शिवसेना नेता संजय राउत बोले- भगवान इंद्र का सिंहासन मिले तब भी बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 22, 2019 10:34 AM2019-11-22T10:34:28+5:302019-11-22T10:34:28+5:30
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे इसका पूरा ध्यान रख रहे हैं कि पार्टी में किसी भी तरह की फूट या धोखेबाजी न हो. उन्होंने शिवसेना के नवनिर्वाचित विधायकों को शुक्रवार, 22 नवंबर को 'मातोश्री' में बुलाया है.
शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा है कि भगवान इंद्र का सिंहासन मिले तब भी शिवसेना भाजपा के साथ नहीं आएगी. जब राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है तो ऐसे में राज्यपाल से मिलने की क्या जरूरत है.
राउत ने कहा है कि कौन मुख्यमंत्री होगा जल्द ही पता चलेगा, 5 साल शिवसेना का ही मुख्यमंत्री होगा. इसपर सभी की सहमति है, सभी की भावना है कि उद्धव ठाकरे सीएम बनें, उम्मीद है कि वो इस भावना का सम्मान करेंगे. शरद पवार ने सीएम के लिए मेरा नाम आगे नहीं बढ़ाया है, महाराष्ट्र की जनता की इच्छा है कि उद्धव ठाकरे सीएम बनें.
शिवसेना के विधायकों की बारात चली जयपुर!
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे इसका पूरा ध्यान रख रहे हैं कि पार्टी में किसी भी तरह की फूट या धोखेबाजी न हो. उन्होंने शिवसेना के नवनिर्वाचित विधायकों को शुक्रवार, 22 नवंबर को 'मातोश्री' में बुलाया है. सूत्रों का कहना है कि पहले बैठक होगी. उसके समाप्त होने के बाद शिवसेना के विधायकों और उसको समर्थन देने वाले 7 निर्दलीय विधायकों को कम से कम 4 से 5 दिनों के लिए जयपुर भेजा जा सकता है. इसीलिए इन सभी विधायकों को 4-5 दिनों के लिए कपड़े, पहचान पत्र, पैनकार्ड व आधारकार्ड लेकर मातोश्री आने का आदेश दिया गया है.
Sanjay Raut, Shiv Sena: Shiv Sena Chief Minister will be there for full 5 years. #Maharashtrapic.twitter.com/RDt8hXCC11
— ANI (@ANI) November 22, 2019
एनसीपी-कांग्रेस देगी शिवसेना को दो प्रस्ताव
पहले प्रस्ताव में शिवसेना को मुख्यमंत्री का पद और 14 मंत्री पद मिलेंगे. राकांपा को उपमुख्यमंत्री पद एवं 14 मंत्री पद मिलेंगे। कांग्रेस को उपमुख्यमंत्री पद और 12 मंत्री पद मिलेंगे. दूसरे फार्मूले में मुख्यमंत्री पद शिवसेना को, कांग्रेस-राकांपा को एक-ए़क उपमुख्यमंत्री पद तथा तीनों दलों को 14-14 मंत्री पद मिलेंगे. अब आज उद्धव को इनमें से किसी एक फार्मूले पर मुहर लगानी होगी.
सूत्रों का कहना है कि अगर शिवसेना मंत्री पदों के बराबर बंटवारे से इनकार कर देती है, तो राकांपा गृह, वित्त, जबकि कांग्रेस राजस्व और ग्रामीण विकास जैसे मंत्रालय मांगेगी। हालांकि, शहरी विकास मंत्रालय तब भी शिवसेना को दिए जाने की पेशकश होगी.