अहमद पटेल का जाना कांग्रेस के लिए बड़ा बज्रपात, किसे विरासत सौंपेंगी सोनिया गांधी

By शीलेष शर्मा | Published: November 25, 2020 09:21 PM2020-11-25T21:21:43+5:302020-11-25T21:23:05+5:30

संकट मोचक के तौर पर कांग्रेस ने कामराज के बाद तीन नामों को याद किया, जिनमें प्रणब मुख़र्जी, जीतेन्द्र प्रसाद और अहमद पटेल शामिल हैं। 

Senior Congress leader Ahmed Patel passes away at 71 Sonia Gandhi will hand over the legacy | अहमद पटेल का जाना कांग्रेस के लिए बड़ा बज्रपात, किसे विरासत सौंपेंगी सोनिया गांधी

पार्टी नेतृत्व राहुल और सोनिया को फैसला करना है कि  पटेल की विरासत वे किसे सौंपते हैं। (file photo)

Highlightsअपनी राय सोनिया गाँधी को देकर पार्टी को उससे निजात दिलाई।पार्टी के सामने पटेल के जाने से एक गहरा संकट खड़ा हो गया है।सोनिया गाँधी तक अहमद पटेल ने इन सभी मोर्चों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। 

नई दिल्लीः कांग्रेस के कोषाध्यक्ष और सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल का जाना कांग्रेस के लिए उस समय जब कांग्रेस अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही यही, एक बड़ा झटका है। 

संकट मोचक के तौर पर कांग्रेस ने कामराज के बाद तीन नामों को याद किया, जिनमें प्रणब मुख़र्जी, जीतेन्द्र प्रसाद और अहमद पटेल शामिल हैं। प्रणब मुख़र्जी राष्ट्रपति बनने  के बाद पार्टी से दूर चले गए, जीतेन्द्र प्रसाद पहले ही चल बसे  नतीजा पार्टी के सामने अब केवल अहमद पटेल थे। 

जब जब पार्टी के सामने कोई राजनीतिक संकट आया उन्होंने बड़ी चतुराई से उसमें कामयाबी हासिल की।  चुनाव की रणनीति बनाने से लेकर , गठबंधन की राजनीत को संभालने और संघटन के अंदर असंतोष पर नियंत्रण करने जैसे अहम् मुद्दों पर उन्होंने अपनी राय सोनिया गाँधी को देकर पार्टी को उससे निजात दिलाई।

आज पार्टी के सामने पटेल के जाने से एक गहरा संकट खड़ा हो गया है क्योंकि उसके पास ऐसा कोई दिमाग नहीं जो राजनीतिक सूझबूझ से साथ साथ पार्टी की आर्थिक हालातों  को सुधारने  की क्षमता रखता हो।  पी वी नरसिम्हा राव से लेकर सोनिया गाँधी तक अहमद पटेल ने इन सभी मोर्चों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। 

आज जब कांग्रेस आंतरिक गतिरोध के साथ साथ भाजपा से दो दो हाथ कर रही है , उस समय जब एक के बाद एक पार्टी को चुनावी पराजय का सामना करना पड़  रहा है उस समय अहमद पटेल का जाना एक बज्रपात से काम नहीं।  पार्टी के सामने अब कुछ ही चेहरे हैं जिनका उपयोग पार्टी ऐसे संकटों से उभरने में कर सकती है।  यह सही है कि  ये चेहरे अहमद पटेल की भरपाई तो नहीं कर सकेंगे लेकिन संबल  अवश्य दे से सकेंगे।  इन नामों में एके एंटोनी , पी चिदंबरम, अशोक गहलोत और ग़ुलाम नबी आज़ाद के नाम शामिल हैं। 

यह दुर्भाग्य है कि  अंटोनी बीमारी से ग्रस्त हैं और अपनी आयु के कारण उतनी सक्रियता नहीं दिखा पाएंगे जितनी पार्टी को ज़रूरत है।  पी चिदंबरम स्वभाव से उन मानदंडों पर खरे नहीं उतर सकते , उनका अक्कड़ स्वभाव और भाषा की लाचारी सबसे बड़ा संकट का कारण है।

अशोक गहलोत का नाम विकल्प के रूप में देखा जा सकता है क्योंकि वे गाँधी परिवार के निकट भी हैं और सभी दलों में उनके संपर्क हैं , लंबा राजनैतिक जीवन और सादगी उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है।  अंतिम ग़ुलाम नवी आज़ाद का नाम बचता है  जो इस समय ग्रोपु 23 के सदस्य हैं और पार्टी नेतृत्व से नाराज़ चल रहे हैं।  यह सही है कि  अब ग्रुप  23 के पास वह ताकत नहीं रही जो पटेल के रहते थी , तब बीच का रास्ता निकालने के लिए पटेल मौजूद थे नतीजा ग्रुप 23 भी अब बिखर जाएगा। पार्टी नेतृत्व राहुल और सोनिया को फैसला करना है कि  पटेल की विरासत वे किसे सौंपते हैं।  

Web Title: Senior Congress leader Ahmed Patel passes away at 71 Sonia Gandhi will hand over the legacy

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