शहीद दिवसः इस कमरे में गांधी जी के हत्यारे गोडसे को रखा गया था छिपाकर, किसी को नहीं लगी भनक

By रामदीप मिश्रा | Published: January 30, 2018 11:08 AM2018-01-30T11:08:05+5:302018-01-30T11:11:00+5:30

mahatma gandhi's 70th death anniversary: इतिहासकार दीपक राव के अनुसार, मुंबई की स्पेशल ब्रांच ने गोडसे को जिस इमारत के कमरे में रखा था वह भूतल पर था।

shaheed diwas: the secret room where nathuram godse was kept after killing mahatma gandhi  | शहीद दिवसः इस कमरे में गांधी जी के हत्यारे गोडसे को रखा गया था छिपाकर, किसी को नहीं लगी भनक

Nathuram Godse Untold Story | नाथूराम गोडसे

नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस दिन पूरा देश शोक में डूब गया था, लेकिन आपको पता है कि बापू की हत्या करने वाले गोडसे को गिरफ्तार कर पुलिस ने कहां रखा था? दरअसल,  पुलिस ने उसे छिपाकर रखा था क्योंकि प्रशासन को अंदेशा था कि कहीं जनाक्रोश न भड़क जाए। इसकी भनक किसी को नहीं दी गई थी।

क्राइम ब्रांच ने दो हफ्ते तक छिपाकर रखा

इतिहासकार दीपक राव के अनुसार, नाथूराम गोडसे को मुंबई स्थित सीएसटी के पास स्पेशल ब्रांच की इमारत के एक कमरे में दो हफ्ते तक रखा गया था। क्राइम ब्रांच ने जानबूझकर गोडसे को सामान्य लॉकअप में नहीं रखा था। उसे शक था कि गांधी की हत्या से आक्रोशित भीड़ गोडसे को तलाश कर रही थी इसलिए उसे स्पेशल ब्रांच के रिकॉर्ड रूम में रखा गया था, ताकि कोई शक न कर सके।

यहां था कमरा

इतिहासकार दीपक राव के अनुसार, मुंबई की स्पेशल ब्रांच ने गोडसे को जिस इमारत के कमरे में रखा था वह भूतल पर था। गांधीजी की हत्या के तुरंत बाद गोडसे को दिल्ली से मुंबई लाया गया था और यहां रखा गया था। पहले वहां जमशेद दोराब नागरवाला का दफ्तर हुआ करता था, जो उन दिनों स्पेशल ब्रांच पुलिस के उपायुक्त थे। गांधीजी की हत्या के तुरंत बाद उन्हें दिल्ली पुलिस का अधीक्षक बनाकर जांच का जिम्मा सौंपा गया था।

सजा मिलने की बाद भी कमरे रहा रहस्य
 

स्पेशल ब्रांच की इमारत मुंबई शहर के बीचों बीच बनी हुई है। इस इमारत में एक हजार वर्गफीट का कमरा था। इस कमरे के बारे में कई वर्षों तक किसी को नहीं बताया गया। यहां तक की नाथूराम गोडसे को सजा मिलने के बाद भी इस कमरे को रहस्य में ही रहने दिया गया।

नागरवाला लेकर आए थे मुंबई

खबरों के अनुसार, इतिहासकार दीपक राव और हत्या की जांच कर रहे नागरवाला अच्छे दोस्त थे। नागरवाला ने राव को बताया था कि 17 फरवरी 1948 की सुबह उन्हें दिल्ली से फोन आया था और उन्हें बताया गया था कि वो गांधी जी की हत्या की जांच करेंगे। बाद में 1 मई 1960 को नागरवाला गुजरात के पहले आईजी नियुक्त किए गए थे और उन्होंने 13 वर्ष तक इस पद पर सेवाएं दी थीं। अपने रिटायरमेंट के बाद नागरवाला ने दीपक राव को बताया था कि गोडसे को मुंबई लाने का फैसला उन्होंने ही लिया था। जांच पूरी होने और गोडसे की सजा मुकर्रर होने के बाद नागरवाला को मुंबई लाए जाने संबंधी सभी सबूतों को मिटा दिया गया था।

प्रार्थना सभा में की थी हत्या

बापू की हत्या 30 जनवरी 1948 की शाम को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में गोली मारकर की गयी थी। वे यहां रोज शाम को प्रार्थना किया करते थे। 30 जनवरी 1948 की शाम को जब वे संध्याकालीन प्रार्थना के लिए जा रहे थे तभी नाथूराम गोडसे ने पहले उनके पैर छूने के बहाने से नीचे झुका और फिर सामने से उन पर बैरेटा पिस्तौल से तीन गोलियां दाग दी थीं। उस समय गान्धी अपने अनुचरों से घिरे हुए थे। गोडसे ने बापू की हत्या प्रार्थना सभा में शामिल होने से पहले ही कर दी थी। 

गोडसे को दी गई फांसी

हत्या के बाद गोडसे को गिरफ्तार कर मुकदमा चलाया गया जिसमें 8 नवंबर 1949 को उनका परीक्षण पंजाब उच्च न्यायालय, शिमला में किया गया था और फिर 15 नवंबर 1949 को नाथूराम गोडसे को अंबाला जेल में फांसी दे दी गई थी।

Web Title: shaheed diwas: the secret room where nathuram godse was kept after killing mahatma gandhi 

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