शशि थरूर ने चिंता व्यक्त कर लिखा PM मोदी को खत, कहा- कहीं 'मन की बात' भी 'मौन की बात' न बन जाए, जानिए क्या है पूरा मामला
By रामदीप मिश्रा | Published: October 8, 2019 01:40 PM2019-10-08T13:40:59+5:302019-10-08T13:40:59+5:30
देश में बढ़ रहे मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या) के मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखने वाले रामचंद्र गुहा, मणि रत्नम और अपर्णा सेन समेत करीब 50 लोगों के खिलाफ मुजफ्फरपुर में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
कांग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर चिंता जताई है। उन्होंने यह चिंता 49 मॉब लिंचिंग की घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाने वाली हस्तियों के खिलाफ दर्ज की एफआईआर दर्ज पर व्यक्त की है। दो पेज के पत्र में, थरूर ने प्रधानमंत्री से अनुच्छेद 19 के संवैधानिक सिद्धांत का हवाला देकर भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देने की भी अपील की।
उन्होंने कहा, 'हम बिहार के मुजफ्फरपुर में 49 हस्तियों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर से काफी परेशान हैं, जिन्होंने 23 जुलाई को पीएम मोदी को पत्र लिखा था। उस पत्र में देश में हो रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं का जिक्र किया गया था। मॉब लिंचिंग चाहे सांप्रदायिक घृणा की की वजह से हो या फिर बच्चों के अपहरण की अफवाहों की वजह से हो, यह एक ऐसी बीमारी बन गई है जो तेजी से फैल रही है, और इन नागरिकों ने इसे आपके (मोदी) संज्ञान में लाने के लिए सही काम किया।'
तिरुवनंतपुरम के सांसद ने यह भी कहा, “भारत के नागरिकों के रूप में हम आशा करते हैं कि हममें से हर कोई निडर होकर राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों को आपके ध्यान में ला सकता है, ताकि आप उन्हें बता सकें। हम यह विश्वास दिलाना चाहते हैं कि आप भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का समर्थन करेंगे, इसलिए 'मन की बात'…'मौन की बात' न बन जाए।'
आपको बता दें कि देश में बढ़ रहे मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या) के मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखने वाले रामचंद्र गुहा, मणि रत्नम और अपर्णा सेन समेत करीब 50 लोगों के खिलाफ मुजफ्फरपुर में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। पुलिस ने यह जानकारी दी थी।
स्थानीय वकील सुधीर कुमार ओझा की ओर से दो महीने पहले दायर की गई एक याचिका पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) सूर्य कांत तिवारी के आदेश के बाद यह प्राथमिकी दर्ज हुई थी। ओझा ने कहा था कि सीजेएम ने 20 अगस्त को उनकी याचिका स्वीकार कर ली थी। इसके बाद सदर पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज हुई थी।
ओझा का आरोप था कि इन हस्तियों ने देश और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को कथित तौर पर धूमिल किया। पुलिस ने बताया था कि प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत दर्ज की गयी। इसमें राजद्रोह, उपद्रव करने, शांति भंग करने के इरादे से धार्मिक भावनाओं को आहत करने से संबंधित धाराएं लगाई गईं।