क्या बरी उम्मीदवार के खिलाफ अपील को लंबित मामले के तौर पर देखा जाए, अदालत करेगी फैसला
By भाषा | Published: April 17, 2021 09:17 PM2021-04-17T21:17:46+5:302021-04-17T21:17:46+5:30
नयी दिल्ली, 17 अप्रैल क्या किसी मामले में आरोपी के बरी होने के खिलाफ की गई अपील को लंबित आपराधिक मामला माना जा सकता है और चुनाव के लिये नामांकन के समय इसका जिक्र नहीं करना क्या कदाचार की श्रेणी में आएगा, जिसके चलते किसी निर्वाचित उम्मीदवार को अयोग्य ठहराया जा सकता है? उच्चतम न्यायालाय ने इन विधिक सवालों पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की है।
यह मामला शीर्ष अदालत के समक्ष भाजपा नेता नेमीचंद लुवांग ने उठाया है जिन्होंने 2017 के मणिपुर विधानसभा चुनावों में आंद्रो सीट से कांग्रेस उम्मीदवार थोनाओजाम श्यामकुमार के निर्वाचन को चुनौती दी है।
लुवांग ने मणिपुर उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है जिसने कहा था कि किसी मामले में बरी किये जाने के खिलाफ की गई अपील को लंबित आपराधिक मामले के तौर पर नहीं देखा जा सकता और किसी उम्मीदवार को नामांकन पत्र दायर करते समय इसका उल्लेख करने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने उच्चतम न्यायालय के 2002 के एक फैसले का संदर्भ दिया जहां उसने कहा था कि उम्मीदवारों को नामांकन पत्र में उन्हें पूर्व में किसी भी आपराधिक मामले में सजा/बरी किये जाने/मुक्त किये जाने का जिक्र करना होगा, अगर कोई हो तो और यह भी बताना होगा कि क्या उन्हें कैद या जुर्माने से दंडित किया गया।
न्यायामूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायामूर्ति ऋषिकेष रॉय की पीठ ने लुवांग द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के लिये सहमति जाताई और श्यामकुमार व चुनाव लड़ने वाले अन्य उम्मीदवारों को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में इस पर उनका जवाब मांगा।
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