शहीद मंगल पाण्डेय जयंती: जानिए भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानी के जीवन से जुड़ी 10 बातें

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: July 19, 2018 07:45 AM2018-07-19T07:45:30+5:302018-07-19T07:45:30+5:30

ब्रिटिश अदालत ने पहले मंगल पाण्डेय को 18 अप्रैल 1857 को फांसी देने का फैसला किया था लेकिन अंग्रेज सिपाहियों के बीच विद्रोह फैलने की आशंका से डर गये और आठ अप्रैल को ही उन्हें फाँसी दे दी।

Shaheed Mangal Pandey Jayanti: Know 10 things related to the life of India's first freedom fighter | शहीद मंगल पाण्डेय जयंती: जानिए भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानी के जीवन से जुड़ी 10 बातें

शहीद मंगल पाण्डेय जयंती: जानिए भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानी के जीवन से जुड़ी 10 बातें

ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नायक मंगल पाण्डेय की आज जयंती है। इस मौके पर हम आपको बताते हैं, भारत की स्वंतत्रता के लिए जान देने वाले इस अमर बलिदानी के जीवन से जुड़ी प्रमुख बातें।

1- मंगल पाण्डेय का जन्म 19 जुलाई 1827 को आधुनिक उत्तर प्रदेश में हुआ था। मंगल पाण्डेय के जन्मस्थान को लेकर मतभेद है। कुछ इतिहासकारों के अनुसार मंगल पाण्डेय का जन्म फैजाबाद के करीब हुआ था। वहीं कुछ लोगों के अनुसार वो ललितपुर के पास स्थित एक गाँव में जन्मे थे। कुछ अन्य दावों के अनुसार मंगल पाण्डेय की पैतृक भूमि बलिया थी।

2- मंगल पाण्डेय 1850 के दशक में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल नैटिव इन्फैंट्री की छठीं कंपनी में सिपाही के रूप में नियुक्त हुए थे। कलकत्ता (अब कोलकाता) के  निकट स्थित बैरकपुर स्थित ब्रिटिश छावनी में तैनात थे। 

3- देश भर में अंग्रेज शासकों के खिलाफ पनप रहे गुस्से के अलावा मंगल पाण्डेय के विद्रोह की तात्कालिक वजह बनी थी ब्रिटिश सेना में इस्तेमाल के लिए चुनी गयी नई एनफील्ड पी-53 राइफल। सैनिकों के बीच ये अफवाह फैल गयी कि एनफील्ड पी-53 राइफल में इस्तेमाल किये जाने वाले नये कारतूस में सूअर और गाय की चर्बी का इस्तेमाल किया जा रहा है। एनफील्ड पी-53 राइफल में लगने वाले कारतूस का इस्तेमाल करने से पहले उनका ऊपरी खोल दाँत से खींच कर हटाना होता था। गाय या सूअर की चर्बी से बने कारतूस को दाँत से लगाकर इस्तेमाल करना होगा इस बात से हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों के सिपाही नाराज थे। 

4- 34वीं बंगाल नैटिव इन्फैंट्री के कमांडेंट जाने-माने ईसाई धर्मोपदेशक थे। माना जाता है कि उसके उपदेशों की वजह से भी भारतीय सैनिक में नाराजगी थी।

5- माना जाता है कि मंगल पाण्डेय ने कसम खा रखी थी कि उनके सामने जो भी पहला अंग्रेज अफसर सामने आएगा वो उसे मार देंगे।

6- मंगल पाण्डेय ने 29 मार्च 1857 को ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह किया था। उन्होंने अंग्रेज लेफ्टिनेंट बाग पर हमला कर दिया था। लेफ्टिनेंट डर के मारे जान बचाकर भागा गया था। मंगल पाण्डेय को गिरफ्तार कर लिया गया। 

7- ब्रिटिश अदालत ने पहले मंगल पाण्डेय को 18 अप्रैल 1857 को फांसी देने का फैसला किया था लेकिन अंग्रेज सिपाहियों के बीच विद्रोह फैलने की आशंका से डर गये और आठ अप्रैल को ही उन्हें फाँसी दे दी। फांसी के समय मंगल पाण्डेय की उम्र महज 29 साल थी। 

8- मंगल पाण्डेय के निधन के बाद 10 मई 1857 को मेरठ छावनी में अंग्रेजों के खिलाफ बगावत फूट पड़ी। इसके बाद यह आग पूरे देश में फैल गयी। रानी लक्ष्मीबाई, तांत्या टोपे और वीर कुँअर सिंह जैसे स्वतंत्रा-सेनानियों ने भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम की बागडोर संभाली। ब्रिटिश सेना की ताकत और भारतीय राजाओं-नवाबों के बीच आपसी एकता के अभाव में देश को 1857 में आजादी नहीं मिली सकी।

9- भारत सरकार ने 1984 में मंगल पाण्डेय की स्मृति में डाक टिकट जारी किया।

10- मंगल पाण्डेय के जीवन और अंग्रेजों के खिलाफ बगावत पर साल 2005 में "मंगल पाण्डेय- द राइजिंग" बनी थी। फिल्म में मंगल पाण्डेय की भूमिका आमिर खान ने निभायी थी। फिल्म का निर्देशन केतन मेहता ने किया है। मंगल पाण्डेय के जीवन पर नाटक "रोटी विद्रोह" लिखा गया है।

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Web Title: Shaheed Mangal Pandey Jayanti: Know 10 things related to the life of India's first freedom fighter

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