अपनों के बाद BJP के निशाने पर आए दिग्विजय, शिवराज ने कहा- बाहरी व्यक्ति डांट रहा है मंत्रियों को
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 22, 2019 08:08 PM2019-02-22T20:08:37+5:302019-02-22T20:08:37+5:30
विधानसभा सत्र में मंत्रियों के जवाब का विरोध करने के बाद दिग्विजय सिंह फिर मुसीबत में आ गए हैं. पहले उनके खिलाफ अपनी ही पार्टी के मंत्री उमंग सिंघार ने मोर्चा खोला, फिर कुछ विधायक असंतुष्ट नजर आए.
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा मंत्रियों को लेकर उठाए गए सवालों पर वे अपनी ही पार्टी में तो घिरते नजर आए, लेकिन अब भाजपा ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तो उन्हें बाहरी बताते हुए कहा कि वे मंत्रिमंडल में नहीं है, फिर भी मंत्रियों को डांट लगा रहे हैं. वहीं इंदौर भाजपा नगर अध्यक्ष गोपीकृष्ण नेमा ने सिंह को एक खुला पत्र लिखकर सिंह स्वयं को सुपर सीएम बता रहे हैं और लोकतंत्र का मजाक उड़ा रहे हैं.
विधानसभा सत्र में मंत्रियों के जवाब का विरोध करने के बाद दिग्विजय सिंह फिर मुसीबत में आ गए हैं. पहले उनके खिलाफ अपनी ही पार्टी के मंत्री उमंग सिंघार ने मोर्चा खोला, फिर कुछ विधायक असंतुष्ट नजर आए. इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखा और अपनी नाराजगी भी जताई, जिस पर मुख्यमंत्री ने मंत्री उमंग सिंघार को हिदायत भी दी
. यह मामला कांग्रेस के अंदरुनी तौर पर चल रहा था, लेकिन सत्र के गुरुवार को समाप्त होते ही सिंह के खिलाफ भाजपा ने सीधा हमला करना तेज कर दिया. भाजपा की ओर से सबसे पहले हमला पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया.
चौहान ने विदिशा में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री के साथ सुपर सीएम भी हैं. ढ़ाई मुख्यमंत्रियों की सरकार है. सचमुच में यह संवैधानिक संकट है कि एक बाहर का व्यक्ति जो मंत्रिमंडल में नहीं है, वह मंत्रियों को डांट रहा है. यह सरकार अपने अंतर्विरोधों के कारण ही गिर जाएगी.
नेमा ने लिखा पत्र
भाजपा के इंदौर नगर अध्यक्ष गोपीकृष्ण नेमा ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को एक खुला पत्र लिखकर कहा कि सिंह स्वयं को सुपर सीएम सिद्ध करने की कोशिश कर लोकतंत्र का मजाक उड़ा रहे हैं. नेमा ने अपने पत्र में सिंह द्वारा मंत्रियों को नसीहत देने को लेकर कहा है कि यह लोकतंत्र के अंतर्गत मान्य नैतिक सिद्धांतों की हत्या है.
आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि आप भी इसी सदन के सदस्य रहे हैं और पूर्व में प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे हैं. आपकों स्मरण होना चाहिए कि किसी मंत्री को दबाव प्रभाव में लेकर बयान देने एवं दिए गए बयान को बदलवाने का अलोकतांत्रिक तरीके से प्रयास करना निंदनीय एवं अनुचित है.
उन्होंने पत्र में लिया है कि तथाकथित सुपर सीएम के रुप में आपके द्वारा किए जा रहे इस प्रकार के कार्य जनचर्चा का विषय बन रहे हैं. अब प्रश्न यह है कि सदन में मंत्री आपसे चर्चाकर ही बयान देंगे? ऐसी नई व्यवस्था आप बनाना चाह रहे है, जो आपत्तिजक होने के साथ आलोचना के योग्य है.