मोहन भागवत के बयान पर RSS ने दी सफाई, कहा- उन्होंने 'पंडित' का उल्लेख किया, जिसका अर्थ है...
By रुस्तम राणा | Published: February 6, 2023 02:14 PM2023-02-06T14:14:58+5:302023-02-06T14:18:04+5:30
आरएसएस नेता सुनील आंबेकर ने कहा कि कल (रविवार) मोहन भागवत मुंबई में डॉक्टर मोहनजी भागवत संत रविदास जयंती के एक कार्यक्रम में बात कर रहे थे। उन्होंने अपने वक्त में 'पंडित' शब्द का उल्लेख किया, जिसका अर्थ है 'विद्वान' होता है।
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के 'पंडित' वाले बयान को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सोशल मीडिया पर उनके इस बयान को लेकर उनसे माफी तक मांगने को लेकर कहा जा रहा है। बढ़ते विवाद को देखते हुए आरएसएस की तरफ से संघ प्रमुख के बयान पर सफाई दी गई है।
आरएसएस नेता सुनील आंबेकर ने कहा कि कल (रविवार) मोहन भागवतमुंबई में डॉक्टर मोहनजी भागवत संत रविदास जयंती के एक कार्यक्रम में बात कर रहे थे। उन्होंने अपने वक्त में 'पंडित' शब्द का उल्लेख किया, जिसका अर्थ है 'विद्वान' होता है।
आंबेकर ने कहा कि संघ प्रमुख ने जो वाक्य कहा उसको भी मैं स्पष्ट कर देता हूं, उन्होंने कहा "संतों को जो सत्य की अनुभूति हुई, उसके आधार पर उन्होंने कहा कि सत्य यही है कि मैं (ईश्वर) सब प्राणियों में हूं इसलिए रूप नाम कुछ भी हो, लेकिन योग्यता एक है, मान-सम्मान एक है और सबके बारे में अपनापन है। कोई भी ऊंचा-नीचा नहीं है। कुछ पंडित (विद्वान) शास्त्रों के आधार पर जाति-आधारित विभाजन की बात करते हैं, यह एक झूठ है। यह उनका सटीक बयान है।"
#WATCH | "He(Mohan Bhagwat)was at the Sant Ravidas Jayanti event. He mentioned 'Pandit', meaning 'Vidvaan' (scholars)...Some Pandits speak of caste-based divides on basis of Shaastras,it's a lie. It's his exact statement..,"RSS leader Sunil Ambekar clarifies RSS chief's statement pic.twitter.com/Qak98GkT02
— ANI (@ANI) February 6, 2023
बता दें कि संत रविवाद जयंती के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने अपने भाषण में यह कहा, जाति भगवान ने नहीं बनाई बल्कि पंडितों ने बनाई। उन्होंने ये भी कहा कि पंडितों ने जो श्रेणी बनाई वह गलत है। भागवत ने कहा कि हिन्दू समाज जातिवाद को लेकर भ्रमित होता रहा है और इस भ्रम को दूर करना आवश्यक है।
उन्होंने कह, 'लोग चाहे किसी भी तरह का काम करें, उसका सम्मान किया जाना चाहिए। श्रम के लिए सम्मान की कमी समाज में बेरोजगारी के प्रमुख कारणों में से एक है। काम के लिए चाहे शारीरिक श्रम की आवश्यकता हो या बुद्धि की, चाहे इसके लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता हो या ‘सॉफ्ट’ कौशल की-सभी का सम्मान किया जाना चाहिए।'
अपने संबोधन में उन्होंने कहा, 'हर कोई नौकरी के पीछे भागता है। सरकारी नौकरियां केवल करीब 10 प्रतिशत हैं, जबकि अन्य नौकरियां लगभग 20 फीसदी। दुनिया का कोई भी समाज 30 प्रतिशत से अधिक नौकरियां पैदा नहीं कर सकता।'