शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के रामचरितमानस के बयान का राजद ने समर्थन किया, कहा- उन्हें घबराने की जरूरत नहीं
By एस पी सिन्हा | Published: January 13, 2023 06:40 PM2023-01-13T18:40:48+5:302023-01-13T18:50:42+5:30
जगदानंद सिंह ने कहा कि आज शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर साथ खड़े हैं और मैं चंद्रशेखर को आश्वस्त करना चाहता हूं कि पूरी पार्टी उनके साथ मजबूती से खड़ी है और कमंडल वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि राजद कभी भी कमंडल के आगे मंडल को हारने नहीं देगा।
पटना: रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान देने के बाद चौतरफा घिरे शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के समर्थन में अब उनकी पार्टी राजद उतर आई है। इस मामले पर दो दिनों तक राजद ने चुप्पी साधे रखी, लेकिन अब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह उनके समर्थन में उतर आए हैं। उन्होंने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान का समर्थन हुए कहा कि समाजवादियों ने जो राह दिखाई उसे चंद्रशेखर आगे बढ़ा रहे हैं। पूरा राजद चंद्रशेखर के साथ खड़ा है। घबराने की जरूरत नहीं, हम कमंडलवादियों को सफल नहीं होने देंगे।
जगदानंद सिंह ने कहा कि आज शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर साथ खड़े हैं और मैं चंद्रशेखर को आश्वस्त करना चाहता हूं कि पूरी पार्टी उनके साथ मजबूती से खड़ी है और कमंडल वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि राजद कभी भी कमंडल के आगे मंडल को हारने नहीं देगा।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जो हमारी सामाजिक न्याय की विचारधारा है, समाजवाद की विचारधारा है और लोहिया जी से जो सिख हमलोगों को मिली है। जिसके लिए कर्पूरी ठाकुर हमेशा लड़ते रहे। आज हमारे नेता लालू यादव बीमार हैं। हमलोगों के बीच कोई भी सामजिक क्रांति के पुरोधा नहीं रहे। जो राह समाजवादियों ने हमें बताई है, उसपर राजनीत करने का काम प्रोफेसर चंद्रशेखर कर रहे हैं।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बिहार के शिक्षा मंत्री और हमारे नेता को घबराने की जरूरत नहीं है। मैं उनको यह साफ कर देना चाहता हूं कि उनके बयान के साथ पूरा राजद परिवार खड़ा है। हमलोग हमेशा से कमंडलवादियों के साथ लड़ने के लिए तैयार रहे हैं और आज भी हैं। इसलिए कोई कुछ भी बोले हमें पीछे हटने की जरूरत नहीं है।
वहीं पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी शिवानंद तिवारी ने कहा कि समाजवादी आंदोलन के जनक डॉ राम मनोहर लोहिया ने राम और रामायण मेले के आयोजन को लेकर सर्वाधिक लेख लिखे हैं। डॉक्टर लोहिया सभी भाषाओं में उपलब्ध रामायण के प्रशंसक हैं। पर उनका मन तुलसी के रामायण में रमा हुआ है। तुलसी की रामायण में आनंद के साथ-साथ धर्म भी जुड़ा हुआ है।
उन्होंने कहा कि तुलसी की कविता आदमी को टिकाती हैं और जोड़े रखती हैं। तुलसी एक रक्षक कवि हैं। जब चारों तरफ से अभेद हमले हों तो बचाना, थामना, टेकी देना शायद ही तुलसी से बढ़कर कोई कर सकता है। बाल्मीकि और एवं दूसरे रामायण में प्रेम को इतनी बड़ी जगह नहीं मिली जितनी की तुलसी की रामायण में है।