सबरीमाला मंदिर के खुले कपाट, पूजा के लिए 30 वर्षीय महिला ने थाने पहुंच मांगी पुलिस सुरक्षा
By भाषा | Published: November 6, 2018 05:24 AM2018-11-06T05:24:48+5:302018-11-06T05:24:48+5:30
एक पुलिस अधिकारी नेकहा, ‘‘अभी वह यहां पुलिस नियंत्रण कक्ष में हैं। उनका कहना है कि वह मंदिर तक चलकर जाना चाहती हैं। उन्हें आज मंदिर ले जाने या नहीं ले जाने पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है।’’
सबरीमला मंदिर दो दिन की विशेष पूजा के लिए सोमवार को खुला जिसके बाद यहां आधार शिविर पहुंची 30 साल की महिला ने दर्शन करने के लिए पुलिस हिफाजत मांगी है। अंजू नाम की महिला अलप्पुझा जिले के चेरथला की रहने वाली है। वह मंदिर खुलते ही अपने पति और दो बच्चों के साथ पम्बा थाने पहुंची।
एक पुलिस अधिकारी नेकहा, ‘‘अभी वह यहां पुलिस नियंत्रण कक्ष में हैं। उनका कहना है कि वह मंदिर तक चलकर जाना चाहती हैं। उन्हें आज मंदिर ले जाने या नहीं ले जाने पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है।’’
उन्होंने बताया कि महिला के पति अभिलाष और उनके सात साल तथा चार साल के बच्चे उनके साथ थे। टीवी चैनलों ने अंजू और उसके पति की नियंत्रण कक्ष में पुलिस वालों से बात करने की तस्वीरें प्रसारित कीं। जैसे ही खबर फैली, बड़ी संख्या में भक्त यहां एक स्थानीय ऑडिटोरियम में जमा हुए और महिला के आने के खिलाफ भगवान अयप्पा के मंत्रों का उच्चारण किया।
आपको बता दें, अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था के बीच, दो दिवसीय विशेष पूजा के लिए भगवान अयप्पा मंदिर के दरवाजे सोमवार को यहां खोल दिये गये। आशंका है कि मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश संबंधी उच्चतम न्यायालय के आदेश का विरोध करने वाले प्रदर्शन कर सकते हैं।
पुलिस ने कहा कि मंदिर में 10 से 50 वर्ष आयुवर्ग की कोई लड़की या महिला नजर नहीं आई लेकिन उन्हें जानकारी मिली है कि 25 साल की एक महिला अपने पति और दो बच्चों के साथ मंदिर की तरफ आ रही है।
पम्बा में एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें जानकारी मिली है कि एक महिला मंदिर आने के रास्ते में है लेकिन किसी ने हमसे अब तक सुरक्षा की गुहार नहीं लगाई है।’’ पम्बा वह स्थान है जहां से श्रद्धालु पर्वत चोटी पर स्थित सबरीमला मंदिर तक पांच किलोमीटर तक पैदल जाते हैं।
सबरीमला को लगभग किले में तब्दील कर दिया गया है। मंदिर परिसर और आसपास बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी, सशस्त्र कमांडो की मौजूदगी के साथ साथ सुरक्षा के चाक चौबंद प्रबंध किए गये हैं। निगरानी कैमरे और मोबाइल फोन जैमर भी लगाए गए हैं।
मंदिर के तंत्री (प्रधान पुजारी) कंडारारू राजीवरू और मेलशांति (मुख्य पुजारी) उन्नीकृष्णन नामबूथिरी ने मिलकर शाम पांच बजे गर्भगृह के द्वार खोले और हजारों श्रद्धालुओं ने मंदिर में प्रवेश किया।
मंदिर अधिकारियों ने कहा कि सोमवार को कोई विशेष पूजा नहीं होगी। रात दस बजे इसके द्वार बंद कर दिये जाएंगे। दरवाजे मंगलवार को फिर खुलेंगे। मंगलवार को त्रावणकोर के आखिरी राजा चिथिरा थिरुनल बलराम वर्मा के जन्मदिवस के अवसर पर मंगलवार को विशेष पूजा ‘श्री चित्रा अत्ता तिरूनाल’ होगी।
कई भाजपा नेता और अयप्पा धर्म सेना के अध्यक्ष राहुल ईश्वर शाम को मंदिर परिसर पहुंचे। टीवी फुटेज में दिखा है कि श्रद्धालु पुलिसकर्मियों के साथ निलक्कल से पम्बा के बीच में कई स्थानों पर बहस कर रहे हैं। यह मंदिर तक पहुंचने का रास्ता है।
पुलिस द्वारा गहन जांच से परेशान होने के अलावा श्रद्धालुओं की शिकायत है कि आधार शिविर में सुविधाओं की कमी है। अगस्त में आयी बाढ़ की वजह से यहां काफी क्षति पहुंची थी। मीडियाकर्मियों को भी सुबह में निलक्कल से पम्बा जाने नहीं दिया जा रहा था लेकिन बाद में यह प्रतिबंध हटा दिया गया।
इस बीच, केरल उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले को लागू करने के नाम पर श्रद्धालुओं को परेशान नहीं किया जाना चाहिए। पुलिस और प्रशासन हाई अलर्ट पर हैं। मंदिर के आसपास सीआरपीसी की धारा 144 लगा दी गयी है और यह मंगलवार रात मंदिर के दरवाजे खुले रहने तक जारी रहेगी।
पथनमथिट्टा के पुलिस अधीक्षक टी नारायणन ने बताया था कि श्रद्धालु आराम से ‘दर्शन’ कर सकें इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। बीस सदस्यीय कमांडो टीम और 100 महिलाओं समेत 2,300 कर्मियों को सुचारू ‘दर्शन’ तथा श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तैनात किया गया है।
पचास वर्ष से अधिक की आयु वाली कम से कम 15 महिला पुलिसकर्मियों को ‘सन्निधानम’ में तैनात किया गया है। यह पूछे जाने पर कि मंदिर के अंदर केवल 50 साल से अधिक की महिला कर्मियों को तैनात क्यों किया गया है, पुलिस महानिरीक्षक एम आर अजीत कुमार ने कहा कि विभिन्न विभागों से ‘‘योग्य’’ उम्र की महिला कर्मियों को काफी समय से मंदिर में तैनात किया गया है।
उच्चतम न्यायालय के सभी महिलाओं को सबरीमला मंदिर में प्रवेश देने के फैसले के बाद इस मंदिर को 17 अक्टूबर को पहली बार छह दिन के लिए खोला गया था। अब यह दूसरा मौका है जब मंदिर को खोला जा रहा है।