गुरु को परमात्मा घोषित कराने के लिए शिष्य ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका, अदालत ने की खारिज, लगाया 1 लाख का जुर्माना

By मनाली रस्तोगी | Published: December 5, 2022 05:30 PM2022-12-05T17:30:06+5:302022-12-05T17:32:30+5:30

यह देखते हुए कि याचिका एक प्रचार हित याचिका है, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता उपेंद्र नाथ दलाई पर 100,000 रुपये का जुर्माना लगाया।

SC dismisses Paramatma PIL imposed a penalty of 1 lakh rupees on petitioner | गुरु को परमात्मा घोषित कराने के लिए शिष्य ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका, अदालत ने की खारिज, लगाया 1 लाख का जुर्माना

गुरु को परमात्मा घोषित कराने के लिए शिष्य ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका, अदालत ने की खारिज, लगाया 1 लाख का जुर्माना

Highlightsसुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि भारत में हर किसी को अपना भगवान चुनने का अधिकार है।कोर्ट में एक विशेष आध्यात्मिक नेता को 'परमात्मा' घोषित करने की याचिका दाखिल की गई थी।कोर्ट ने याचिकाकर्ता उपेंद्र नाथ दलाई पर 100,000 रुपये का जुर्माना लगाया।

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि भारत में हर किसी को अपना भगवान चुनने का अधिकार है। दरअसल, कोर्ट में एक विशेष आध्यात्मिक नेता को 'परमात्मा' घोषित करने की याचिका दाखिल की गई थी, जिसके जवाब में कोर्ट ने ये बयान दिया। 

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने याचिका खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा, "भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और याचिकाकर्ता को यह प्रार्थना करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है कि भारत के नागरिक श्री श्री ठाकुर अनुकुल चंद्र को परमात्मा के रूप में स्वीकार कर सकते हैं।" यह देखते हुए कि याचिका एक प्रचार हित याचिका है कोर्ट ने याचिकाकर्ता उपेंद्र नाथ दलाई पर 100,000 रुपये का जुर्माना लगाया।

पीठ ने कहा, "अब लोग इस तरह की जनहित याचिका दायर करने से पहले कम से कम चार बार सोचेंगे।" सुप्रीम कोर्ट ने दलाई से चार सप्ताह के भीतर जुर्माना जमा करने को कहा। बताते चलें कि दलाई ने हिंदी में तर्क दिया कि वह चाहते हैं कि श्री श्री ठाकुर अनुकुल चंद्र को 'परमात्मा' घोषित किया जाए जो कि ईश्वर की कृपा से अवतरित हुए।

वहीं, बेंच ने कहा, "आप चाहें तो उन्हें परमात्मा मान सकते हैं। इसे दूसरों पर क्यों थोपें? हम ये लेक्चर सुनने नहीं आए हैं। हम सेक्युलर देश हैं। आप मानो कि एक ही गुरु जी हैं। ऐसे कभी होता है भैया? सबको पूरा अधिकार है देश में। जिसको धर्म मानना है माने, जिसको जो मानना है माने।"

Web Title: SC dismisses Paramatma PIL imposed a penalty of 1 lakh rupees on petitioner

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