Interview: 'जल्दबाजी में नहीं लानी थी अग्निपथ योजना', लोकमत से बोले सचिन पायलट, राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ पर कही ये बात

By शरद गुप्ता | Published: June 22, 2022 07:28 AM2022-06-22T07:28:32+5:302022-06-22T07:28:32+5:30

कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा है कि सैन्य कमांडरों से अग्निपथ योजना का बचाव करने को कहा जा रहा है. यह सेना के कमांडरों का राजनीतिक इस्तेमाल है.

Sachin Pilot Interview with Lokmat, says Agneepath scheme should not be brought in such haste | Interview: 'जल्दबाजी में नहीं लानी थी अग्निपथ योजना', लोकमत से बोले सचिन पायलट, राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ पर कही ये बात

जल्दबाजी में नहीं लानी थी अग्निपथ योजना: सचिन पायलट (फाइल फोटो)

राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट आज कांग्रेस के एक प्रमुख युवा नेता हैं. उन्होंने ज्वलंत मुद्दों पर लोकमत मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर (बिजनेस एवं पॉलिटिक्स) शरद गुप्ता से बातचीत की. प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश...

- मोदी सरकार की अग्निपथ योजना को कैसे देखते हैं?

योजना को जल्दबाजी में पेश किया गया है. सशस्त्र बलों में शामिल होना कोई अन्य नौकरी पाने जैसा नहीं है. यह दिल और गर्व की बात है. कौन सेना में शामिल होता है? न तो राजनेताओं, न नौकरशाहों और न ही व्यापारियों के बच्चे सेना में शामिल होते हैं. ज्यादातर गरीब ग्रामीणों और किसानों के बच्चे सशस्त्र बलों में आते हैं, क्योंकि वे भारत माता की सेवा करना चाहते हैं. वे वर्षाें मेहनत कर इसके लिए तैयारी करते हैं. कार्यकाल घटाकर मात्र चार वर्ष करने से उनके सपने चकनाचूर हो रहे हैं.

- लेकिन क्या इस योजना का कोई लाभ नहीं है?

नहीं. चार साल बाद अग्निवीरों को अधर में छोड़ दिया जाएगा. सेना में  1.10 लाख से अधिक रिक्तियों का बैकलॉग भी नहीं भरा गया है. युवाओं में असुरक्षा भाव व्याप्त है और वे यह महसूस कर रहे हैं कि उन्हें देश की सेवा करने के अवसर से वंचित कर दिया गया है.

- अगर यह योजना इतनी कमियों से भरी है तो सभी शीर्ष सैन्य अधिकारी इसका समर्थन क्यों कर रहे हैं?

यह एक राजनीतिक और प्रशासनिक फैसला था. लेकिन अब सैन्य कमांडरों से इसका बचाव करने को कहा जा रहा है. यह सेना के कमांडरों का राजनीतिक इस्तेमाल है. उन्हें वही करना होगा जो सरकार उन्हें करने के लिए कहेगी.

- क्या आप नहीं चाहते कि सशस्त्र बलों में सुधार हो? क्या पेंशन का भारी बोझ इसके आधुनिकीकरण को पंगु नहीं बना रहा है?

कोई भी सेना में सुधार के खिलाफ नहीं है. हम भी चाहते हैं कि इसका आधुनिकीकरण हो. लेकिन यह करने का एक तरीका है. एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाना चाहिए था. कमियों का पता लगाकर उन्हें दूर किया जाना चाहिए था. समाज पर इसके प्रभाव का आकलन किया जाना चाहिए था.

- क्या युवाओं के लिए नौकरी न होने से बेहतर नहीं है कि उनके पास कोई नौकरी हो?

मुझे नहीं लगता कि सेना में सेवा करना कोई नौकरी है. एक सैनिक अपने सीने में गोली भारत माता के प्रति अपने प्रेम के लिए खाता है, न कि कुछ हजार रुपयों की तनख्वाह के लिए. लोग रोजी-रोटी के लिए नरेगा का काम भी करते हैं. फिर युवा क्यों सेना में भर्ती हों. सैन्य भर्तियों पर पूर्ण प्रतिबंध से देश की मदद होने वाली नहीं है.

- जब 25 प्रतिशत रंगरूटों को सेना बरकरार रखेगी और अर्धसैनिक बल व पुलिस भी उनमें से बहुतों को समाहित करने के लिए तैयार हैं, तो आप इसमें दोष क्यों ढूंढ़ते हैं?

अब सरकार द्वारा युवाओं की आहत भावनाओं को शांत करने के लिए कई तरह की पेशकश की जा रही है. ये बाद के विचार हैं. वे चाहते हैं कि आंदोलन किसी तरह शांत हो जाए.

