सबरीमाला: त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड का फरमान, मंदिर में ‘महिला कार्यकर्ता’ ही कर सकेंगी प्रवेश

By भाषा | Published: October 1, 2018 12:00 AM2018-10-01T00:00:45+5:302018-10-01T00:00:45+5:30

देश की शीर्ष अदालत ने 28 सितंबर को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में 10 से 50 साल की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था ।

Sabarimala: Devaswom Board of Travancore said only women activists entry in the temple | सबरीमाला: त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड का फरमान, मंदिर में ‘महिला कार्यकर्ता’ ही कर सकेंगी प्रवेश

सबरीमाला: त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड का फरमान, मंदिर में ‘महिला कार्यकर्ता’ ही कर सकेंगी प्रवेश

तिरूवनंतपुरम, 30 सितंबर: केरल के प्रसिद्ध सबरीमला मंदिर पर उच्चतम न्यायालय के हाल ही में आये फैसले के मद्देनजर त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड के अध्यक्ष ए पद्मकुमार ने रविवार को कहा कि ‘‘असली महिला श्रद्धालुओं’’ के भगवान अय्यप्पा मंदिर में आने की संभावना नहीं है और केवल ‘‘महिला कार्यकर्ता’’ ही मंदिर आयेंगी ।

देश की शीर्ष अदालत ने 28 सितंबर को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में 10 से 50 साल की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था । अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि सैकड़ों साल पुरानी यह हिंदू धार्मिक व्यवस्था अवैध एवं असंवैधानिक है ।

केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन के साथ यहां बैठक के बाद पद्मकुमार ने कहा कि त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) केंद्र से 100 एकड़ वन क्षेत्र की मांग करेगा ताकि शीर्ष अदालत के फैसले को लागू करने के लिए श्रद्धालुओं को और सुविधायें मुहैया करायी जाये ।

उन्होंने कहा कि मंदिर की देख रेख करने वाला बोर्ड मौजूदा संदर्भ में अदालत के आदेश को लागू करने में आने वाली चुनौतियों और कठिनाइयों का हवाला देते हुए समीक्षा याचिका दाखिल करने पर भी विचार करेगा ।

शीर्ष न्यायालय के फैसले पर अफसोस जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए केवल संवैधानिक, बुनियादी और लैंगिक मसलों पर ही विचार किया ।

पद्मकुमार ने प्रेट्र को बताया, ‘‘पिछले वार्षिक सत्र में एक खास दिन अप्रत्याशित भीड़ के कारण श्रद्धालुओं को लगातार 17 घंटे से अधिक समय तक कतार में खड़ा रहना पड़ा था ।’’  पिछले 14 जनवरी को ‘मकराविलक्कु’ के दिन तकरीबन साढ़े पांच लाख श्रद्धालु मंदिर में आये थे ।

उन्होंने बताया, ‘‘क्या यह किसी महिला के लिए संभव है कि वह वन क्षेत्र की कई किलोमीटर की यात्रा कर खचाखच भीड़ में खड़ी हो ।’’  टीडीबी प्रमुख ने दावा किया कि ऐसे वास्तविक भक्त जो सबरीमला मंदिर की परंपराओं और रीति रिवाजों का सम्मान करते हैं और यहां की परिस्थितियों से वाकिफ हैं, उनके मंदिर में आने की संभावना नहीं है ।

उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के फैसले के नाम पर केवल कुछ महिला कार्यकर्ता ही पैदल चल कर मंदिर आयेंगी ।’’  पद्मकुमार ने कहा कि टीडीबी हालांकि महिला श्रद्धालुओं के लिए हर संभव सहायता उपलब्ध कराएगा । महिलायें यहां 16 अक्टूबर से आना प्रारंभ करेंगी जब मंदिर इस साल तीन महीने लंबे वार्षिक तीर्थाटन के लिए खुलेगा ।

उन्होंने कहा कि मौजूदा संदर्भ में श्रद्धालुओं को विशेष सुविधायें मुहैया कराना बोर्ड के लिए कठिन और चुनौतीपूर्ण होगा। कुमार ने कहा, ‘‘इसलिए, अदालत के आदेश को लागू करने के लिए हम केंद्र सरकार से पेरियार टाइगर रिजर्व की 100 एकड़ या उससे अधिक भूमि मुहैया कराने का आग्रह करेंगे । इसके लिए उच्चतम न्यायालय की अनुमति भी आवश्यक है।’’ 

Web Title: Sabarimala: Devaswom Board of Travancore said only women activists entry in the temple

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