिस्ट में शामिल किया था। (file photo)

Highlightsसिमलीपाल नेशनल पार्क 5569 वर्ग किलोमीटर में फैला है।नेशनल पार्क में ऐलिफैंट रिजर्व और टाइगर रिजर्व जैसे संरक्षित क्षेत्र हैं।सिमलीपाल नेशनल पार्क में बंगाल टाइगर, एशियन ऐलीफेंट, गौर और चौसिंघा की बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।

मयूरभंजः ओडिशा के मयूरभंज का सिमलीपाल नेशनल पार्क भारत ही नहीं दुनिया की अनमोल संपदाओं में से एक है और इन दिनों आग के हवाले है।

इस जंगल को 21 रेंज में विभाजित किया गया है। इसके 8 रेंज में आग फैली हुई है। जैव विविधता के लिहाज से बेहद अहम माने जाने वाले सिमलीपाल के जंगल को औषधी का खजाना कहना गलत नहीं होगा। लेकिन देश के इस महत्वपूर्ण अंग को लगभग भुला दिया गया है.. इसके बारे में बात भी नहीं होती।

देश का तीसरा सबसे बड़ा जैवमंडल रिजर्व

लगातार लग रही यहां आग पर सरकारी तंत्र की नींद नहीं टूटी तो आने वाले दिनों में यह औषधी का खजाना खाक में मिल सकता है। चिंता का विषय यह है कि इस जंगल के दर्द को समझने वाला कोई नहीं है..सिमलीपाल के बारे में अगर आपने नहीं सुना है तो आपको बता दें कि यह देश का तीसरा सबसे बड़ा जैवमंडल रिजर्व है।

1994 को एक बायोस्फीयर यानी जैव मंडल रिजर्व घोषित

यहां वन्यजीव और अनेक वनस्पतियों की भरमार है। इस जंगल का नाम सिमलीपाल यहां पाए जाने वाले 'सिमुल' (रेशम कपास) के पेड़ों पर रखा गया है। यह राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व है जो ओडिशा के मयूरभंज जिले के उत्तरी क्षेत्र में स्थित है। 5,569 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले इस जंगल को भारत सरकार ने 22 जून 1994 को एक बायोस्फीयर यानी जैव मंडल रिजर्व घोषित किया था।

3,000 पौधों की प्रजातियां पाई जाती हैं

इस जंगल में ऑर्किड की 94 प्रजातियों के साथ-साथ 3,000 पौधों की प्रजातियां पाई जाती हैं। जीवों की बात करें तो यहां उभयचरों की 12 प्रजातियां, सरीसृपों की 29 प्रजातियां, पक्षियों की 264 प्रजातियां और स्तनधारियों की 42 प्रजातियों की पहचान हुई है जो सिमलिपाल की जैव विविधताओं की हकीकत बयां करती है। इस नेशनल पार्क में ऐलिफैंट रिजर्व और टाइगर रिजर्व जैसे संरक्षित क्षेत्र हैं, जहां बंगाल टाइगर, एशियन ऐलीफेंट, गौर और चौसिंघा की बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।

अक्षिता भंजदेव ने आवाज उठाई

2009 में यूनेस्को ने सिमलीपाल को वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फियर रिजर्व्स की लिस्ट में शामिल किया था।अक्षिता ने उठाई जंगल के लिए आवाजअब बात करते हैं सिमलीपाल की हो रही अनदेखी और उस महिला की जिसने इस जंगल की रक्षा के लिए आवाज उठाई है। सिमलीपाल नेशनल पार्क में लगी आग पर अक्षिता भंजदेव ने आवाज उठाई है।

उन्होंने जंगल में लगी आग का जिक्र करते हुआ कहा कि जैव विविधता और ऐतिहासिक दृष्टि से समृद्ध इस नेशनल पार्क की अनदेखी की जा रही है। इस अनदेखी के चलते यहां अवैध गतिविधियों को बढ़ावा मिला है। अक्षिता भंजदेव ने ट्वीट किया है कि मयूरभंज के जंगलों में पिछले हफ्ते 50 किलो हाथी के दांत बरामद हुए थे। जंगलों में जारी खनन और लकड़ी माफियाओं के गैंग के बारे में पता चला था। लेकिन इस बारे में कोई ध्यान नहीं दिया गया और मीडिया में इसे लेकर कोई कवरेज नहीं दी गई।

अक्षिता मयूरभंज रॉयल परिवार की सदस्य हैं

अक्षिता मयूरभंज रॉयल परिवार की सदस्य हैं। उन्होंने वीडियो जारी कर सिमलीपाल के जंगलों में हो रही अवैध गतिविधियों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की थी। अक्षिता का कहना है कि जंगलों में कई बार अवैध माइनिंग की खबरें सामने आई हैं और इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को मारा और सताया गया। ऐसा कहा जा रहा है कि जंगल में शिकारी, तस्कर और माइनिंग माफिया सक्रिय हैं और ये लोग अपने स्वार्थ के लिए जंगलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

अक्षिता भंजदेव ने सरकार से अपील की है कि जलवायु परिवर्तन के संतुलन को बनाये रखने के लिए, इस ओर ध्यान दिया जाए। इसके लिए अवैध खनन, अवैध शिकार और वनों की कटाई पर रोक लगनी चाहिए और यह हर राजनीतिक पार्टी की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

अक्षिता भंजदेव के ट्वीट के बाद केंद्र सरकार ने जंगल की आग को बुझाने में तेजी दिखाई है। वन और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने अधिकारियों को तुरंत एक्शन लेने और इस मामले की रिपोर्ट देने को कहा है। सैटेलाइट से मिली तस्वीरों में सिमलीपाल के जंगलों में 13 जगहों पर लगी आग देखी जा सकती है। आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग के 850 कर्मचारी सहित 1 हजार से ज्यादा लोग लगाए गए हैं।

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