नयी दिल्ली, 11 नवंबर दिल्ली - राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बृहस्पतिवार को घने कोहरे के कारण छठ पूजा के दौरान सूर्य की रोशनी बाधित हुई और शहर में मौसम संबंधी प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण वायु गुणवत्ता एक बार फिर ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई।
हरित थिंक टैंक विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सीएसई) ने बताया कि यह कोहरा जन स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति है।
सीएसई की कार्यकारी निदेशक (अनुसंधान) अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा, ‘‘इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए उन मोर्चों पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है, जिससे प्रदूषण अधिक फैलता है, जैसे वाहनों से, कुछ उद्योगों से, अपशिष्ट जलाने से....। वहीं, भवन निर्माण, सड़क जैसे धूल फैलाने वाले स्रोतों पर तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता है।’’
दिल्ली में 24 घंटे का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 411 दर्ज किया गया। राष्ट्रीय राजधानी के 39 वायु गुणवत्ता निगरानी केन्द्रों में से अधिकतर में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गई। बुधवार को 24 घंटे का औसतन एक्यूआई 372 था।
फरीदाबाद (412), गाजियाबाद (461), ग्रेटर नोएडा (417) और नोएडा (434) में भी बृहस्पतिवार शाम चार बजे वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में दर्ज की गई।
एक्यूआई को शून्य और 50 के बीच 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 और 500 के बीच 'गंभीर' श्रेणी में माना जाता है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने बताया कि सुबह के समय हल्के कोहरे के साथ ही तापमान में गिरावट दर्ज की गई। दिल्ली में बृहस्पतिवार को न्यूनतम तापमान 12.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो इस मौसम का अभी तक का सबसे कम तापमान है।
उन्होंने बताया कि इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और सफदरजंग हवाई अड्डे पर दृश्यता स्तर गिरकर 600 से 800 मीटर तक हो गया।
सीएसई ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में मौजूदा कोहरे का कहर एक और दिन जारी रह सकता है। उसने कहा, ‘‘पिछले चार वर्ष में कोहरे की पहली घटना की तुलना करने पर मौजूदा कोहरा 2018 और 2020 के पहले कोहरे की अवधि से मिलता है जो छह दिन तक रही थी। अगर परिस्थितियों में सुधार नहीं होता है तो यह कोहरा 2019 के कोहरे से भी अधिक समय तक रह सकता है जो आठ दिन तक रहा था।’’
उसने कहा कि अपेक्षाकृत तेज हवाओं की स्थानीय परिस्थितियों के बावजूद इस साल कोहरे की लंबी अवधि का कारण शहर में प्रदूषण नियंत्रण उपायों की कमी हो सकती है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान एजेंसी ‘सफर’ ने बताया कि बृहस्पतिवार को दिल्ली में पीएम 2.5 उत्पन्न करने में 3,914 खेतों में पराली जलाए जाने का योगदान 26 प्रतिशत रहा, जो चार नवंबर से लगातार कम से कम 25 प्रतिशत दर्ज किया किया जा रहा है। पीएम 2.5 उत्पन्न करने में पराली जलाए जाने का योगदान रविवार को दिल्ली में 48 प्रतिशत रहा था, जो पांच नवंबर, 2018 के बाद से सर्वाधिक है। उस समय 58 प्रतिशत योगदान दर्ज किया गया थ।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को बृहस्पतिवार को फिर से एक पत्र लिखकर पराली जलाने के मुद्दे पर चर्चा के लिए एनसीआर के सभी राज्यों के साथ आपात बैठक बुलाने का अनुरोध किया।
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