अपने बयान से पटले कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज, कहा- पाक को पटेल ने कश्मीर नहीं किया था ऑफर
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: June 25, 2018 03:48 PM2018-06-25T15:48:04+5:302018-06-25T15:48:04+5:30
कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज का कश्मीर को दिये जाने वाला बयान का विवाद थमा भी नहीं था कि उन्होंने एक और बयान दे दिया है।
कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज का कश्मीर को दिये जाने वाला बयान का विवाद थमा भी नहीं था कि उन्होंने एक और बयान दे दिया है। हाल ही में वह हैदराबाद के बदले कश्मीर को पाकिस्तान को देने के सरदार बल्लभ भाई पटेल के प्रस्ताव वाले अपने बयान से पलट गए हैं। खबर के अनुसार उन्होंने कहा कि पटेल ने कभी भी पाकिस्तान को हैदराबाद के बदले कश्मीर देने का प्रस्ताव नहीं दिया था।
एक चैनल से बाचतीच के दौरान उन्होंने कहा है कि सरदार पटेल ने हैदराबाद के बदले पाकिस्तान को कश्मीर की पेशकश की थी, लेकिन नेहरू को कश्मीर से विशेष प्रेम था और यह रिकॉर्ड है, इसलिए कश्मीर हमारे साथ है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा है कि मेरी बातों को गलत तरीकों से पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि पटेल और नेहरू दोनों भारत मां के बेटे थे, हैदराबात पर बात की जाए कश्मीर पर नहीं।
किताब विमोजन में कांग्रेस के ही नेताओं की दूरी पर उन्होने कहा कि मैं एक कश्नीरी होने के नाते ये किताब लिखी है। विमोचन में अगर कोई नहीं आता है तो ये उसकी निजी राय है। हाल ही में कांग्रेस के नेता सुरजेवाला ने सोज के विवादित बयान से किनारा करते हुए कहा था कि लोग किताब बेचने के लिए विवादित बयान देते हैं. सुरजेवाला के इसी बयान से नाराज सोज ने यह बात कही है।
हाल ही में एक चैनल से बातचीत करते हुए उन्होंने ये बयान दिया था। इसके साथ ही वह सुर्खियों में आ गए थे। वही, उन्होंने ये भी कहा था कि ये मेरा निजी बयान है इससे पार्टी का कोई लेना देना नहीं है। वहीं, हाल ही में उन्होंने कहा था कि 2019 के आम चुनावों को देखते हुए बीजेपी ने यह फैसला लिया। जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा कि राज्य में घृणा, नफरत और सांप्रदायिक विभाजन करने वाली राजनीति को हराने के लिए धर्मनिरपेक्ष ताकतों को ऐसे नाजुक मोड़ पर एकजुट हो जाना चाहिए।
इतना ही नहीं उन्होंने कहा था कि बीजेपी नेताओं की घबराहट का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य यह है कि राज्य के विकास को लेकर उनकी कोई सोच नहीं है। उन्होंने कहा कि यह देश के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन भाजपा का एजेंडा सांप्रदायिकता पर समाज का ध्रुवीकरण करना है और इसके लिए वे जम्मू को अपने शुरुआती "युद्ध मैदान" के रूप में चुन सकते हैं। वह अपने इस बयान के कारण भी विवादों में आ गए थे।