Shaheed Diwas 2021: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 5 सिद्धांत जो आज भी प्रासंगिक हैं
By अनुराग आनंद | Published: January 30, 2021 10:05 AM2021-01-30T10:05:15+5:302021-01-30T10:07:36+5:30
देश और दुनिया में आज भी महात्मा गांधी के सिद्धांत हमें सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। जानें कौन से 5 सिद्धांत बेहद अहम हैं।
नई दिल्ली: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या हुए कई दशक हो गए, लेकिन इसके बाद भी आज भारतीय लोगों के दिलों-दिमाग में गांधी बसे हुए हैं। उनकी कही बातें और उनके कई सिद्धांत आज भी भारत में प्रासंगिकता बनाए हुए है।
आज जिस तरह से दुनिया भर में असहिष्णुता, विभाजन और हिंसा फैली हुई है, ऐसे समय में महात्मा गांधी के विचारों को फॉलो किए जाने की शख्त जरूरत है। किसी मुल्क के लोगों के उज्जवल भविष्य के लिए गांधी की थ्योरी को प्रोत्साहित किया जाता है।
प्रत्येक वर्ष 30 जनवरी को देश और दुनिया भर में फैले भारतीय शहीद दिवस मनाते हैं। इसी दिन महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे नाम के शख्स ने साल 1948 में की थी। यह दिन गांधी जी को याद करने के साथ ही उनके सिद्धांतों को पुनर्जीवित करने का भी है।
ऐसे में आइए उनके 5 अहम सिद्धांतों को जानते हैं-
1 अहिंसा: अहिंसा के दर्शन की शुरुआत गांधी जी के संस्कृत शब्द 'अहिमसा' से हुई है। गांधी जी ने कहा था कि अहिंसा का मतलब सिर्फ शारीरिक हिंसा से बचना नहीं है बल्कि इसका अर्थ किसी जरूरत मंद को मदद नहीं करना भी एक तरह का हिंसा ही है। महात्मा गांधी का मानना था कि अहिंसा किसी भी क्रूर बल के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार है।
2. सादगी: गांधी जी का पूरा जीवन सादगी की मिसाल था। उन्होंने 'सादा जीवन और उच्च विचार' को अपनाया था। गांधी यह सिर्फ बोलते नहीं बल्कि व्यवहार में भी अपनाते थे, तभी तो यह उनकी पोशाक, प्रतिबद्धता और व्यवहार से स्पष्ट होता था। उनका मानना था कि हमें केवल उसी चीज का उपयोग करना चाहिए, जिसकी हमें आवश्यकता है।
3. सत्याग्रह: महात्मा गांधी के कार्य अहिंसा पर आधारित थे, जिसे वे सत्याग्रह कहते थे। सत्याग्रह की अपनी अवधारणा के साथ गांधी जी ने लोगों को बताया कि किस तरह सत्याग्रह लोगों को लालच और भय से बाहर निकलने में मदद करता है। सत्याग्रह को अपनाने के तकनीकी पहलू को भी गांधी ने बताया और कहा कि अपने अंदर से बुराई और असत्य को हराकर ही सत्याग्रह के तरीका को अपनाया जा सकता है।
4. स्वराज: हालांकि स्वराज का अर्थ "स्व-शासन" है लेकिन गांधी जी ने इसे पूरी तरह से नया अर्थ दिया। गांधी का स्वराज जीवन के सभी क्षेत्रों को समाहित करता है। उनके मुताबिक, जनता को अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए शिक्षित करना ही सही मायने में स्वराज प्राप्त करना है।
5. सच्चाई: महात्मा गांधी द्वारा सत्य की अवधारणा अपनी गलतियों से सीखने के बारे में बताती है। वह कहते थे कि हमारी सभी गतिविधियां सत्य पर आधारित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सत्य के बिना हमारे जीवन में किसी भी सिद्धांत या नियमों का पालन करना असंभव है।