- आप हिंसक विरोध को कैसे जायज ठहराते हैं?

आक्रोशित युवकों द्वारा की जा रही हिंसा को कोई जायज नहीं ठहरा रहा है. हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है. लेकिन सरकार को भी छात्रों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित करना चाहिए था और आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज और फायरिंग करने के बजाय अपनी बात रखनी चाहिए थी. क्या सरकार में किसी ने आंदोलित युवाओं से हिंसा से दूर रहने और बातचीत के लिए आने आने की अपील की है?

- अब आते हैं दूसरे आंदोलन पर... नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल गांधी के खिलाफ ईडी की जांच से पूरी कांग्रेस आहत नजर आ रही है?

सात साल पहले इस मामले को बंद कर दिया गया था. वे सिर्फ कांग्रेस नेतृत्व को परेशान करने के लिए फिर से खोले गए हैं. कोई शिकायत नहीं है, कोई प्राथमिकी नहीं है, कोई गलत काम नहीं है, कोई डायवर्जन या धन का गबन नहीं है. फिर भी, वे मामला बनाने की कोशिश कर रहे हैं. वे विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश कर रहे हैं. वे सरकार से सवाल करने वाले के पीछे सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियों को लगा देते हैं. इन एजेंसियों द्वारा पिछले 8 वर्षों के दौरान किसी भी भाजपा नेता से पूछताछ क्यों नहीं की गई? इनका इस्तेमाल सिर्फ विपक्ष के नेताओं के खिलाफ ही किया जा रहा है.

- क्या आपको लगता है कि यह कांग्रेस के लिए 1977 जैसा समय है जब जनता पार्टी सरकार ने इसी तरह शाह आयोग के माध्यम से इंदिरा गांधी को परेशान करने की कोशिश की थी?

और उसके बाद क्या हुआ, यह सभी जानते हैं. इंदिरा गांधी की सत्ता में वापसी. जब आप लोगों की आवाज को दबाने की कोशिश करते हैं, तो वे प्रतिक्रिया देने के लिए बाध्य होते हैं. पूरे देश में लोग प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं. कांग्रेस पार्टी भी राहुल गांधी के बचाव में एकजुट है.

- लेकिन इंदिरा गांधी से पीएम के रूप में लिए गए उनके फैसलों के लिए सवाल किया गया था और राहुल व्यक्तिगत और वित्तीय दुर्व्यवहार के आरोपों का सामना कर रहे हैं?

ठीक यही मेरा मुद्दा है. ये महज आरोप हैं. और इसे कौन और किस आधार पर लगा रहा है? इनमें कोई तथ्य नहीं है. यह एक नॉन प्रॉफिट कंपनी है. एक पैसा भी नहीं लिया गया है. नेशनल हेराल्ड हमारी पार्टी का अखबार था. शिवसेना का अपना अखबार है, कम्युनिस्टों का भी अपना है और यहां तक कि भाजपा का भी अपना प्रकाशन है. जब हमारा अखबार संकट में है तो कांग्रेस पार्टी उसकी मदद करने की कोशिश कर रही है. इसमें गलत क्या है? क्या घाटे में चले जाने पर भाजपा अपने अखबार की मदद नहीं करेगी? यह मनगढ़ंत मामला है, इससे कुछ नहीं निकलेगा.

- क्या अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एक बार फिर राजस्थान में सरकार बना पाएगी?

राजस्थान में पिछले 30 सालों से कोई भी पार्टी दो चुनाव लगातार नहीं जीत पाई है. हम इस चक्र को तोड़ने और फिर से अपनी सरकार बनाने के लिए दृढ़ हैं. कांग्रेस अध्यक्ष को कुछ सुझाव दिए गए हैं. उन्होंने एक कमेटी बनाई है. हमें चुनाव जीतने की उम्मीद है.

- कांग्रेस को क्या परेशानी है?

हम जनता के हित के लिए लड़ रहे हैं, चाहे महंगाई, बेरोजगारी, तीन कृषि कानून हों या अब यह अग्निपथ. अगर हम लड़ते रहेंगे तो जल्द ही हमें लोगों का समर्थन मिलेगा.

- क्या ऐसी भावना नहीं है कि कांग्रेस पार्टी में परफॉर्मेंस की अनदेखी की जा रही है और चाटुकारों को पुरस्कृत किया जा रहा है?

कांग्रेस पार्टी को जमीनी जुड़ाव वाले नेताओं को पुरस्कृत करने की जरूरत है. पार्टी के 2024 के लोकसभा चुनाव जीतने से पहले विश्वसनीय और जन समर्थन वाले लोग राज्य के चुनाव जीतेंगे.

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