1989 में चीनी सेना ने प्रेस की स्वतंत्रता जैसी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर किया था हमला, टैंकों का किया था इस्तेमाल
By भाषा | Published: June 4, 2020 08:28 PM2020-06-04T20:28:52+5:302020-06-04T20:36:09+5:30
आरएसएस से संबंधित साप्ताहिक पत्रिका ‘ऑर्गेनाइजर’ के आवरण पृष्ठ पर 1989 की घटना के दौरान उस चीनी छात्र की प्रतिष्ठित तस्वीर प्रकाशित की गई है।
नई दिल्ली।आरएसएस से संबंधित साप्ताहिक पत्रिका ‘ऑर्गेनाइजर’ ने एक चीनी थिंक टैंक की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए दावा किया है कि 1989 में चार जून के दिन तियानमेन चौक पर हुई कार्रवाई के बाद से विश्व में इस समय चीन विरोधी भावना चरम पर है। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में लगभग एक महीने से चली आ रही सैन्य तनातनी के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पत्रिका ने अपने हालिया संस्करण में तियानमेन चौक पर लोकतंत्र समर्थकों के खिलाफ चीनी सेना की कार्रवाई को कोविड-19 संकट, हांगकांग में अशांति और भारत के साथ क्षेत्रीय विवाद के संदर्भ में याद किया है।
पत्रिका के आवरण पृष्ठ पर 1989 की घटना के दौरान उस चीनी छात्र की प्रतिष्ठित तस्वीर प्रकाशित की गई है जो तियानमेन चौक पर छात्रों के खिलाफ कार्रवाई के लिए आगे बढ़ रहे टैंकों के आगे खड़ा दिखता है। पत्रिका ने अपनी आवरण कथा में ‘रीविजिटिंग तियानमेन स्क्वेयर’ शीर्षक से लिखा है कि 1989 के छात्रों के प्रदर्शनों के बाद से विश्व में चीन विरोधी भावना इस समय चरम पर है।
इसने यह दावा थिंक टैंक ‘चाइना इंस्टिट्यूट ऑफ कंटेंपररी इंटरनेशनल रिलेशंस’ की एक आकलन रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए किया है। पत्रिका ने कहा कि थिंक टैंक की अप्रैल 2020 की आकलन रिपोर्ट में कहा गया है कि 1989 के छात्रों के प्रदर्शनों के बाद से विश्व में चीन विरोधी भावना इस समय चरम पर है।
उल्लेखनीय है कि चार जून 1989 को चीनी सेना ने लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता जैसी मांगों को लेकर बीजिंग के तियानमेन चौक पर प्रदर्शन कर रहे छात्रों और अन्य लोगों पर हमला कर दिया था। इस कार्रवाई में सेना ने टैंकों का इस्तेमाल भी किया था।
पत्रिका के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने लिखा है कि विश्व में चीन विरोधी भावना उभार पर है। उन्होंने लिखा है कि चीन दूसरों पर आरोप लगाकर कोविड-19 के प्रसार से संबंधित चीजों के छिपाने के गैर जिम्मेदार व्यवहार का बेशर्मी से बचाव कर रहा है। केतकर ने कहा कि अपूर्ण समुद्री आकांक्षाओं के चलते दक्षिण चीन सागर में शक्ति प्रदर्शन तथा हांगकांग की स्वतंत्रता और पहचान पर रोक जैसी चीजें भी साथ-साथ चल रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जब हम सीमा पर अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहे हैं तो चीन इसी तरह का रवैया भारत के खिलाफ भी अपनाए हुए है।’’