रॉबर्ट वाड्रा पर कारवाई के लिए क्या प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में आने का इंतजार कर रही थी बीजेपी?
By विकास कुमार | Published: February 6, 2019 02:05 PM2019-02-06T14:05:05+5:302019-02-06T14:05:05+5:30
आखिर मोदी सरकार को भी चुनाव से पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ ईमानदार दिखना है. अगर चुनाव राजनीतिक धारणाओं पर ही होने वाला है तो फिर संकेतों की राजनीति के लिए रॉबर्ट वाड्रा से बड़ा नाम क्या हो सकता है?
गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की आज ईडी के सामने पेशी होने वाली है. विदेशों में अवैध संपतियां बनाने और मनी लौन्डरिंग के केस में उनसे पूछताछ होगी. इस बीच प्रियंका गांधी भी विदेश से लौट चुकी हैं और पार्टी में अपने नेतृत्व को संभालने से पहले पार्टी नेताओं के साथ मीटिंग में व्यस्त हैं. रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी के ऊपर बीजेपी ने कई गंभीर आरोप लगाये हैं. इससे पहले वाड्रा की कंपनी पर गुरुग्राम में अरबों की जमीन बहुत ही कम दाम में हासिल करने का आरोप लगा था.
बीजेपी के नए आरोप
बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने आज दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस कर रॉबर्ट वाड्रा पर कई आरोप लगाये हैं. उन्होंने उनकी कंपनी स्काईलाइट पर पेट्रोलियम और डिफेंस डील में दलाली खाने का आरोप लगाया है. संबित ने अपने प्रेस कांफ्रेंस में संजय भंडारी नाम के शख्स का बार-बार जिक्र करते नजर आये और इन्हें रॉबर्ट वाड्रा का साथी बताया. बीजेपी प्रवक्ता के अनुसार रॉबर्ट वाड्रा की लंदन में 8 संपतियां हैं. और आज इसी मामले में ईडी उनसे पूछताछ करने जा रही है.
रॉबर्ट वाड्रा पर कारवाई में इतनी देर क्यों
रॉबर्ट वाड्रा पर आरोप नए नहीं हैं. हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के रहते उन पर जमीन घोटाले के आरोप भी लगे थे. रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को डीएलएफ ने बहुत सी सस्ते दाम पर जमीन उपलब्ध करवाए थे. इससे पहले राजस्थान में वसुंधरा राजे की सरकार ने वाड्रा के सैंकड़ों एकड़ जमीन का मोटेशन रद्द किया था. लेकिन वाड्रा के खिलाफ व्यक्तिगत स्तर पर कोई कारवाई नहीं की जा रही थी. तो क्या वाड्रा पर कारवाई के लिए प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में आने का इंतजार किया जा रहा था?
रॉबर्ट वाड्रा राजनीतिक संकेत के लिए फिट
रॉबर्ट वाड्रा गांधी परिवार के दामाद हैं. यह पदवी भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक के लिए सबसे फिट बैठता है. खुद पीएम मोदी भी गांधी परिवार के ही इर्द-गिर्द अपने राजनीतिक हमलों की प्लानिंग करते हैं. प्रियंका गांधी को हाल ही में महासचिव का पद और पूर्वांचल का चुनाव प्रभारी बनाया गया है. उनके सक्रिय राजनीति में आने के साथ ही मोदी सरकार भी ईडी के रास्ते सक्रिय हो गई है. रॉबर्ट वाड्रा पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप हैं. इससे इंकार नहीं किया जा सकता. लेकिन जिस तरह से इन आरोपों का टाइमिंग तय किया गया है उससे मोदी सरकार के इरादों पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लग रहा है.
क्या अगर प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में चुनाव का कमान नहीं संभालती तो बीजेपी रॉबर्ट वाड्रा को जीवनदान दे देती? यह सवाल काल्पनिक है लेकिन मौजूदा वक्त की राजनीति में सबसे ज्यादा प्रासंगिक है. आखिर मोदी सरकार को भी चुनाव से पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ ईमानदार दिखना है. अगर चुनाव राजनीतिक धारणाओं पर ही होने वाला है तो फिर संकेतों की राजनीति के लिए रॉबर्ट वाड्रा से बड़ा नाम क्या हो सकता है?