'भारतीय सभ्यता' के संदर्भ में धर्मनिरपेक्षता को परिभाषित किया जाए: हिमंत बिस्व सरमा

By भाषा | Published: July 21, 2021 07:21 PM2021-07-21T19:21:44+5:302021-07-21T19:21:44+5:30

Secularism should be defined in the context of 'Indian Civilization': Himanta Biswa Sarma | 'भारतीय सभ्यता' के संदर्भ में धर्मनिरपेक्षता को परिभाषित किया जाए: हिमंत बिस्व सरमा

'भारतीय सभ्यता' के संदर्भ में धर्मनिरपेक्षता को परिभाषित किया जाए: हिमंत बिस्व सरमा

गुवाहाटी, 21 जुलाई असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बुधवार को धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा को 'भारतीय सभ्यता' के संदर्भ में परिभाषित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही, मीडिया पर वाम-उदारवादियों को तरजीह देने का आरोप लगाया।

सरमा ने वामपंथी बुद्धिजीवियों, उदारवादियों और मीडिया पर निशाना साधते हुए दावा किया कि देश के बौद्धिक समाज में अब भी वाम-उदारवादियों का वर्चस्व है और मीडिया ने वैकल्पिक आवाजों की अनदेखी करते हुए उन्हें ज्यादा स्थान दिया है।

वह एक समारोह को संबोधित कर रहे थे, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने एक पुस्तक का विमोचन किया।

सरमा ने दावा किया, ‘‘बौद्धिक आतंकवाद फैलाया गया है और देश के वामपंथी कार्ल मार्क्स से भी अधिक वामपंथी हैं। मीडिया में कोई लोकतंत्र नहीं है ... उनके यहां भारतीय सभ्यता के लिए कोई जगह नहीं है लेकिन कार्ल मार्क्स और लेनिन के लिए जगह है।"

भारत के दक्षिणपंथी लंबे समय से धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा पर सवाल खड़े करते रहे हैं। इस अवधारणा का पश्चिमी देशों के विचारकों और भारतीय बुद्धिजीवियों द्वारा समर्थन किया गया है, जिनका कहना है कि राज्य को सभी धर्मों से समान दूरी रखनी चाहिए।

सरमा ने आरोप लगाया कि मीडियाकर्मी निजी बातचीत में वैकल्पिक विमर्श पर सहमत हो सकते हैं, लेकिन वे वामपंथी-उदारवादियों को जगह देने को तरजीह देते हैं क्योंकि यह एक स्वतंत्र दृष्टिकोण को दर्शाता है।

उन्होंने कहा, "वामपंथी सोच को चुनौती दी जानी चाहिए और अस्तित्व के लिए हमारे लंबे संघर्ष, इतिहास पर आधारित अधिक विचारोत्तेजक पुस्तकों को सही परिप्रेक्ष्य में तैयार किया जाना चाहिए।’’

असम के मुख्यमंत्री ने हालांकि, यह स्पष्ट नहीं किया कि भारतीय सभ्यता के संदर्भ में धर्मनिरपेक्षता को किस प्रकार परिभाषित किया जाए, लेकिन उन्होंने जोर दिया कि भारत ऋग्वैदिक काल से ही धर्मनिरपेक्ष देश रहा है।

उन्होंने कहा, "हमने दुनिया को धर्मनिरपेक्षता और मानवता की धारणा दी है। हमारी सभ्यता पांच हजार साल पुरानी है और हमने युगों से विचार, धर्म और संस्कृति की विविधता को स्वीकार किया है।"

संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का जिक्र करते हुए सरमा ने कहा कि इस पर दो विचार हैं- असम के बाहर प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सिर्फ हिंदुओं को ही नागरिकता क्यों दी जाए, मुस्लिम प्रवासियों को भी इसके दायरे में लाया जाए।

उन्होंने दावा किया कि राष्ट्रीय स्तर पर तथाकथित धर्मनिरपेक्ष प्रदर्शनकारियों ने पूरे प्रदर्शन को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की।

उन्होंने कहा कि सीएए उन लोगों के लिए है जिन्होंने देश के विभाजन का दंश झेला और धर्म के आधार पर बने साम्प्रदायिक देश के लोगों के लिए नहीं है।

सीएए के अनुसार भारतीय नागरिकता पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के उन हिंदुओं, बौद्ध, जैन, सिख, पारसी और ईसाइयों को दी जा सकती है जो दिसंबर 2014 की समाप्ति से पहले भारत आए थे और जिन्होंने अपने मूल देश में धार्मिक अत्याचार सहा था।

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Web Title: Secularism should be defined in the context of 'Indian Civilization': Himanta Biswa Sarma

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