साउथ इंडिया में RSS के दूत थे अनंत कुमार, मरते दम तक कभी कांग्रेसी उम्मीदवारों से नहीं हारे चुनाव
By जनार्दन पाण्डेय | Published: November 12, 2018 09:43 AM2018-11-12T09:43:56+5:302018-11-12T09:52:01+5:30
अनंत कुमार अपने छात्र जीवन में उन्हें राजनीति आकर्षित करने लगी थी। तभी वह राष्ट्रयी स्वयं सेवक संघ की छात्र विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संपर्क में आए। साल 19755-1977 के दौरान इंदिरा गांधी सरकार की ओर से लगाई गई इमेरजेंसी उनके लिए एक बड़ा मौका बना।
संसदीय कार्यमंत्री और बीजेपी सांसद अनंत कुमार का 12 नवंबर 2018 को निधन हो गया। वो कैंसर से पीड़ित थे। उनका जन्म 22 जुलाई 1959 को कर्नाटक में बैंगलोर के करीब हुआ था।
अपने छात्र जीवन में उन्हें राजनीति आकर्षित करने लगी थी। तभी वह राष्ट्रयी स्वयं सेवक संघ की छात्र विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संपर्क में आए। साल 19755-1977 के दौरान इंदिरा गांधी सरकार की ओर से लगाई गई इमेरजेंसी उनके लिए एक बड़ा मौका बना।
उन्होंने अपने हजारों छात्र साथियों के साथ विरोध जताया था और कुछ वक्त के लिए हिरासत में लिए गए थे। यही वक्त था जब कर्नाटक में आरएसएस हाथ-पांव पसार रहा था। उसे जरूरत थी कुछ ऐसे ही युवा खून की, जो आगे बढ़कर नेतृत्व करे।
अनंत कुमार ने यह भूमिका बखूबी निभाई। उनकी सक्रियता को देखते हुए पहले हुए पहले एबीवीपी का राज्य सचिव बनाया गया। बाद में साल 1985 में राष्ट्रीय सचिव बना दिया गया। बाद में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली और आते ही उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का राज्य अध्यक्ष बना दिया गया।
इन्हीं दिनों वे वरिष्ठ बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी के संपर्क में आए और उनके सबसे करीबी नेताओं में शामिल हो गए। साल 1996 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय सचिव बना दिया गया और बेंगलुरु साउथ से पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया। तब अब आज तक उन्हें उनकी सीट पर कभी कोई हरा नहीं पाया। जबकि उन्होंने हर बार छह लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेसी उम्मीदवारों को हराया। इसमें दिग्गज कांग्रेस नेता नंदन निलेकणी भी शामिल हैं।
लोकसभा चुनाव | जीते उम्मीदवार | पार्टी | हारे उम्मीदवार | पार्टी |
2014 | अनंत कुमार | बीजेपी | नंदन निलेकणी | कांग्रेस |
2009 | अनंत कुमार | बीजेपी | के बायरे गोंडा | कांग्रेस |
2004 | अनंत कुमार | बीजेपी | कृष्णप्पा एम | कांग्रेस |
1999 | अनंत कुमार | बीजेपी | बीके हरिप्रसाद | कांग्रेस |
1998 | अनंत कुमार | बीजेपी | डीपी शर्मा | कांग्रेस |
1996 | अनंत कुमार | बीजेपी | वारालक्ष्मी गुड्डू राव | कांग्रेस |
अटल बिहारी सरकार में ही केंद्र की राजनीति में दे चुके थे धमक
अनंत कुमार ने केंद्र की राजनीति में 1998 में अटल बिहारी सरकार के दौरान ही दे दी थी। वे दक्षिण भारत के कोटे से मंत्री बने। उनके काम को देखते हुए अटल सरकार में ही उन्हें उड्डयन मंत्री बना बना दिया गया। फिर 1999 में चुनाव में जीते तो वाजपेयी सरकार में कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली।
अनंत कुमार ने पहली बार दक्षिण भारत में कमल खिलाया
कर्नाटक में अनंत कुमार साल 2003 में प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई। साल 2008 में बीजेपी ने पहली बाद किसी दक्षिण भारतीय राज्य में फतह हासिल की। जबकि अनंत कुमार ने अपनी खुद की लोकसभा सीट किसी भी चुनाव में नहीं गंवाई। चाहे वह 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव रहे हो।
यूपी-बिहार में हो चुके थे पॉपुलर
अनंत कुमार को ऐसे पहले नेता के तौर देखा जाता है जो दक्षिण भारतीय होते हुए भी उत्तर भारतीय राजनीति में काफी मशहूर हुए। उन्होंने लोकसभा चुनाव 2014 और यूपी में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी की ओर से सक्रिय रहे और यूपी-बिहार के कई क्षेत्रों में रैलियां कीं।
अनंत कुमार के परिवार में उनकी पत्नी तेजस्विनी और बेटी ऐश्वर्या और विजेता हैं। अनंत कुमार को संसदीय कार्यों की समझ और वाक्पटुता के लिए जाना जाता था। वर्तमान एनडीए सरकार में भी कई महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल रहे थे।