जेल में पहली रात सिद्धू ने गले से नीचे नहीं उतारा सरकारी निवाला, घर से खाकर पहुंचे थे जेल
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 21, 2022 06:59 PM2022-05-21T18:59:27+5:302022-05-21T19:02:35+5:30
नवजोत सिंह सिद्धू को पहली रात पटियाला जेल की रोटी रास नहीं आयी। इसलिए जेल की पहली रात सरकारी खाने से मना कर दिया।
पटियाला: हरफनमौला पूर्व क्रिकेटर और राजनेता नवजोत सिंह सिद्धू को पहली रात पटियाला जेल की रोटी रास नहीं आयी। इसलिए जेल की पहली रात सरकारी खाने से मना कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रोड रेज मामले में एक साल जेल की सजा काटने पटियाला जेल पहुंचे नवजोत सिंह सिद्धू को बैरक नंबर 10 में रखा गया है।
जेल सूत्रों के मुताबिक बैरक नंबर 10 में नवजोत सिंह सिद्धू के अलावा चार अन्य कैदियों को भी रखा गया है। रात में जेल का खान न खाने की बात पर पता चला कि उन्होंने जेल में दाखिल होने से पहले ही अपना भोजन कर लिया था। पटियाला जेल की सिद्धू को कैदी नबर 1,37,683 के रूप में रजिस्टर्ड किया गया है।
58 साल के सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट से रियायत न मिलने के बाद शुक्रवार को पटियाला की अदालत में आत्मसमर्पण किया था। जिसके बाद उन्हें पुलिस सुरक्षा में पटियाला सेंट्रल जेल के लिए रवाना कर दिया गया था।
सिद्धू को तमाम कोशिशों के बावजूद आखिरकार साल 1988 के रोड रेज मामले में देल की चक्की पिसनी ही पड़ी, जो मामला लोअल कोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को इस मामले में एक साल के कैद की सजा सुनाई थी।
इससे पहले पंजाब के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की कमान थामे नवजोत सिंह सिद्धू जिस अमृतसर इस्ट सीट से आप प्रत्याशी जीवन कौर से चुनाव हारे थे। उनके साथ उसी विधानसभा सीट से चुनाव हारने वाले उनके विरोधी अकाली दल के बिक्रम सिंह मजीठिया भी नशीली दवाओं के एक मामले में पटियाला जेल में ही बंद हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने बीते गुरुवार को नवजोत सिंह सिद्धू को 34 साल पुराने रोडरेज मामले में एक साल की सश्रम कैद की सजा सुनाते हुए उन्हें किसी भी तरह की छूट देने से इनकार कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू के सजा के आदेश में कहा था कि सिद्धू को इस अपराध के लिए कोर्ट से मिलने वाली किसी भी तरह की अनुचित छूट से न्याय प्रणाली को धक्का पहुंचेगा और इससे जनता के नजरों में न्याय कानून प्रभावित होगा।
रोडरेज की घटना में सिद्धू के हाथों 65 साल के गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में सिद्धू को इस मामले में गैर इरादतन हत्या का दोषी करार दिया था। जेल की सजा से मुक्त करते हुए केवल 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया था।
इसके बाद गुरनाम सिंह के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर की थी, जिसमें सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सिद्धू को 1 साल कैद की सजा सुनाई थी। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)