शिवराज सिंह चौहान को लेकर केंद्रीय नेतृत्व ने लिया बड़ा फैसला, लेकिन शिवराज कर सकते हैं विरोध

By विकास कुमार | Published: January 14, 2019 03:51 PM2019-01-14T15:51:45+5:302019-01-14T18:57:01+5:30

सुषमा स्वराज और शिवराज सिंह चौहान को आडवाणी खेमे का नेता माना जाता रहा है. ऐसे में विदिशा से लोकसभा चुनाव लड़ने के संकेत पार्टी में उनकी बड़ी भूमिका की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है

Shivraj Singh chauhan will fight from sushma swaraj vidisha seat, a big role awaited | शिवराज सिंह चौहान को लेकर केंद्रीय नेतृत्व ने लिया बड़ा फैसला, लेकिन शिवराज कर सकते हैं विरोध

शिवराज सिंह चौहान को लेकर केंद्रीय नेतृत्व ने लिया बड़ा फैसला, लेकिन शिवराज कर सकते हैं विरोध

मध्य प्रदेश में भाजपा की हार के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने शिवराज सिंह चौहान के लिए प्रदेश की राजनीति का दरवाजा बंद होता हुआ दिख रहा है. अब खबर है कि शिवराज को सुषमा स्वराज की लोकसभा सीट विदिशा से चुनाव लड़ाया जा सकता है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पहले ही एलान कर दिया है कि वो इस बार का चुनाव नहीं लड़ेंगी. ऐसे में शिवराज का इस सीट से लड़ना आने वाले समय में पार्टी में केंद्रीय स्तर पर उनके बड़ी भूमिका निभाने के संकेत की तरह देखा जा रहा है.

मध्य प्रदेश में किया गया निष्क्रिय 

मध्य प्रदेश के चुनाव में भाजपा की हार के बाद शिवराज सिंह चौहान पार्टी में अपने विरोधियों के सक्रिय होने से पहले ही एक्टिव हो गए और प्रदेश के तमाम क्षेत्रों में लोगों से घूम-घूम कर मिलने लगे. मध्य प्रदेश में कैलाश विजयवर्गीय के गुट को शिवराज विरोधी कहा जाता है. कैलाश विजयवर्गीय को अमित शाह का करीबी माना जाता है. चुनाव में हार के बाद शिवराज सिंह चौहान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनना चाहते थे लेकिन केंद्रीय नेतृत्व इस पर राजी नहीं हुआ.

केंदीय नेतृत्व ने शिवराज को साफ लफ्जों में कहा कि प्रदेश के सवर्ण पार्टी से नाराज हैं, ऐसे में नेता प्रतिपक्ष का पद किसी उच्च जाति के नेता को ही मिलना चाहिए. खुद को नकारे जाने के बाद शिवराज ने अपने खेमे के दो सवर्ण नेताओं के नाम का सुझाव भेजा, जिसमें नरोतम मिश्र का नाम भी शामिल था. लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि शिवराज विरोधी गुट के सक्रिय होने के बाद उनकी इस मांग को भी खारिज कर दिया गया. ऐसे में संघ और केंद्रीय नेतृत्व के करीबी माने जाने वाले गौतम भार्गव को नेता प्रतिपक्ष का पद सौंपा गया. 

आडवाणी खेमे के हैं शिवराज 

सुषमा स्वराज और शिवराज सिंह चौहान को आडवाणी खेमे का नेता माना जाता रहा है. ऐसे में विदिशा से लोकसभा चुनाव लड़ने के संकेत पार्टी में उनकी बड़ी भूमिका की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है. 2014 लोकसभा चुनाव से पहले लाल कृष्ण आडवाणी ने एक रैली में कहा था कि शिवराज सिंह चौहान ने बीमारू राज्य मध्य प्रदेश को विकसित राज्यों की श्रेणी में खड़ा कर दिया है. इसके लिए उनका बहुत अभिनंदन. वहीं उन्होंने नरेन्द्र मोदी की भी तारीफ की थी लेकिन शिवराज को उन्होंने मोदी से बेहतर बताया था.

ऐसा कहा जाता है कि 2014 में नरेन्द्र मोदी ने शिवराज को केंद्र में कृषि मंत्री का पद ऑफर किया था, लेकिन शिवराज ने उसे विनम्रता पूर्वक अस्वीकार कर दिया था. उसके बाद से ही केंद्रीय नेतृत्व इस ताक में बैठा था कि शिवराज को कब धरातल पर उतारा जाए. मध्य प्रदेश में पार्टी के हारने के बाद अमित शाह को ये मौका मिल गया. अमित शाह अब शिवराज को केंद्र की राजनीति में ही फिट करना चाहते हैं ताकि प्रदेश में नए नेतृत्व को मौका मिल सके.

शिवराज विरोधी गुट के कैलाश विजयवर्गीय को अमित शाह का करीबी माना जाता है. ऐसे में आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश बीजेपी के अन्दर विजयवर्गीय का कद और भी बढ़ सकता है. ऐसे में शिवराज के लिए भी यही अच्छा है कि वो अपने राजनीतिक भविष्य का ठिकाना केंद्र की राजनीति में ही खोजे, ऐसे भी किसी प्रदेश का 15 साल तक मुख्यमंत्री रहना कोई छोटा कार्यकाल नहीं है.
 

Web Title: Shivraj Singh chauhan will fight from sushma swaraj vidisha seat, a big role awaited