RSS नेता व पूर्व सांसद का कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पर हमला, बोले- 'सत्ता का अहंकार आपके सिर चढ़ गया है'
By अनुराग आनंद | Published: February 7, 2021 10:14 AM2021-02-07T10:14:03+5:302021-02-07T10:22:59+5:30
विवादास्पद नए कृषि कानून पर बोलते हुए राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा ने ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर हमला किया। उन्होंने कहा कि सरकार को कांग्रेस की सड़ी हुई नीतियों को लागू करने से बचना चाहिए।
भोपाल: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा ने देश के कई राज्यों में चल रहे किसान आंदोलन व विरोध प्रदर्शन को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पर जोरदार हमला किया है। उन्होंने कहा कि मैं जो देख और समझ पा रहा हूं उससे लगता है कि "सत्ता का अहंकार उनके सिर चढ़ गया है।"
रघुनंदन शर्मा ने विवादास्पद कृषि कानूनों की तरफ संकेत देते हुए कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को कांग्रेस की सड़ी हुई नीतियों का समर्थन कर आगे बढ़ाने से बचना चाहिए। इसके साथ ही शर्मा ने आगे चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार आज के समय में राष्ट्रवाद को मजबूत करने में अपनी सारी ताकत नहीं लगाती है, तो बाद में पछतावा ही करेंगे।
जानें पूर्व भाजपा सांसद व आरएसएस नेता ने फेसबुक पर क्या लिखा है?
पूर्व सांसद शर्मा ने अपनी फेसबुक पर दो दिन पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि प्रिय नरेंद्र जी, आप भारत शासन में सहयोगी एवम सहभागी हैं। आज की राष्ट्रवादी सरकार बनने तक हजारों राष्ट्रवादियों ने अपने जीवन और यौवन को खपाया है। आज आपको जो सत्ता के अधिकार प्राप्त हैं, वे आपके परिश्रम का फल हैं, यह भ्रम हो गया है।
'सत्ता का मद जब चढ़ता है तो नदी, पहाड़ या वृक्ष की तरह दिखाई नहीं देता'
पूर्व सासंद शर्मा ने तल्ख लहजे में कृषि मंत्री को आगे लिखा कि सत्ता का मद जब चढ़ता है तो नदी, पहाड़ या वृक्ष की तरह दिखाई नहीं देता, वह अदृश्य होता है। जैसा अभी आपके सिर पर चढ़ गया है। प्राप्त दुर्लभ जनमत को क्यों खो रहे हो? कांग्रेस की सभी सड़ी गली नीतियां हम ही लागू करें, यह विचारधारा के हित में नहीं है। बूंद बूंद से घड़ा खाली होता है, जनमत के साथ भी यही है।
'राष्ट्रवाद को बलशाली बनाने में शक्ति लगाओ, जो कर रहे हैं इससे बाद में पछताना ना पड़े'
आरएसएस के वरिष्ठ नेता शर्मा ने आगे लिखा कि आपकी सोच कृषकों के हित की हो सकती है परंतु कोई स्वयं का भला नहीं होने देना चाहता, तो भलाई का क्या औचित्य है। आप राष्ट्रवाद को बलशाली बनाने में संवैधानिक शक्ति लगाओ, कहीं हमें बाद में पछताना ना पड़े। सोचता हूं आप विचारधारा के भविष्य को सुरक्षित रखने का संकेत समझ गए होंगे।