शाह फैसल बनेंगे कश्मीर के नए उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के सलाहकार! जानें, आखिर क्यों लग रही हैं ऐसी अटकलें
By सुरेश एस डुग्गर | Published: August 12, 2020 02:42 PM2020-08-12T14:42:23+5:302020-08-12T14:42:23+5:30
शाह फैसल ने कहा, सियासत में जाने का मेरा फैसला गलत नहीं था और न ही इसके पीछे कोई गलत मकसद था, इसके बावजूद इसे राष्ट्रद्रोह समझा गया। यहां वही लोग हमें गालियां दे रहे हैं, जिनके लिए हम जेल में थे, इसलिए मैंने सियासत छोड़ आगे बढ़ने का फैसला किया है।
जम्मू: करीब एक साल पहले कारण बताओ नोटिस मिलने पर इस्तीफा देकर राजनीति में कूदने वाले आईएएस अधिकारी शाह फैसल इस अवधि में राजनीतिज्ञ जरूर बन गए चाहे उन्हें राजनीति करने का मौका नहीं मिला। इसी राजनीति का इस्तेमाल करते हुए वे अब पुनः आईएएस का पद संभालने वाले हैं। और अगर चर्चाओं पर विश्वास किया जाए तो वे नवनियुक्त उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के सलाहकार भी बनाए जा सकते हैं।
मनोज सिन्हा के एलजी का पद संभालते ही शाह फैसल ने अपनी पार्टी जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। फैसल अब राजनीति को गंदी सियासत कहते हैं। अगर उनके शब्दों को सही ढंग से पढ़ा जाए तो एक साल की अवधि में पीएसए के तहत कैद में काटने वाले फैसल फिर से आईएएस सेवा में आने को आतुर थे क्योंकि धारा 370 को हटा दिए जाने के बाद उन्हें जम्मू कश्मीर में राजनीति का कोई भविष्य नजर नहीं आ रहा है।
मुझे नहीं पता कि मैं आगे क्या करूंगा: शाह फैसल
पत्रकारों के साथ बात करते हुए वे अपने दर्द को बयां कर चुके हैं। उनके शब्दों को सुनिए, यह पूछे जाने पर कि क्या वह दोबारा सरकारी सेवा में शामिल होंगे तो फैसल कहते थे कि यह सरकार का विशेषाधिकार है। मैं हमेशा से व्यवस्था के बीच रहकर ही लोगों के लिए काम करने के लिए संकल्पबद्ध हूं। देखें, आगे क्या होता है। मुझे नहीं पता कि मैं आगे क्या करूंगा।
इतना जरूर था कि गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, शाह फैसल ने बेशक इस्तीफा दिया है, लेकिन यह इस्तीफा उन्होंने एक कारण बताओ नोटिस जारी होने के बाद दिया है। इसलिए जब तक उनके खिलाफ जारी जांच पूरी नहीं होती, वह कारण बताओ नोटिस का जवाब नहीं देते, इस्तीफे को स्वीकार करने या खारिज करने का फैसला नहीं लिया जा सकता।
धारा 370 को हटाए जाने पर जानिए शाह फैसल ने क्या कहा था?
अब तो वे धारा 370 को हटाए जाने की प्रक्रिया को भी सहमति प्रदान करते थे। एक साल तक वे इसके विरूद्ध आवाज उठाने की बात करते थे। वे कहते थे कि मैं इस बात को लेकर पूरी तरह स्पष्ट व संतुष्ट हूं कि 1949 में राष्ट्रीय सहमति के आधार पर संविधान में अनुच्छेद 370 का प्रावधान किया गया था और 2019 में राष्ट्रीय सहमति के आधार पर ही इसे समाप्त किया गया है।
उत्तरी कश्मीर में लोलाब, कुपवाड़ा के रहने वाले फैसल कहते थे कि सियासत में जाने का मेरा फैसला गलत नहीं था और न ही इसके पीछे कोई गलत मकसद था, इसके बावजूद इसे राष्ट्रद्रोह समझा गया। वर्ष 2009 की संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा के टॉपर रहे फैसल ने कहा कि जब आईएएस की परीक्षा पास की थी तो उस समय भी कई लोगों ने मुझे गद्दार कहा। मैं करीब एक साल तक जेल में रहा और मैंने इस दौरान पूरे हालात का अच्छी तरह मनन किया। कश्मीर के भविष्य को भी समझने का प्रयास किया। बहुत सोच विचार करने के बाद ही इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि सच्चाई से मुंह मोड़ना अनुचित है। कश्मीर में हमेशा के लिए सब कुछ बदल चुका है। जब मेरे पास कुछ बदलने की ताकत नहीं है तो फिर मैं क्यों लोगों को झूठे सपने दिखाऊं? यहां वही लोग हमें गालियां दे रहे हैं, जिनके लिए हम जेल में थे, इसलिए मैंने सियासत छोड़ आगे बढ़ने का फैसला किया है।
फैसल कहते थे कि उन्होंने जम्मू कश्मीर में लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए ही राजनीतिक दल बनाया था। तब उन्होंने कहा था कि वह सईद अली शाह गिलानी वाली सियासत नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि मैं व्यवस्था का आदमी हूं और व्यवस्था के बीच रहकर ही व्यवस्था को दुरुस्त करने में यकीन रखता हूं। और यह यकीन अब उन्हें पुनः नौकरी पर वापस जाने में ही दिख रहा है। ठीक एक राजनीतिज्ञ की ही तरह जो मौके की तलाश में होता है।